होम कविता कनाडा से रंजीत देवगन की कविता – होली कैसे मनाएं ? कविता कनाडा से रंजीत देवगन की कविता – होली कैसे मनाएं ? द्वारा रंजीत देवगन - March 28, 2021 106 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet कोरोना बीमारी, है दुनिया पे भारी अपने पराये, बच्चे और बूढ़े कई छिन गए है बीमारी नहीं, ये है महामारी घर से निकलना औ लोगों से मिलना दूभर हुआ है, कहीं पर भी जाना भीड़ इकट्ठी करना, और मेले लगाना इक दूसरे को, गले से लगाना कोरोना बीमारी को, दावत है देना सब कुछ ही जैसे, हुआ आज बंद हो जैसे डली आज रंग में पूरी भंग फागुन का महीना है सरसों के फूलों पर रंग बसंती छाया है बसंत ऋतु आई है होली संग लाई है मगर आज होली मनायें तो कैसे निकल घर से बाहर जाएं तो कैसे मगर कुछ तो करना है चाहे दूर से ही ज़िन्दगी में रंग तो भरना है आओ आओ, झूम के आओ शब्दों की होली, सब पे चढ़ाओ बादल ग़मों के छट जाएंगे रंग ख़ुशी के छा जाएंगे रंग होली के चढ़ जाएंगे ज़ूम पे आओ, झूम के गाओ शब्दों के रंगो से, सबको नहलाओ अगर हो इजाज़त, तो मैं भी कुछ कह दूँ? शब्दों की होली के, रंग सब को जड़ दूँ ? सात दिन सप्ताह में सात ही सुर संगीत के सात रंग इंद्रधनुष के कई रंग तक़दीर के ज़िन्दगी के भी, अजीब रंग हैं कभी ख़ुशी है, और कभी ग़म हैं होली का त्यौहार है आया, रंगो की बहार है लाया हास्यरस की कविता सुनाएँ प्यार का नाता सब से बढ़ाएं नृत्य दिखाएँ या नग़मे सुनाएँ प्यार की भाषा, सबको सुनाएँ होली की बधाई दे कर होली मनाएं घर में मनाएं, बहार न जाएँ ग़म के अन्धेरों से बाहर है लाई सभी दोस्तों को होली की बधाई संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.