होम Home निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल Home निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - October 3, 2021 44 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet बात सच्ची कहो पर अधूरी नहीं। लोग माने न माने ज़रूरी नहीं।। आज जो है जहाँ कल रहेगा वहाँ। जानकारी किसी को ये पूरी नहीं।। जिनको नफ़रत थी हमसे जुदा हो गए। दूर रह कर भी उनसे है दूरी नहीं।। दोस्ती दिल से की दुश्मनी खुल के की। साफ दिल हूँ बगल में है छूरी नहीं।। मुँह पे कहता बुरे को बुरा ये निज़ाम। अपनी फितरत में है जी हज़ूरी नहीं।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं पुरवाई के 07 नवंबर 2021 के संपादकीय पर पाठकीय प्रतिक्रियाएं तेजस पूनियां का लेख – समाज और सिनेमा में पर्यावरण हिंदी में एक नया प्रयोग साइंस फिक्शन ‘3020 ई.’ से Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.