Friday, October 11, 2024
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डॉ. तारा सिंह अंशुल की कहानी – महिला बैरक

जिस दिन सुबह में जल्दी उठना होता है उस दिन निधि विवेकानंद जी द्वारा कहा गया यह वाक्य बखूबी स्मरण रखती है,….. कि,
“सुबह की नींद इंसान के इरादों को कमजोर करती है.”
अपनी मंजिलों को हासिल करने वाले लोग कभी देर तक नहीं सोया करते,  आगे वही बढ़ते हैं जो भोर में शीघ्र उठ जाते हैं और सूरज को जगाते हैं । “  कल बहुत जल्दी भोर में चार बजे निधि को उठना था !
विभागाध्यक्ष का आदेश जो था ——-
जिले में उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्षा आई हुई थीं । यहाँ तीन  दिन  तक, बाल निकेतन, महिला थाना और जिला जेल के  महिला बैरक के निरीक्षण  करने का उनका पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था ।
कल जिला जेल के भीतर महिला बैरक का निरीक्षण पहलेकिया जाना पूर्व निर्धारित  था । अध्यक्ष महोदया जिले में विगत दो दिन पहले से ही  मौजूद थीं ! सरकार का सख्त़ निर्देश था कि इस निरीक्षण कार्य में उनका पूर्ण सहयोग किया जाए !
गरीब रथ सुपरफास्ट ट्रेन से उतरने के बाद उन्हें रेलवे स्टेशन से भी तो निधि ने ही उन्हें रिसीव किया था !दरअसल जिला कार्यक्रम अधिकारी डा0 निधि सिंह को पहले दिन से अर्थात विगत दो दिनों से ही उनके साथ  निरीक्षण कार्य में सहयोग करने हेतु जिलाधिकारी महोदय द्वारा ड्यूटी लगाई गई है !
परसों  ही तो बाल निकेतन ( बालिका अनाथालय ) का  व दूसरे दिन यानी कल ही तो जनपद के  महिला थाना का निरीक्षण साथ रहकर करवाया था !
वैसे उनके साथ ड्यूटी  में कल सुबह निधि और मिसेज खन्ना जिला अल्पसंख्यक अधिकारी को भी आना ही है !  अब कल यानि तीसरे दिन जिला जेल के  “”. महिला बैरक “का निरीक्षण करना है ! कल के बाद थोड़ा आराम मिल सकता है निधि मन ही मन सोच रही थी ।
विगत तीन दिन से सुबह से शाम तक बहुत सख़्त ड्यूटी थी उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष बीना मेहता के साथ दो दिन से भ्रमण में मैं साथ रही थी बस कल का दिन और है ! इस सोच से उसे कुछ राहत महसूस हुई!
अध्यक्ष  बीना मेहता  जी को जिले के सबसे बढ़िया वी आई पी गेस्ट हाउस में ठहराया गया था ! उनके साथ आये लोग भी उसी गेस्ट हाउस के अलग-अलग कमरों में ठहरे थे ! महिला आयोग की अध्यक्षा के देखभाल के लिए उनके साथ एक महिला सेविका  की  थोड़ी सेवा सहायता के लिए ड्यूटी लगाई गई थी !
जिला कलेक्टर की नज़र में जिले की योग्य ,  कर्मठ ,  निष्ठावान ,विश्वासपात्र महिला अधिकारियों में  डा0 निधी सिंह , जिला कार्यक्रम अधिकारी का नाम सबसे ऊपर था ! वह सत्यनिष्ठ और समय के पाबंद महिला अधिकारी थी !
आज साथ में  मिसेज आयशा खन्ना भी  निरीक्षण में साथ चलने वाली थीं ।वह जिला  अल्पसंख्यक अधिकारी  थीं। वह भी  सत्य निष्ठ  और कर्मठ अधिकारियों में से एक थी । उन्हें भी डॉक्टर निधि सिंह के साथ  महिला आयोग की अध्यक्ष के साथ निरीक्षण करने हेतू  जिला कलेक्टर द्वारा निर्देश दिए गए थे!
यूं सुबह चार बजे अलार्म बजने से पहले ही उसकी नींद अचानक खुल गई !  सत्य निष्ठा से सरकरी कार्य करने की  हृदय में एक अलग ही अनुगूंज होती है । जिसका एक अद्भुत आनंद होता है जो तेजतर्रार ईमानदार अधिकारी निधि सिंह हमेशा महसूस करती थीं । नित्य कार्यों को शीघ्रता से पूरा करके सुबह का नाश्ता बना कर सात बजे वो गेस्ट हाउस जाने को तैयार हो गयी! निधि ऑफिसर्स कॉलोनी में रहती थी !
वैसे  मिसेज खन्ना को भी सीधे गेस्ट हाउस ही पहुँचना था, वह बहादुरपुर में रहती थीं! गेस्ट हाउस से  मकान की दूरी लगभग तीन किलोमीटर थी!
डा0 निधी सिंह के आवास ऑफिसर्स कॉलोनी की दूरी डेढ किलोमीटर! वहां से गेस्ट हाउस पहुंचने में लगभग सात मिनट तक का वक्त अपने विभागीय गाड़ी से लगता था!
कल जब वाहन चालक आवास पर छोड़कर जा रहा था तब उसको समय से गाड़ी लेकर उपस्थित होने को  सख्त हिदायत दे रखी थी ।
वैसे निधि को यहां ड्राइवर बहुत भरोसेमंद मिला था, समय का पाबंद था , अगर कहीं कोई आकस्मिकता ना हो तो उसके समय से पहुंचने को लेकर लेकर कोई चिंता नहीं रहती थी !
