होम कविता ज़हीर अली सिद्दीक़ी की कविता – माँ कविता ज़हीर अली सिद्दीक़ी की कविता – माँ द्वारा ज़हीर अली सिद्दीकी - May 29, 2022 71 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet तुझसे मेरा वजूद है तू है धरा मौजूद है। मेरे जिंदगी की गीत है हर गीत की संगीत है।। तू साँस है, तू प्यास है मेरे ज़िंदगी की आस है तू हर क़दम, दिन रात में तू है मेरे जज़्बात में ।। आकार है, विचार है सब जगह साकार है तू रोकती अहंकार से इंसान को व्यभिचार से।। तू दीन है दुनिया भी है माली भी है, मौला भी तू तू ज़िंदगी, तू बन्दगी तू हर खुशी एहसास है।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं रश्मि विभा त्रिपाठी की कविता – फुदकती चिड़िया कुसुम पालीवाल की कविता – चाँद को देखूँ या देखूँ रोटियाँ ज़मीन पर सरोजिनी पाण्डेय की कविता – फागुनी धूप कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.