सिम्मी मैडम की बात सुनकर पांडे मैडम भी कांप गयी ..हाय बात तो सही कह रही हो… ऐसा लगता है सरकार हमसे तनख्वाह वसूल करती है ..यार इस बार कितनी दुर्गति हुई थी इलेक्शन में ..सोच कर ही रूह कांप जाती है ..और भरी गर्मी में घर घर जाकर सर्वे करना… हालत ख़राब हो जाती है… हमसे बाहर के काम भी करवाते हैं और समय से स्कूल पहुँचने की भी मजबूरी है | तुम्हारी बात सही लग रही है मुझे, ये हमसे कुछ भी करवा सकते हैं |
जब से वैक्सीन आने की खबर आ रही है सिम्मी मैडम की तबियत नासाज है ..चिंता भले ही चिता सामान हो पर वे चिंता में ही डूबी हैं ..मारे चिंता का रात की नींद और दिन का चैन सब खो गया है | भूख भी कम हो गयी है उनकी हालत किसी ऐसे प्रेमी जैसी हो गयी है जो पहली बार प्रेम में पड़ा है और गा रहा है “मुझे नींद ना आये, मुझे चैन ना आये…
पांडे मैडम और तिवारी सर ने हरदम मुस्कुराने वाली मैडम का घड़ी के पेंडुलम सा लटकता चेहरा देखा तो उदासी का कारण पूछा “ क्या हुआ मैडम घर में सब ठीक है ना ? घर में कोई बात हो गयी या किसी जानने वाले को कोरोना हो गया जिसकी वजह से आप इतनी उदास हैं ?…
“नहीं ऐसा कुछ नहीं असल में जबसे हमने टीवी पर सुना है वैक्सीन आ रही है तबसे हमे तो बहुत डर लग रहा है..” उनका स्वर कांप रहा था |
“किस बात का डर मैडम ? वैक्सीन तो पूरी टेस्टिंग के बाद ही आएगी आपको डरने की कोई जरुरत नहीं बल्कि हमें तो खुश होना चाहिए अब आराम से नार्मल जिन्दगी जी पाएंगे” तिवारी जी ने समझाने का प्रयास किया|
“अरे सच्ची तुम इसलिए डर रही हो कि सबसे पहले वेक्सीन तुम्हे दे दी जाएगी …हमें नहीं पता था तुम इतनी डरपोक हो..” कहकर पाण्डेय मैडम हँस पड़ी |
“वैक्सीन लगने का नहीं, मुझे डर ये है कि सरकार घर घर जाकर वेक्सीन लगाने का जिम्मा भी हमको ही ना दे दे” अब जाकर सिम्मी मैडम का असली दुःख बाहर आया |
“अरे यार हम लोग डाक्टर थोड़े ही हैं जो हमें ये काम सौंपा जायेगा” पांडे मैडम हँसते हुए बोली |
अच्छा तो हमारी कोविड ड्यूटी भी तो लगी ..राशन बंटवा डाले हमसे ..कितने शिक्षक कोरोना के शिकार भी हुए ..और सरकार जो हमसे तरह तरह के सर्वे करवाती है, कभी जनगणना ..कभी वोटर आईडी और आधार का काम ..इलेक्शन डयूटी ..15 अगस्त और 26 जनवरी पर भी हम लोगों डयूटी लगा देते हैं ..सरकार का कोई काम हमारे बिना हुआ है कभी ? सब किया ना हमने जैसे उन सबकी ट्रेनिंग दी गयी इसकी भी तो दे सकते हैं ?
सिम्मी मैडम की बात सुनकर पांडे मैडम भी कांप गयी ..हाय बात तो सही कह रही हो… ऐसा लगता है सरकार हमसे तनख्वाह वसूल करती है ..यार इस बार कितनी दुर्गति हुई थी इलेक्शन में ..सोच कर ही रूह कांप जाती है ..और भरी गर्मी में घर घर जाकर सर्वे करना ..हालत ख़राब हो जाती है .. हमसे बाहर के काम भी करवाते हैं और समय से स्कूल पहुँचने की भी मजबूरी है | तुम्हारी बात सही लग रही है मुझे, ये हमसे कुछ भी करवा सकते हैं |
हे भगवान सिम्मी मैडम ये तो हमने सोचा ही नहीं ..मैडम अब तो मुझे भी डर लग आया ..कही ये लोग सबसे पहले वेक्सीन हमें देकर ही ट्रायल शुरू ना कर दें ..कहने को हम मास्टर हैं ..मास्टरी के अलावा सब कुछ करते हैं हम सरकार के दामाद नहीं बहु बन गए हैं जिससे हमेशा काम लेते रहो बस | तिवारी जी परेशान हो गए|
सिम्मी मैडम का डर वाला भूत अब बाकी टीचरों के दिमाग में घुस चुका है ..हर तरफ हर टीचर चिंता ग्रस्त हो भविष्य का इन्तजार कर रहे हैं और भगवान से दुआ कर रहे हैं कि सरकार के दिमाग में ये आयडिया ना आये|
चुटकी में थोड़ा साहित्य भी होता तो ठीक होता कुछ नहीं तो
हिंदी भाषा के अच्छे शब्द ही ।
रोचक चुटकी रही…..जिस हिसाब से टीचरों से पढाई छोड़ बाकी सब काम करवाए जाते हैं उसे देखकर यह काम भी करने को देना कोई बड़ी बात नहीं होगी…..