अंतरराष्ट्रीय वातायन सम्मान-समारोह
डॉ. कमल किशोर गोयनका और श्री गीत चतुर्वेदी सम्मानित

लंदन, 5 फ़रवरी 2022: बसंत महोत्सव पर केंद्रीय हिंदी संस्थान के तत्वावधान में वातायन के अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात आलोचक डॉ कमल किशोर गोयनका को वातायन शिखर सम्मान (लाइफ़-टाइम अचीवमेंट) और लोकप्रिय और प्रसिद्ध लेखक गीत चतुर्वेदी को अंतरराष्ट्रीय वातायन साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में उपस्थित थे श्री वीरेंद्र शर्मा, ब्रिटिश सांसद, केंद्रीय हिंदी बोर्ड-आगरा के उपाध्यक्ष श्री अनिल शर्मा जोशी, वातायन की अध्यक्ष मीरा मिश्रा-कौशिक ओबीई, केंद्रीय हिंदी बोर्ड-आगरा से डॉ बीना शर्मा, भारतीय उच्चायोग की अताशे (हिन्दी एवं संस्कृति) डॉ नंदिता साहू, गुरुकुल की अखिल भारतीय अध्यक्ष और साहित्यकार डॉ पुष्पिता, प्रसिद्ध लेखिका, अनुवादक एवं आर्टिस्ट अनिता गोपालन, वातायन-यूके की संस्थापक और लेखिका दिव्या माथुर और यूके हिंदी समिति के संस्थापक और ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज के निदेशक और कवि, डॉ पद्मेश गुप्त, जिन्होंने समारोह का सफल संचालन भी किया।

श्रीलंका की गायिका, वोकल ट्रेनर और संगीत की अध्यापिका विशारद गायत्री आशिनी, की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। जिसके बाद कवि एवं फ़िल्मकार डॉ निखिल कौशिक ने 2003 में स्थापित वातायन की गतिविधियों पर एक पावरपॉइंट भी प्रस्तुत किया।

वातायन की अध्यक्ष और समकालीन प्रदर्शनों की निर्माता/निर्देशक, मीरा मिश्रा-कौशिक, ओबीई, ने अतिथियों का स्वागत  अभिनंदन करते हुए बताया कि भारतीय उच्चायोग द्वारा फ्रेडरिक पिनकोट पुरस्कार से सम्मानित, वातायन ने पिछले बीस वर्षों में साहित्य और संस्कृति में लगे अंतर्राष्ट्रीय लेखकों और कला-उत्साही लोगों को एक मंच प्रदान किया है। अब तक 92 से अधिक साप्ताहिक ऑनलाइन कार्यक्रमों के अतिरिक्त बहुत सी सहयोगी संगठनों के साथ भी कार्यक्रम आयोजित कर एक विश्व-रिकॉर्ड क़ायम कर चुकी है।

गीत चतुर्वेदी जी पर वक्तव्य देते हुए लेखिका, अनुवादक और आर्टिस्ट अनिता गोपालन ने बताया कि गीत से उनका परिचय संगीत के माध्यम से हुआ; उन्होंने गीत चतुर्वेदी को व्यक्ति के रूप में पहले जाना लेखक के रूप में बाद में। एक लेखक, कवि और अनुवादक के रूप में गीत भारतीय लेखकों के बीच एक अद्वितीय स्थान रखते हैं क्योंकि गीत चतुर्वेदी की कविताओं में इनोवेशन देखने को मिलता है।। मुंबई में जन्मे, गीत ने बौद्ध धर्म और अद्वैत का अध्ययन किया, और गद्य और पद्य दोनों रूपों में अपने विषयों पर बड़े पैमाने पर लिखा; उन्हें ‘प्रोफेसर’, ‘मास्टर’ और ‘विद्वान’ जैसे विभिन्न खिताब भी अर्जित किए हैं।

युवा और प्रतिष्ठित लेखिका तिथि दानी द्वारा गीत चतुर्वेदी का प्रशस्ति पत्र पढ़ा गया। गीत चतुर्वेदी ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में अपने परिवार के प्रति एवं वातायन के प्रति अपना आभार ज्ञापित किया। गीत ने अपने परिवार के कई सदस्यों में से बड़ी बहन बिनीता, बड़े भाई, माँ और पिता को याद करते हुए बताया कि उन्होंने ऋग्वेद और गीता को अपने पिता से पढ़ा।  माँ के प्रति उदगार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मुझे दिल की नमी और आँखों का गीलापन मेरी माँ से मिला है।’

