होम Home निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल Home निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - October 3, 2021 163 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet बात सच्ची कहो पर अधूरी नहीं। लोग माने न माने ज़रूरी नहीं।। आज जो है जहाँ कल रहेगा वहाँ। जानकारी किसी को ये पूरी नहीं।। जिनको नफ़रत थी हमसे जुदा हो गए। दूर रह कर भी उनसे है दूरी नहीं।। दोस्ती दिल से की दुश्मनी खुल के की। साफ दिल हूँ बगल में है छूरी नहीं।। मुँह पे कहता बुरे को बुरा ये निज़ाम। अपनी फितरत में है जी हज़ूरी नहीं।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं अनामिका की कविता – शीरो प्रियंका द्विवेदी की लघुकथा – कर्जा डॉ. दविंदर कौर होरा की लघुकथाएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.