वह कल अनाथालय के निरीक्षण  मैं थी लड़कियों ने लिखित शिकायत की उनको यहां से किसी भी अधिकारी के पास भेजा जाता है , रात भर  वहां रूकती है , उनकी देह से खेला जाता है, और सुबह वापस अनाथालय लाया जाता है । इसके लिए कठोर कार्रवाई के लिए शासन को लिखा गया है ।
मन ही मन सोचती , तब भी क्या होगा ?  क्या उनकी दशा सुधर जाएगी ? कभी नहीं । भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी व्यवस्था । सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं ।
इसके साथ अनेकों प्रकार से उनकी बहुत दुर्दशा हो रही है , और भी तमाम तरह की परेशानियों के साथ  यहां खाने पीने रहने की हर तरह की अलग दुर्व्यवस्था है।
वहां रखी गई लड़कियों की दुर्दशा देखकर काफी चिंतित  करने वाली थी थीं।  यह सब जान कर बहुत दुखी हुई। निधि कल रात में सोने से पहले उन अनाथ लड़कियों के विषय में उनकी दयनीय स्थिति , अनाथालय में उनकी जीवन चर्या के विषय देर तक सोचती रही थीं ,…………….
उन्हें  यकीन हो चला था कि लड़कियां घर में हो या बाहर में हो कहीं भी पूर्णत: सुरक्षित नहीं हैं ।
पति के साथ सुबह चाय पीते हुए वह अनाथालय के स्थलीय निरीक्षण में दुर्दशाग्रस्त  किशोरियों  का यूं ही जिक्र कर ही  रही थीं तब तक ,…..
आज  के अख़बार पर सरसरी नज़र डालने में तीन  ऐसे बलात्कार की खबरों पर नज़र ठहर गयी ,  ,…………… ….आज की इन खबरों में ,…….एक में दो
लड़कियों के साथ भिन्न तरीकों से बलात्कार की घटनाएं हुई थी , एक  लड़की को तो प्रेम जाल फंसा कर गर्भावस्था में छोड़ दिया है । लड़की रोती बिलखती जाएं तो कहां जाए ?, इस संसार में कहीं ठौर नहीं ।
ऐसी स्थिति में  वो लड़की कहीं की नहीं रही ,  न घर की न घाट की !
मां बाप भी उसे स्वीकार नहीं करेंगे ! रात को उनकी सोच के ताने बाने में बस एक ही बात थी , हमारे समाज में लड़कियों / स्त्रियों की बहुत दुर्दशा है !
निधि ने इन ख़बरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की ,………..
“आखिर  वर्तमान दौर में लड़कों  को क्या हो गया है ?  अपरिपक्व उम्र के प्यार में लड़की की जिंदगी बर्बाद कर देते हैं !  और  भोली भाली लड़कियां बिना सोचे समझे ऐसे कैसे प्रेम प्रपंच में फंस जाती है ?  सचमुच भोली भाली लड़कियों का कोरा मसूम प्यार अंधा होता है ! “
ये  फरेबी , बेवफ़ा  प्रेमी  सरेआम लड़कियों की आबरू से  जब तक मन करता है , खेलते हैं ,  उनके वजूद को रौंदते हैं ,
अस्तित्व से खेलते हैं और लड़की से मन भर जाने पर उसकी  बर्बाद ज़िंदगी को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ देते हैं ।
इस प्रकार से निधि जी ने अभी अपनी राय ज़ाहिर किया ही था ,…..कि इतना सुनते उनके पति महोदय  प्रत्युत्तर में तपाक से बिना लाग लपेट के  बोल पड़े  ,…………
“गलती तो लड़कियों की है एकदम नंगे फैशन का दौर चला है, ये उल्टे सीधे कपड़े पहनेंगीं, अपना  नंगा बदन दिखाएंगी……… जहां तहां रात-विरात घूमेंगी, तो बलात्कार नहीं होगा तो क्या होगा ? आप मानो ना मानो इस तरह बलात्कार होने में लड़कियों की गलती ज्यादा होती है “
डा0 निधी सिंह अपने पति के मुंह से लड़कियों के लिए यह  विचार सुनकर  हतप्रभ रह गईं ! वैसे भी  औरतों के बारे में पति के विचारों से  उनका विचार कभी मेल नहीं खाता था ! उनकी नज़र में स्त्री-पुरुष हर हाल में कमतर है ।वह हमेशा औरतों को कमतर करके आंकते थे!
“उनके विचार से औरत और मर्द में कोई समानता नहीं है ,मर्द कहीं भी कभी भी आ जा सकता है मगर औरतें नहीं , वह कुछ भी कर सकता है औरतें बहुत कुछ नहीं कर सकती हैं !  औरत की सच्चरित्रता से ही घर की इज़्ज़त-आबरू, मान मर्यादा बरकरार रहती है! स्त्री की आबरू गई तो घर की मान मर्यादा खत्म ! औरतों का स्थान मर्दों से बहुत नीचे होता है किसी भी दशा में मर्दों के बराबर नहीं हो सकती ! “ इस तरह के  ख्य़ालात और विचार  उनका ही नहीं ज्यादातर मर्दों की होते हैं।
निधि को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा  ,… कोई भी मर्द या औरत भी औरतों को ऐसे लांछन लगाए ,
वह  प्रत्युत्तर में बोली ,…………..
