ज्योति कपूर दास की टिस्का चोपड़ा अभिनीत चर्चित शॉर्ट फिल्म चटनी chutney ( 2016) देखने का अवसर मिला। विषय एवम कथ्य के दम पर चर्चा का केंद रही यह फिल्म कमाल के रहस्य को रचती है। अपराध के अनछुए पहलू की ओर संकेत करती है। ऐसे मिजाज़ की शॉर्ट फिल्मस रोज़ रोज़ नहीं बनती। यहां रहस्य अधिक है। बताया गया कम है। यह फिल्म बहुत कम समय में ही मगर गहरे संदेश दे जाती है।
कहानी की सेटिंग मॉडल टाऊन की है। दिलकश जवां गृहणी रसिका ( रसिका दुग्गल) चोरी चुपके बनीता (टिस्का चोपड़ा ) के पति वीरी ( आदिल हुसैन) के प्यार में गिरफ्तार है। कम्युनिटी फंक्शन में दोनों के दरम्यान की नजदीकियों को बनीता नोटिस कर लेती है। बनीता के रोल में टिस्का को पुराने नीरस लाइफस्टाइल वाली दिखाया गया है। टिस्का को पहचान नहीं पाएंगे आप पहली बार में। रसिका व बनीता में एक फर्क था जिसकी वजह ही से मुमकिन विरी रसिका को ओर झुके थे। रसिका मेल मिलाप के अंदाज़ से दोस्ती की पहल करती है। नहीं मालूम था उसे कि बनीता की ओर से घर पे आने की दावत मिल जाएगी।
पंक्तियों के बीच पढ़ेंगे तो समझ में आएगा कि दरअसल बनीता अपने पति को लेकर रसिका से असुरक्षित थी। बहरहाल अगले ही दिन रसिका चाय पे पहुंचती है। घर आए मेहमान के सामने नाश्ता लगाया जाता है। गरमा गरम पकौड़े और चटनी। नाश्ते के ऊपर मोहल्ले के किस्से शुरू होते हैं। किसके घर में क्या चल रहा। कौन किससे फंसा है। किसका चरित्र ठीक नहीं। सब की ख़बर थी बबीता जी के पास। लेकिन हर बात में जरूर कह देती कि वो तो ठहरी गाजियाबाद की। हमेशा यही जताती कि उन्हें दुनिया के दांव पेच नहीं मालूम। मुहल्ले की बात करते वो अपने घर के ऊपर आती है। बात शुरू हुई नौकर भोला के साथ। जिसमें कई रहस्य उदघाटन होते हैं। घर में दफ़न स्कैंडल का इतिहास बहुत डरा जाता है।
कथा का प्रोग्रेस बदन में सिहरन पैदा कर जाता है। चटनी के भीतर एक खतरनाक कहानी मिलती है। ज्योति कपूर दास की फिल्म की कथा ऊपर ऊपर से सामान्य भले ही नजर आती हो किंतु अंदर से भयावह है। घर में बनी चटनी के बैकग्राउंड में क्या कुछ हो सकता है। फिल्म सोचने पर मजबूर करती है। आप देखेंगे कि सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं कितना अलर्ट हो सकती हैं । शायद रसिका सोच रही होगी कि सीधी सपाट बबीता को आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है। यहां कुछ ऐसा है जिसके बारे में पहले सोचा भी नहीं जा सकता। फिल्म में सब कुछ बताया नहीं गया है। दर्शकों को अनकहे में से कहने का मतलब ढूंढना होगा। सिर्फ़ यही एक तथ्य फिल्म को जबरदस्त श्रेणी में ला खड़ा करने के लिए पर्याप्त है। अन्य कारण अलग।
किरदारों एवम अभिनय की बात करें तो टिस्का चोपड़ा का बबीता का किरदार फिल्म में कहानी के बाद दूसरा आकर्षण है। रसिका दुग्गल एवम आदिल हुसैन अपने अपने रोल में ठीक हैं। बाकी कलाकार भी सीमित फ्रेम में ही सही लेकिन कहानी को बखूबी आगे बढ़ाते हैं। चटनी महिला प्रधान शॉर्ट फिल्म की ओर संकेत करती है। क्योंकि कहानी मुख्य पात्र बबीता के इर्द गिर्द है। रसिका दूसरा अहम पात्र है। फिल्म एक तरह से इन दो पात्रों के आमने सामने होने की भी कथा है। एक कमतर सी दिखाई देनी वाली साधारण महिला की अनदेखे पहलू की कहानी है। साथ में प्रेम एवम अपराध के गहरे कुछ भय एवम रहस्यों का उदघाटन है। सबसे बड़ी बात फिल्म में मौजूद सरप्राइज बहुत गहरा है।

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