पुरस्कृत लेखकों के साहित्य और उपलब्धियों पर वक्तव्य प्रस्तुत करते हए संत विनोबा भावे आचार्यकुल की राष्ट्रीय अध्यक्ष, नीदरलैंड हिंदी फॉउंडेशन की निदेशक, प्रतिष्ठित लेखिका, डॉ पुष्पिता अवस्थी ने कहा कि गीत चतुर्वेदी की पंक्ति ‘अनुभूतियाँ हमें अवाक बनाती हैं, वाचाल नहीं’ को गोयनका जी के व्यक्तित्व से जोड़ते हुए कहा कि प्रख्यात लेखक, व्यास सम्मान से सम्मानित, हिन्दी प्रचारिणी सभा-मॉरीशस द्वारा पुरस्कृत, प्रेमचंद विशेषज्ञ, प्रवासी हिन्दी साहित्य के अध्ययन एवं विश्लेषण में गोयनका जी की अहम भूमिका रही है।

शिखा वार्ष्णेय ने गोयनका जी के प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। अनिल जोशी ने पुष्प गुच्छ प्रदान कर गोयनका जी को वातायन शिखर सम्मान-चिह्न प्रदान किया तो आभासी मंच पर आये हुए अतिथियों ने करतल ध्वनि से उस पल को साहित्यमय होते हुए जिया।

गोयनका जी ने वातायन संस्था से जुड़े सभी जनों और दिव्या माथुर का धन्यवाद ज्ञापित किया और अपने साहित्यिक सफ़र में परिवार की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि उनका जन्म एक व्यापारिक परिवार में हुआ, जिसके कारण साहित्य यात्रा करना उनके लिए कठिन ज़रूर रही किन्तु थकन भरी कभी नहीं। उन्होंने कहा प्रेमचंद पर कार्य करते हुए मुंशी प्रेमचन्द जी के दोनों बेटों का साथ और सहयोग भी उनको घनिष्टता से मिला और मिलता रहा। अपने साहित्य कर्म को याद करते हुए गोयनका जी ने कहा कि उन्होंने जो किया वह बेहद निष्ठा के साथ किया; उन्हें किसी सम्मान की लालसा आदि कभी रही नहीं।  एक ओर जहां गोयनका जी की अथक रचनात्मकता और आत्मीयता ने श्रोताओं को बहुत प्रभावित किया वहीं दूसरी ओर गीत जी के स्पष्ट वक्तव्य की सकारात्मकता और स्पष्ट दृष्टिकोण सभी के लिए प्रेरणादाई रहा।

पुरस्कृत लेखकों को बधाई देते हुए ब्रिटिश सांसद श्री वीरेंद्र शर्मा ने वातायन की नियमित और सार्थक गतिविधियों की हार्दिक सराहना की और हर सप्ताह दो या तीन नए लेखकों से उनका परिचय करवाने के लिए वातायन का आभार भी प्रकट किया।

डॉ नंदिता साहू ने पुरस्कृत लेखकों को बधाई देते हुए वातायन से जुड़ने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। बीना शर्मा जी ने सम्मानित दोनों साहित्यिक विभूतियों के प्रति अपने श्रद्धापूर्ण उदगार प्रस्तुत किये। हिंदी संस्थान की ओर से अनिल शर्मा जोशी ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सुखद घोषणा को दोहराया कि पिछले वर्ष से वातायन पुरस्कारों की गरिमा बढ़ाने के लिए पुरस्कृत लेखकों को नकद पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे: शिखर सम्मान हेतु 51,000 रुपये और वातायन साहित्य सम्मान हेतु 31,000 रुपये।

अंत में युवा लेखक आशीष मिश्रा द्वारा भावपूर्ण धन्यवाद-ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम को यूट्यूब पर लाइव प्रसारित किया गया, जिसमें भारत, ब्रिटेन, जर्मनी, हौलैंड, रूस, स्पेन, अमेरिका, चीन, जापान, मौरिशस, डेनमार्क, जर्मनी, अमेरिका, कैनेडा, ट्रिनीडैड और श्री-लंका इत्यादि से जुड़े प्रतिष्ठित विद्वान, लेखक, कलाकार और मीडिया कर्मी मौजूद थे।

कल्पना मनोरमा, अध्यापक व लेखक

kalpanamanorama@gmail.com

 

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