“आपकी सोच अजीब है, मेरा तो मानना है कि आपकी सोच बहुत निकृष्ट है महिलाओं के प्रति  ।
निधि ने  पति को  कठोरता से बेधड़क होकर दिया जवाब  ,….
बात यहां कपड़े पहनने की कहां से आ गई !
मर्द  कुछ भी पहने , केवल कच्छा बनियान पहन कर घूमे , तो भी कोई बात नहीं । सारी मर्यादा तो स्त्रियों के लिए है ।
वह पति से औरतों के प्रति  निकृष्ट मानसिकता वाली बातें सुनकर खफ़ा हो गई,…. और उनपर ही अपने दिल का सारा गुबार निकाल दिया ,…..
यह कि, गंदी नज़र और गंदे विचार ज्यादातर मर्दो के ही होते हैं । समाज की  लड़कियों स्त्रियों के प्रति मानसिकता ही गलत है । सच पूछिए तो लड़कों /आदमियों  की कुत्सित मानसिकता संस्कार – हीनता की  बात है । लड़कियों, स्त्रियों को लोग भोग की वस्तु समझते हैं ना कि  संवेदनशील एक जीवित इंसान ।
पुरुष आख़िर स्त्री को भोग्या क्यों समझते हैं ? और मान मर्यादा औरतों के लिए ही बनाया गया आख़िर क्यों ?  और मर्द चाहे जो करे , जैसे रहे कितनी भी मनमानी करे ,  या जो चाहे सो पहने कोई  बात नहीं ,..मगर औरतों पर हजार प्रतिबंध लगाते यह पुरुष सत्तात्मक समाज ना जाने कैसी इज्जत , आबरू की दुहाई देता है । जैसे सारी मान मर्यादा का ठेका औरतों ने ही ले रखा है । क्या यह ठीक है ? “
 आवेश में  आकर निधि जी ने अपने पति महोदय को पूरा लेक्चर दे डाला जो कहीं से अनुचित नहीं था ।
 आगे फिर बोली ,….
“समाज में अधिकांश  व्यक्तियों की विचारधारा ऐसी है कि ,…. गलत काम लड़के करें और दोषी लड़की को माना जाये !  अमूमन लड़कियां प्यार करती हैं फ्राड नहीं । वाह रे ! आप जैसे लोगों की मानसिकता , भी कमाल की है ,…” पति की बात  से उसका मन  जाने तो कैसा कसैला हो गया.. वो कुछ तैश में आ गई थी ।
इसी बीच सरकारी वाहन चालक गाड़ी के साथ दरवाजे पर उपस्थित हो गया ! डॉ निधि सिंह तुरंत अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए  गाड़ी में बैठकर रवाना हुई। तुरंत दृश्य बदल गया और बातों का रुख बदल गया । आज महिला आयोग के अध्यक्षा के साथ जिला जेल का निरीक्षण करने  जाना है ! यह सोच कर तो मन में थोड़ी गुदगुदी हुई अच्छा लगा कि  ,………
“उसे जीवन में पहली बार कारागृह  के अन्दर ” महिला बैरक” देखने का अवसर मिल रहा था ! “
अपने भीतर से निधि मन ही मन बहुत उत्साहित थी कि ,… कैसा होगा  ?…. जेल के भीतर  महिलाओं का जीवन , रहन-सहन इत्यादि !
ये कैसे रहती होंगी जेल में ?  ऐसे न जाने कितने प्रश्न सिर उठा रहे थे .. जिसका जवाब, महिला बैरक को ,… भीतर से देखने पर ही  मिल सकता था  . निधि का मन कौतूहल भरा था.।
ड्राइवर के आते ही शीघ्रता से निधि अपने गंतव्य के लिए  चल दी ! गेस्ट हाउस को कमरे मे अंदर दाखिल हुई तो मिसेज  बीना मेहता
(अध्यक्षा महोदया) भी बैठी तैयार मिली ! बैठते ही उन्होंने कहा ,—–
“आइए … मिसेज निधी सिंह आपके साथ दो दिन बहुत अच्छा गुजरा आपने बहुत अच्छा सहयोग दिया है, मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं..“
“जी मैडम आपके साथ में मुझे बहुत अच्छा लग रहा है बेहतर अनुभव कर रही हू “ निधि ने बहुत शालीनता से जवाब दिया !,…..
“कल जो बालिका अनाथालय में अनाथ बालिकाओं के  रहन-सहन , जीवन चर्या का निरीक्षण हुआ है उसमें बहुत खामियां मिली हैं वहां हॉस्टल में बच्चियों की बहुत दशा रहन-सहन की स्थिति बहुत खराब मिली है !
बालिका अनाथालय की अधिक्षिका को इस विषय में एक नोटिस दे दिया जाना है । कल तक आप अपने कार्यालय से नोटिस तैयार करवा लीजिएगा ।
तमाम सुधार करवाने हेतू निधि जी  मेरे वापस लौटने के पश्चात आप दोबारा निरीक्षण कर अवश्य लीजिएगा ।” और निरीक्षण की रिपोर्ट जो  जिलाधिकारी महोदय को दिया जाना है उसमें आपको मुझे कॉपी करके आदेश इसीलिए दिया है प्लीज…कि ,……..
