हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में डॉ. पद्मा मिश्रा का लेख – हमारी एकता और अखंडता में हिंदी की भूमिका

मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती भगवान भारत वर्ष में, गूंजे हमारी भारती हमारी हिंदी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों की वाहिका बन विश्व भर में छा जाए, विश्व बंधुत्व की पवित्र भावना का उद्घोष जन जन के कंठो से मुखरित हो,शायद आज हर भारतीय और...

वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – सीमाओं को चुनौती दें

हम एक संस्कृति प्रधान देश के नागरिक है। हमारे देश में विविध व्रत-त्यौहार, पर्व और उत्सव मनाए जाते है। अभी दो दिन पहले ही हम सब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रंग में रंगे हुए थे। कुछ जगहों पर इस दिन की शुरूआत अलसुबह निकाली जाने वाली...

नेहरू सेंटर लंदन में हिंदी काव्य महाकुंभ का आयोजन

04 सितम्बर , 2023, लंदन, में हिंदी काव्य महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश कम्युनिटी एसोसिएशन (यूपीसीए) यु.के. द्वारा नेहरू सेंटर लन्दन में किया गया । निष्ठा द्विवेदी ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरुवात की। काव्य महाकुंभ का शुभारम्भ प्रसिद्ध लेखक,संस्कृति व्...

डॉ ऋतु शर्मा नंनन पांडे – बाल साहित्य और नीदरलैंड

यूरोप का बाल साहित्य हमेशा से ही बहुत समृद्ध रहा है । यूरोप के बालसाहित्य में बाल पुस्तकों के लिए चयनित कहानियाँ,उनकी बाल सुलभ भाषा व आकर्षित आवरण हमेशा से ही आकर्षण का विषय रहा । यहाँ मैं नीदरलैंड के बाल साहित्य के विषय में...

रमेश चन्द्र का लेख – गाँव के देव

यूँ जय किशन चले गए, परंतु वे जाकर भी नहीं गए। गाँव के लिए देवता जो थे। उनकी कोई आवाज थी, जो सदा गाँव के लिए गूँजती रहती थी। उनकी वह दैवी आवाज भी आज तक लुप्‍त नहीं हुई है। वह आवाज महान व्‍यक्तियों...

वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का…!

इंसान की उम्र का हर पड़ाव खूबसूरत होता है। यह खूबसूरती अपने साथ चुनौतियाँ भी लेकर आती है। बालपन से युवाकाल की ओर बढ़ते हुए बहुत कुछ, बहुत जल्दी-जल्दी बदल रहा होता है।  लड़कपन की उम्र जोश से भरी होती है। इस उम्र के बच्चों...