हंसा दीप का उपन्यास ‘बंद मुट्ठी फ्लैश बैक शैली में व्यक्ति स्वातंत्र्य और परम्परा के टकराव से हुए भावनात्मक सुखों के अधूरेपन का आख्यान है। मम्मी-पापा और बड़ी बहन, राजी के अतिरिक्त लाड़ प्यार में बड़ी हुई तान्या अपने पिता के सपनों को साकार करने की अभिलाषा से उच्च शिक्षा के लिए टोरंटो जाती है। वहाँ जाने से पहले की तान्या का जीवन मम्मी-पापा और राजी दी के इर्द-गिर्द तक सीमित है। अपने हर काम के लिए राजी दी पर निर्भर रहने वाली तान्या को टोरंटो जाकर स्वतंत्रता का पहला अनुभव हुआ जब उसको अपने रहने खाने और पढ़ने की सारी व्यवस्था अपने आप करनी थी।
वहाँ भी शुरुआत में अपनी फ्लैटमेट में राजी दी का दिशा निर्देशन खोजने में सचेष्ट रहने वाली तान्या अपनी फ्लैटमेट्स के संरक्षण में नये देश के रीतिरिवाज़ से धीरे –धीरे अभ्यस्त हुई। पोलिश विद्यार्थी सैम से मिलने के बाद जैसे वह पूरी तरह से स्वतंत्र हो गई। सैम के साथ शादी करने के निर्णय को उसकी हर सफलता पर गौरवांवित अनुभव करने वाले परम्परावादी मम्मी-पापा और हर कदम पर ज़िंदगी जीने के पाठ सिखाने वाली बहन स्वीकार नहीं कर पाए।