” यहां रह रही लड़कियों की बदतर हालात सुधारवाने की जिम्मेदारी आपको दी गई है! “
“ जी मैडम ,….. दोबारा निरीक्षण कर  ख़ुद देख लूंगी जो कमियां , खामियां वहां हॉस्टल में  जो भी होगा उसे दुरुस्त करने का पूरा प्रयास किया जाएगा । लड़कियों की सुविधा  बेहतर कराने के लिए और सुधार अपेक्षित है ,…. प्रयास करके उसे ठीक करवाया जायेगा ! “
इसी बातचीत के दौरान कमरे में मिसेस खन्ना दाख़िल  हो गईं सभी लोग जाने के लिए तैयार थे ही, गेस्ट हाउस के प्रांगण में सभी चालक वाहन भी अपने-अपने वाहनों के साथ तैयार थे !  हम सभी अपने-अपने वाहन में बैठ गए ।
हम सभी यानी पूरी टीम आज  जिला कारागार में महिला बैरक के निरीक्षण लिए रवाना हुई   ! महिला बैरक के अंदर सिर्फ इन  तीन महिलाएं ही जाने को ऑथराइज्ड  पत्र  निर्गत हुआ था ।
कारागार के बुलंद दरवाजे के गेट पर हमारी गाड़ियां पहुंचते ही  ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों ने दरवाजा खोल दिया और कारागार के प्रांगण में जाकर हम सभी उतर गये ! हमें जेलर  महोदय के कक्ष में ले जाया गया !
जेलर महोदय के  कार्यालय कक्ष में बैठकर थोड़ी औपचारिक बातचीत और चाय नाश्ता के बाद हमें महिला बैरक में निरीक्षण हेतु जाना था।
हमारे साथ टीम के बाकी पुरुष वर्ग बाकी लोग बाहर प्रांगण में ही रहे !
जेलर के कार्यालय में  कुछ लिखा पढ़ी की औपचारिकता पूरी करने के पश्चात    हम तीनों महिलाएं महिला बैरक  जाने को अ्ग्रसर हुईं !
कारागृह प्रांगण के भीतर एक तरफ पुरुषों का बैरक तो दूसरी तरफ महिलाओं के बैरक के बीच में बाउंड्री लगी थी गेट मे ताला लगा था! वहां गेट पर  सुरक्षा में दो महिला एस आई की ड्यूटी लगी थी!
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद मालूम हो रही थी !
वहां तैनात दो महिला दरोगा पुलिसकर्मियों ने  गेट अनलॉक किया , हम तीनों महिला अधिकारियों को ससम्मान भीतर महिला बैरक तक दो महिला पुलिस ने पहुंचाया !
महिला बैरक में हमारे पहुंचने के साथ  वहां महिला कैदियों में आपाधापी सी मच गयी,  जो कैदी लेटी थी , वह उठ कर बैठ गईं !  सभी हमें हैरत भरी नज़रों से देखने लगें!
उनकी आंखों में प्रश्न वाचक चिन्ह उभरकर  ख़ामोश लहजे से पूछ रहे थे  कि, ………आख़िर हम कौन है ? क्यों आए हैं  यहाँ उनकी बैरक में ? उनका सोचना भी वाजिब था !
उस जिला जेल का
वह महिला बैरक बड़े हाल की तरह था ।
उस हाल के चारों दीवार के किनारे किनारे  नीचे दरी बिछाकर  कैदी महिलाओं को सोने की व्यवस्था थी और उस विशाल हाल में दो दरवाजे थे । और दीवाल से सटे चारों ओर लकड़ी की कई खानेदार अलमारियां थी ।
जिसमें हर खानों में महिला कैदियों ने अपने नित्य प्रयोग के सामान व कपड़े  वगैरह रखकर अपना-अपना  ताला लगाकर बंद रखा था ।
यहाँ कुछ कैदी महिलाएं  नहाने – कपड़े धोने में व्यस्त थीं ।  कुछ कैदी लड़कियां  शायद नहा धोकर अपने बालों का साज सिंगार कर रही थीं । कुछ स्नान करके वही  अपने अंग वस्त्र पहन रही  थीं ,
सब में कुछ न कुछ हलचल हुई ।
कुछ देर पश्चात सामान्य स्थिति  में लौटती  महिलाओं ने पर  हमारे कहने पर  अपने-अपने नीचे लगे बिस्तरों पर  सभी शांतिपूर्वक बैठ गईं !
यहाँ  जिला जेल में कुल तीन महिला बैरक थे ,
हमने भीतर वहां घूम कर  बैरकों का निरीक्षण किया , साफ सफाई की व्यवस्था देखी , ..
यहां सबसे पहले हमने उन महिला कैदियों से घुलने मिलने की कोशिश में  हमने उनसे  बातचीत शुरू की ,….
 हम तीनों अधिकारी महिला कैदियों से उनके रहने , खाने-पीने के विषय में हमदर्द बनकर उन्हें विश्वास में लेकर सवाल पूछ रहे थे  ….! ताकि उन्हें विश्वास हो कि हम उनको जेल प्रशासन द्वारा प्रदान की जा रही आवश्यक सुविधाओं के विषय में जानकारी हासिल करना चाहते हैं ,  सुविधाओं में कुछ कमी हो तो हम  सुधार करना चाहते हैं । सुधार करने के लिए ही  हम यहाँ निरीक्षण कर रहे हैं, दरअसल जेल जेल नहीं होता है ।
यहाँ सुविधा कहां ? यहां अनेक प्रकार की असुविधाओं के बीच इन औरतों की जिंदगी कट रही थी । यहां हर बैरक में कम से कम  बारह पंद्रह की संख्या में कैदी महिलाएं रह रही थीं !
अपने निरीक्षण में पाया गया कि इनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा थी , कुछ तो युवा लड़कियां भी मोहब्बत करने के जुर्म. में कारागार के हवालात में बंद थीं !
