डॉ.विभा सिंह द्वारा शरण कुमार लिम्बाले की पुस्तक ‘अक्करमाशी’ की समीक्षा
समीक्ष्य पुस्तक शरण कुमार लिम्बाले द्वारा मराठी में लिखी गई उनकी आत्मकथा का हिंदी रूपांतर है, जिसके अनुवादक हैं-- सुर्यनारायण रणसुभे।हिंदी के अलावा तमिल,कन्नड़,पंजाबी,गुजराती,मलयालम में तो इसका अनुवाद हुआ ही ,इसके साथ ही अंग्रेजी में 'the outcast, नाम से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने इसका...
डॉ नितिन सेठी की कलम से – ‘वाङ्मय’ पत्रिका का आदिवासी उपन्यासों पर केन्द्रित अंक
पत्रिका: वाङ्गमय(त्रैमासिक)
अंक: अप्रैल-सितंबर 2022
संपादक: डॉ. एम फ़ीरोज़ अहमद
पृष्ठ: 248
मूल्य: रु. 175
‘वाङ्गमय' पत्रिका का अप्रैल-सितंबर 2022 अंक सन् 2014 से 2022 तक की समयावधि में प्रकाशित उपन्यासों पर आधारित समीक्षात्मक आलेखों का प्रस्तुतीकरण करता है। ज्ञातव्य है कि ये सभी उपन्यास आदिवासी विमर्श पर आधारित...
‘वाङ्गमय’ का वृद्ध विमर्श केन्द्रित अंक – एक अनूठा साहित्यिक आयोजन
डॉ. एम. फ़ीरोज़ अहमद के संपादन में विगत कई वर्षों से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका वाङ्गमय वर्तमान समय में एक विशुद्ध साहित्यिक और प्रतिष्ठित पत्रिका है। इस पत्रिका ने अपने अनूठे विषयों से साहित्य-मनीषियों के हृदय में एक विशिष्ट स्थान बनाया है।
संपादक डॉ. एम. फ़ीरोज़...
ब्रिटेन की प्रतिनिधि हिंदी कहानियाँ : संपादक जय वर्मा
लंदन के नेहरू केंद्र के सभागार में 18 मई को जय वर्मा द्वारा सम्पादित ‘ब्रिटेन की प्रतिनिधि कहानियाँ’ का लोकार्पण समारोह लंदन और नॉटिंघम के हिंदी साहित्यकारों की उपस्थिति में नेहरू केंद्र के निदेशक एवं प्रख्यात अंग्रेज़ी उपन्यासकार श्री अमीश त्रिपाठी जी द्वारा सम्पन्न...
पुस्तक समीक्षा : श्रापित किन्नर उपन्यास में किन्नर संघर्ष की अभिव्यक्ति
"श्रापित किन्नर उपन्यास में किन्नरों को अपने श्रापित होने का दंश झेलना पड़ता है। यही श्रापित का दंश उन्हें समाज से लड़ने को प्रेरित करता है। उसमे अकरम (पुरुष) सहायता करता है। नरगिस , हिना और जावेद तीनो " मैं भी इंसान हूँ "...
पुस्तक समीक्षा – नयी वाली हिंदी को दिशा देता उपन्यास
पीयूष द्विवेदी
नीलोत्पल मृणाल का उपन्यास ‘औघड़’ आकार के मामले में तो नयी वाली हिंदी के उपन्यासों में सर्वाधिक वजनी किताब है ही, वस्तु-विधान के स्तर पर भी अलग है। इसे नयी वाली हिंदी का पहला गंभीर ग्रामीण उपन्यास कह सकते हैं, जिसमें व्यंग्य...