अरविंदतिवारी का व्यंग्य उपन्यास “लिफाफे में कविता” इन दिनों काफी चर्चा में है। अरविंद जी के लेखन का सफ़र बहुत लंबा है। इनके चार व्यंग्य उपन्यास, आठ व्यंग्य संग्रह, एक आदर्शवादी उपन्यास और दो बाल कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तथा इन्होंने शिक्षा विभाग राजस्थान की मासिक पत्रिका शिविरा एवं नया शिक्षक का तीन वर्षों तक सम्पादन भी किया था। अरविंद जी ने दैनिक नवज्योति में ढाई वर्षों तक प्रतिदिन “गई भैंस पानी में” व्यंग्य स्तंभ और राजस्थान पत्रिका की इतवारी पत्रिका में “ठंडी गर्म रेत” शीर्षक से एक वर्ष तक साप्ताहिक स्तंभ लेखन किया था। इनकी रचनाएँ निरंतर देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। साहित्य की व्यंग्य विधा में अरविंद जी की सक्रियता और प्रभाव व्यापक हैं। अरविंद तिवारी की गिनती आज के चोटी के व्यंग्यकारों में है। इनका व्यंग्य रचना लिखने का अंदाज बेहतरीन है।
व्यंग्यकार ने कवियों और कवि सम्मेलनों को काफी करीब से देखा और इस व्यंग्य उपन्यास में अपने अनुभव को बेहद दिलचस्प अंदाज में अभिव्यक्त किया है। व्यंग्यकार के समक्ष यह चुनौती होती है कि वह अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की जीती जागती तस्वीर पेश करे। इस दृष्टि से श्री अरविंदतिवारी का यह व्यंग्य उपन्यास “लिफाफे में कविता” मंचीयकवियोंऔरकविसम्मेलनोंकीपड़तालकरताहै। उपन्यास में मंचीय कवियों की गतिविधियों और उनकी जिंदगी पर रोशनी डाली गई है। लेखक के अनुसार आजकल कवि-सम्मलेन एक उद्योग का रूप धारण कर चुके हैं। व्यंग्यकार ने कवि-सम्मेलनों में दिखने वाली विसंगतियों पर रोचक तरीके से व्यंग्यात्मक प्रहार किये हैं। उपन्यास के पात्र अपनी मक्कारी, पैंतरेबाजी, अड़ंगेबाजी में आकंठ डूबे हैं। इस व्यंग्य उपन्यास के माध्यम से लेखक ने भ्रष्टाचार, चाटुकारिता और अवसरवादिता का कच्चा चिट्ठा खोला है। यह उपन्यास मंचीय कवियों की धूर्तता, बेईमानी, धोखाधड़ी इत्यादि की बहुत गहराई से पड़ताल करता है। देश के साहित्यिक-जगत में झूठ, फरेब, छल, दगाबाज़ी, दोमुँहापन, रिश्वत, दलाली, भ्रष्टाचार इत्यादि अनैतिक आचरणों को सार्वजनिक रूप से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है, व्यंग्यकार ने इस उपन्यास में इन अनैतिक मानदंडों और आचरणों पर तीखे प्रहार किए हैं। भाई भतीजावाद, मिलीभगत, अनैतिक प्रथाएँ, निधियों की हड़पनीति, ये सब इस उपन्यास में हैं। उपन्यास कवि-सम्मेलनों में कविता के नाम पर चुटकुले, कवियों की गुटबाजी, चापलूसी और जुगाड़ से पुरस्कारों की प्राप्ति, कवि-सम्मेलनों में संचालकों की कारस्तानियों की तस्वीर पेश करता है।
इस व्यंग्य उपन्यास में व्यंजनात्मक तीखी अभिव्यक्ति और भरपूर कटाक्ष है। इस पुस्तक की रोचक बानगी प्रस्तुत है –
अरविंदतिवारी ने व्यंग्य विधा को नया तेवर और ताजगी प्रदान की हैं। उपन्यास की भाषा चुटीली है। उपन्यास के हर वाक्य में गहरे पंच हैं, व्यंग्य की बारीक चुभन है। इस व्यंग्य उपन्यास में लेखक ने मुहावरों, कहावतों और कविताओं का सुंदर संयोजन किया है। व्यंग्यकार ने इस पुस्तक में कवि-सम्मेलनों और मंचीय कवियों का जो चित्र खींचा है वह उनकी अद्भुत व्यंग्य शक्ति का परिचय देता है। कथोपकथन इस व्यंग्य उपन्यास की ताकत है। यह भी लेखक का पैना उपन्यास है। “लिफाफे में कविता” बहुपात्रीय व्यंग्य उपन्यास है। प्रत्येक पात्र अपने-अपने चरित्र का निर्माण स्वयं करता है। अरविंदतिवारी इस व्यंग्य उपन्यास में पाठकों से रूबरू होते हुए उन्हें अपने साथ लेकर चलते हैं। उपन्यास में कवि-सम्मेलनों और मंचीय कवियों के रोचक किस्से हैं। पाठक के मन में निरंतर आगे आ रहे घटनाक्रम को जानने की उत्कंठा बनी रहती है। 192 पृष्ठ की यह पुस्तक अपने परिवेश से पाठकों को अंत तक बांधे रखने में सक्षम है। अरविंद जी की लेखन शैली लाजवाब है। यही उनकी सफलता है जो इस व्यंग्य उपन्यास को पठनीय और संग्रहणीय बनाती है। व्यंग्यकार का यह व्यंग्य उपन्यास भारतीय व्यंग्य विधा के परिदृश्य में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाने में सफल हुआ है।
पुस्तक : लिफाफे में कविता (व्यंग्य उपन्यास) लेखक : अरविंद तिवारी प्रकाशक : प्रतिभा प्रतिष्ठान, 694 –बी (निकट अजय मार्केट), चावड़ी बाजार, दिल्ली – 110006 आईएसबीएन नंबर : 978-93-92012-04-4 मूल्य : 400 रूपए