चार पांच बुजुर्ग महिलाएं अपनी बहू को दहेज के लिए मारने के जुर्म़ में जेल पहुंची थी !
इस बैरक की महिला कैदियों में दो बुजुर्ग महिलाएं सजायाफ़्ता थीं , जिनकी आजीवन कारावास की सजा में जेल में ज़िंदगी कट रही थी!
एक महिला अपने पति की हत्या में जेल गई थी ।
महिला कैदियों की सबकी अपनी- अपनी , अलग-अलग दर्दनाक कहानियां थीं ।
कुछ लड़कियां पढ़ी-लिखी मालूम होती थी कुछ
कमपढ थीं !
 “उनकी  जेल में ज़िंदगी कैसे कट रही है ? “
पूछने पर  अधिकांश लड़कियों के चेहरों पर मायूसी  छा गई !
 एक  जिंदादिल लड़की ने कहा कि ,…………..
“मैडम जेल में कैसा लग  रहा है ? क्या बताएं ? जो नसीब में लिखा था वह हुआ ! हमें  जेल में भी खुशी-खुशी जीना ही है ! हम दुखी रह कर भी जीयें  तो क्या हासिल होगा ? यूंं भी जो नसीब में जो लिखा है वही होगा । “
कुछ बुजुर्ग महिलाएं अनपढ़ थीं , कुछ गुनहगार थीं , तो कुछ बिना गुनाह की सजा भुगत रही थीं !
डा0 निधि सिंह को भी आज दो  स्त्रियों की काउंसलिंग करके
अध्यक्षा महोदया को रिपोर्ट प्रेषित करना था ! जिसे जिलाधिकारी महोदय को भेजा जाना  था !
निधि जी ने  काउंसलिंग के लिए  एक पढ़ी-लिखी स्मार्ट दिख रही ,बला की खूबसूरत , शोख अदा वाली लड़की से बात करके अपना काउंसलिंग करने का निर्णय लिया ,
उनके मन में कौतूहल पूर्ण जिज्ञासा सिर उठाने लगी थी  ,…….. ये लड़की जेल में क्यों , कैसे आ गई ?
== तीनों अधिकारियों के लिए ये धरातलीय काउंसलिंग महिला कैदियों से कर के  जिलाधिकारी महोदय को यथार्थ रिपोर्ट भेजे जाने के लिए सख़्त निर्देश मिले थे !
निधि ने एक लड़की जिसका नाम प्रमिला था ! उसकी हवालात तक पहुंचने की हक़ीक़त क्या है ? ..उसके विषय में पूछा ,……….
पहले तो वह थोड़ी हिचकिचाती रही फिर उसने  बताना  शुरू किया और जो सच था वह बहुत ही तरतीब से , तरीके से बता दिया  !…….
उसने जो बताया वह हैरतअंगेज था ,…..
“वह ब्राम्हण परिवार की है और उसने अपने से निम्न जाति के लड़के से सच्चा प्रेम किया था “
यही उसका गुनाह था !”
वह इसी अपराध की वह सजा काट रही थी !  फिर भी उसके हौसले बुलंद थे ! प्रमिला द्वारा आगे  जो बताया गया——— निधि की आंखें हैरत से फैल गई ,….  –
— “ प्रमिला की अपनी  सगी मां ने ही प्रमिला के साथ छल किया था! बेटी की प्यार की जानकारी होने पर मां ने बेटी को अपने विश्वास में लिया कि ,…….. वह से प्रेम करने वाले लड़के से हर हाल में विवाह कराने के लिए प्रमिला के पिता से बात करेगी !
 मां ने बेटी को विश्वास में लिया ,….
 फिर पांच  दिन बाद मां  ने प्रमिला से कहा कि,…………
वह उस लड़के को घर बुलाएं उसे उसके पिता को तैयार कर लिया है अब उसकी शादी उसी लड़के से करवा देंगी ! बेटी की खुशी भी हम लोगों की खुशी है ! “
मां के इस आश्वासन पर प्रमिला बहुत खुश हो गई !
 मां द्वारा विश्वास दिलाने पर
प्रमिला को अपने प्यार नितिन को अपने घर बुला लिया वह भी विश्वास में आ गया
 परंतु नितिन को घर  बुलाकर ही पता चला कि ,……
“प्रेमी को प्रमिला से ही बुलवाकर धोखा करने की भयानक साजिश रचीं गई थी जिसकी जानकारी प्रमिला को नहीं हो पायी  थी , बाकी परिवार के सभी सदस्यों को थीं !
प्रमिला की मां ने बेटी को झूठे ही आश्वस्त किया था कि वह जिससे प्रेम करती है उसी से उसका विवाह कर दिया जाएगा ! “
 दरअसल प्रमिला के प्रेमी  नाितिन को  प्रमिला के द्वारा ही घर पर बुलवाकर उसे उसकी हत्या की साजिश रची गई थी !
जाहिर है  प्रमिला को विश्वास में  रखकर ही ऐसा किया जा सकता था ,
इस साजिश से प्रमिला एकदम अनभिज्ञ थी !
प्रमिला के लिए मां द्वारा किया गया छल एकदम अप्रत्याशित था , जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती थी ।
प्रमिला ने बताया , “  माना कि नितिन के घर आने के पश्चात जब उसे इस धोखे की बात पता चली,……..ऐसी ख़तरनाक परिस्थिति में, ऐसे  मुश्किल हालात में जान पर खेलकर अपने प्रेमी नितिन को थोड़ा  सा मौका मिलते ही घर की छत से खिड़की के पोर्च पर उतार कर बाहर भगा कर उसकी जान बचा दिया था ! वरना उस दिन उसके  होने वाले पति की उसके घर में ही मां पिता के द्वारा ही हत्या करा दी गई होती ! और अब अविश्वास और धोखा किस सागर इस घर में वह भी रूकती तो उससे भी जान से हाथ धोना पड़ता इसलिए पीछे से नितिन के साथ वह भी घर से निकल गई । और ख़ुद भी उन्ही कपड़ों में साथ निकल गई थी , नहीं तो उसे ही मार दिया जाता ! इनकी हत्या करने के लिए भाड़े के हत्यारे घर  में बुला लिए गए थे ! “
अंत में जब प्रमिला घर से भाग गई तो उसके प्रेमी नितिन  विरुद्ध  नामजद एफ. आई. आर.  करा दिया गया । पिता द्वारा  रिपोर्ट लिखा दिया गया कि ,……….उनकी बेटी  प्रमिला नाबालिक है , नितिन उसे बहला-फुसलाकर भगा ले गया है !
प्रमिला  के दु:ख का पारावार नहीं था  । वह  मायूस होकर बोली  ,……… पुलिस की नज़र से कहां तक  भागते , कहां छुपते ? यहां वहां बे-घर , बे-दर होकर छुपते छुपाते , आख़िर  एक दिन पुलिस  की गिरफ़्त में आ गए और  परिणाम सामने , हम आज जेल में है । प्रमिला की आंखों में आंसू भर गया , अपने आंसू पहुंचकर व सामान्य हुई फिर सिलसिलेवार सब बताया । कि ,……..मां , पिता , भाई   सब के सब उसके प्रेम के दुश्मन बन गये थे , तो कहां पनाह मिलता हमें ?
अब तो यह जेल ही हमारा घर हो गया है जी !  सब कुछ भुला कर यहां रह रही हूं , हम सभी हमें दुख दर्द भुला कर यहां सामान्य तरीके से जिंदगी जीते हैं । अपने मनोरंजन के लिए हम कभी-कभी हम गाते नाचते हैं , हम तो हर हाल में खुश रहने की कोशिश करते हैं ।
जब अपनी बेटी को दिल जान से प्यार करने वाले , उसकी खुशियों पर सब कुछ निछावर करने वाले , माता पिता ही बेटी की खुशियों  के , उसके सपनों के , व बेटी की जिंदगी के दुश्मन हो गए बस झूठी शान के लिए !  झूठी इज्जत आबरू के लिए ,….. तो आगे तो अब भगवान का ही सहारा रह गया है । मां जगदंबा और परमपिता परमेश्वर की कृपा से  ही सब ठीक हो सकता है ! परम सत्ता ही संबल हैं ।
प्रमिला की पूरी कहानी सुनने के बाद नीधि सिंह ने अपनत्व भरे भाव से फिर  पूछा कि  प्रमिला ,…………
“आप अब जेल से छूटने के बाद आगे की ज़िंदगी  के लिए क्या इरादा रखती  हैं  ? बहुत लंबा है ये जीवन …. अच्छी तरह से सोच समझ लिया है कि नहीं । और जब तक ज़िंदगी है जीना ही पड़ेगा !  कैसे कटेगी  बाकी की ज़िंदगी ? कुछ तो इरादा किया होगा ? ……
इतना सब होने के बाद अब  और दूसरा क्या इरादा हो सकता है ।  मैडम जी ?“  प्रमिला  के जवाब में दृढ़ निश्चय , कठोर निर्णय झलक रहा था, उसने अपनी प्रतिज्ञा सब तरतीबी से बयान किया ,…
“वह वहां से निकलेगी और अपने प्रथम प्यार से ही शादी करके अपने मोहब्बत  की छाँव में अपना आशियाना बसायेगी ! उसने अपने प्रियतम नितिन के साथ ही बाकी जिंदगी बिताने का दृढ़ निश्चय कर लिया था । अपना पहला प्यार छोड़कर किसी पराए पुरुष के बारे में वह इस  इस ज़िंदगी में वह सोच भी नहीं सकती । उसकी आंखों से दृढ़ता का उफान  हिलोरें ले रहा था! “
वह दांपत्य जीवन का शुरुआत करके एक अच्छी जिंदगी जीने की तमन्ना पाले जेल की महिला बैरक में अपनी जिंदगी  व्यतीत कर रही थी  ! प्रमिला ने यह भी अवगत कराया कि,………………………
” उसका प्रेमी नितिन भी  यहीं इसी कारागार में पुरुष बैरक में जेल में दिन काट रहा है । और उसने भी यह दृढ़ निश्चय कर लिया है कि यह से छूटने के बाद अपनी बाकी जिंदगी अपनी प्रेयसी प्रमिला के साथ  विवाह करके दांपत्य जीवन  खुशी-खुशी साथ बिताएगा ! उसे कोई रोक नहीं सकता है ,“
“हम दोनों को अपने अपने माता-पिता से कोई मतलब नहीं रखना है , उनका निश्चय अडिग है । दोनों को ईश्वर पर अटूट विश्वास था उन्हें अब परस्पर मिलने से , विवाह करने से ,दुनियां की कोई ताकत नहीं रोक सकती है !
”हालांकि अभी परिस्थितियां  अत्यधिक विपरीत हो गई हैं । अब इस दु:ख को भी सहना पड़ेगा कि ,……. जीते जी ही अब प्रमिला के मां-बाप प्रमिला के लिए संसार में जीवित नहीं रह गये थे ! जेल के इस    महिला बैरक  में अभी वक्त काट  के बाद बाकी जीवन वह उसी बुलंद हौसले और जिजाविषी के साथ अपने प्रेम के आशियाने को गुलज़ार करने  का  दिल से दृढ़ इरादा कर लिया था ! वह अपना आशियाना अपने होने वाले पति नितिन के साथ ही बनाना चाहती है ! इसके लिए दोनो ने दृढ़ प्रतिज्ञ थे ! “
प्रमिला धीरे-धीरे खुल गई और जो बताया वह सुनकर किसी को भी हैरत होगा ! उसकी कहानी  हक़ीक़त बनाम कहानी में निधि की दिलचस्पी बढ़ गयी !
” तो तुम अपने मां बाप से कभी मुलाकात नहीं करोगी  ?”  मैंने  उससे पूछ लिया ।
जवाब मिला ——— ,
“कदापि नहीं “….मर जाऊंगी मगर उनसे कभी नहीं मिलूंगी !
“यह तुम्हारा अंतिम फैसला है ? ”   निधि ने प्रश्न किया ,….
“मेरा यह फैसला पत्थर की लकीर की तरह है मैडम जी “……प्रमिला की हक़ीक़त मुझे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है ,.. … दरअसल दो दिलों का यह रूहानी प्यार होता ही कुछ ऐसा है !
“सभी रिश्ते नाते हैं आप के माता पिता , सब कुछ छूट जाए मगर अपने प्यार से अलग रहना मंजूर नहीं !”
प्रमिला की इस हक़ीक़त  /सत्यकथा को  सुनकर , सोचकर अजीब मन:स्थिति में  निधि के मन में बहुत कुछ उमड़-घुमड़ करने लगा ।
“सचमुच. प्यार अजर , अमर होता है इस सृष्टि में सच्चा प्यार ही जीवन का आधार है ! यह लौकिक संसार प्यार का संजाल ही तो है । सच ही कहा गया कि जहां प्यार है वहां परमात्मा का निवास होता है अर्थात प्यार ही पूजा है प्यार इबादत है ,.।”
  निधि के विचारों  की आवाजाही में यह सोच प्रमुखता से उभर आई कि,…….  …………….  .
“आखिर यह कैसी परिवार की प्रतिष्ठा है ? किस तरह की इज्जत , आबरु है ? अपनी औलाद की हर खुशी के लिए मर मिटने वाले मां-बाप , उनकी मोहब्बत वाली खुशी में शामिल नहीं हो पाना कैसा कैसा बंधन है कैसा प्रतिबंध है । यहां तक कि माता-पिता अपनी ही औलाद का कत्ल करने पर उतारू हो जाते हैं , कर भी देते  हैं । खास तौर से बेटियों का । अपनी बेटी का किसी से प्यार करक विवाह करना , उनके लिए अपने घर ,परिवार की तौहीन कराना होता है ! माता पिता की पगड़ी उछालना अर्थात उनकी प्रतिष्ठा  मटिया मेट कर देना यानि ख़ाक में मिलाना होता है ।”
“हक़ीक़त  यह है कि,……  बेटी को किसी से प्यार हुआ है यह सुनकर भड़क उठते हैं ।  वे अपनी बेटी और उसके प्रेमी की जान लेने पर उतारू हो जाते हैं अपनी बेटी से प्यार खत्म हो जाता उसके दुश्मन बन जाते हैं !”
और उन्हें मौत देकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के  एहसास में डूबकर  गर्व महसूस करते हैं ! बेटियों का ऑनर किलिंग हर जाति धर्म में हो रहा है । खाप पंचायतें तो अगर उनका बस चले सीधे मौत का फ़रमान ही सुना दें प्रेमी जोड़ों को, कोई ताज्जुब नहीं । यानी मां-बाप , परिवार , समाज के दिल में सच्चे प्यार के लिए कोई जगह नही ! यानी मोहब्बत की कोई अहमियत नहीं ! मोहब्बत करना यानी कोई  निकृष्ट या बहुत बुरा अपमानजनक कर्म करना ।”
आधुनिकता का लबादा ओढ़े आज का तथाकथित प्रगतिशील सभ्य  समाज  के लोग सुंदर अंग्रेजी शब्द में इसे ऑनर किलिंग कहते हैं ! इससे इज्जतदार लोगों की इज्जत बच जाती है ! जबकि किसे नहीं मालूम है कि हम्माम में तो सभी नंगे हैं ! यहां  भी यही सच्चाई है कि,……………. सच्चे प्यार के लिए इन दोनों प्रेमियों को  कारागार की सजा  इनाम में मिला है !”
निधि द्वारा की जाने वाली काउंसलिंग के अगले क्रम में उसी महिला बैरक में दो  बहुत बुज़ुर्ग महिलाओं ने बताया कि,………………….
”  दहेज हत्या में उन्हें फर्जी फंसाया गया है ! बहू के मायके वालों ने उसके ख़िलाफ़ नामजद एफ आई आर दर्ज करा दिया ,गया ,.. जबकि उनकी बहू स्वयं जलकर मरी थी उन्हें पता भी नहीं था ।
उनका उसमें किसी प्रकार की भागीदारी नहीं थी  सच में निर्दोष है   इन बुजुर्ग महिलाओं  ने जैसी अपनी आपबीती सुनाई ? “
 हमने वैसे ही रिपोर्ट तैयार की !
सभी महिला कैदियों का एक कथन सामान्य था कि ,….
” कोर्ट कचहरी द्वारा सजा मिल गई तो भुगतना ही है !  उनके लिए जेल में बुढ़ापा  काटना बहुत तकलीफ़देह  महसूस होता था ! “
दोनो बूढ़ी महिलाओं ने रोते हुए अपने आप बीती सुनाया था , वृद्धावस्था में उन्हें जेल में बहुत कष्टमय जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है ।”,…………… वृद्धाओं ने रो-रो कर बताया ‘….
मगर वहीं उस जेल में सजा काट रही लड़कियों का आभार प्रकट किया कि ,…………………….
“इनकी वजह से हम लोग हंस बोल  कर खुश रहने की हर संभव कोशिश करते हैं  नहीं तो जेल की  …. जिंदगी तो नर्क से भी बदतर है , अपना घर अपना ही घर होता है!”
एक स्त्री ने अपने अत्याचारी शराबी पति द्वारा शराब पीकर उसे रोज मारने पीटने  गंदी गंदी गालियां देने , परस्त्री गामी पति  के हत्या का आरोप में यहां थी ..उसने जो बताया वह अकल्पनीय था , मगर उसने सहर्ष कबूल भी किया , कि उसने अपने पति की हत्या की है , और कोई गलती नहीं की है , उसे कोई दु:ख या पश्चाताप  कतई नहीं है !
अगर मैं उसे नहीं मारती तो मुझे मार कर मेरे दोनों बच्चों  को अनाथ कर  उनसे भीख मांगवाता ।
 फिर उसकी आंखों में खून उतर गया आंखें लाल हो गई उसने जो बताया मैं कल्पना भी नहीं कर सकती,..
उसने कहा मैडम जी मैं तब भी उसे जिंदा रखती , कभी भी अपने मांग का सिंदूर स्वयम नहीं धोती , मगर एक दिन उसने ऐसा किया, जिसकी कोई मां कल्पना भी नहीं कर सकती ,….. शराब के नशे में वह एक दिन  , …?
मेरी बेटी यानी खुद की जायी बेटी से ही  हमबिस्तर होने  की नाकाम कोशिश की, …. यह देख मेरा खून खौल उठा , उसी दिन उसका काम तमाम हो गया होता
लेकिन बच गया ।
“उसी क्षण उसकी हत्या करने का मैंने पक्का इरादा कर लिया था ।” ख़ुद रोज-रोज मारना या उसे ही मार देना ,  यही एकमात्र विकल्प रह  गया था मेरे लिए । न रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी।
क्योंकि  वह वैसा उज्जड्ड , निकृष्ट कमीना , व्यक्ति था कि ,….. जीते जी मुझसे संबंध विच्छेद करके कतई छोड़ता भी नहीं , वह इसके लिए दृढ़ प्रतिज्ञ था। मेरा जीवन नर्क में तब्दील कर मुझे चलती फिरती लाश बना दिया था ।
 “मैडम जी , ….वह नर नहीं नराधम था , मनुष्य नहीं राक्षस था ।”
 यह सब सुनकर निधि का दिल  बेतरह व्यग्र हो गया था  , ….. मगर अपने पर काबू कर के  उस पति की  हत्यारिन महिला की आपबीती यह रिपोर्ट लिखती गयी  । फिर भी यहां ” महिला बैरक ”  के पर्यवेक्षण के उपरांत हवालात में जैसे तैसे  बसर करती ग़मगीन महिलाओं की ज़िंदगियों की आपबीती सुनकर
मद्देनजर निष्कर्ष  ये निकला कि यकी़नन  यहाँ  इस “महिला बैरक”  की कैदी. लड़कियों से ही बैरक गुलजार है! इनकी वजह से यहां ग़म के साथ खुशियों के भी तराने हैं ! खुशी तो इंसान की मन:स्थिति पर निर्भर करती है।
जैसा इन स्त्रियों का बयान था कि यहाँ लड़कियां अपने मनोरंजन के लिए गाना गाती हैं , किस्से सुनाती हैं , गाती , नाचती हैं , खिलखिलाती हैं , और हर हाल में ज़िंदादिली से रहते हुए ख़ुद खुश रहने एवं अपने साथ बुजुर्ग महिलाओं को भी खुश रखने की  हर संभव कोशिश करती हैं ! “
यहां  एक कविता की यह पंक्ति चरितार्थ हो गई कि ,… — ——-
“ कहीं भी रहें चमन के गुल खुशबू ही बिखेरेंगे ! “
वहीं बुजुर्ग महिलाओं के लिए भी यह कहावत सटीक है कि ——-
“ कटी पतंग सी है जिंदगी ” …. , रात हो या दिन हो , उम्र की बांह पकड़े चलती रहेगी , पुरानी पतंग इक न इक दिन कट ही जाएगी । मृत्यु के आगोश में  विश्राम लेगी इक दिन ——- तो क्यों न खुशी से जीने की कला सीख लें ! “
डॉ. तारा सिंह अंशुल
डॉ. तारा सिंह अंशुल
विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मानों से नवाजी़ गयी वरिष्ठ कवयित्री , लेखिका , कथाकार , समीक्षक , आर्टिकल लेखिका। आकाशवाणी व दूरदर्शन गोरखपुर , लखनऊ एवं दिल्ली में काव्य पाठ , परिचर्चा में सहभागिता। सामाजिक मुद्दे व महिला एवं बाल विकास के मुद्दों पर वार्ता, कविताएं व कहानियां एवं आलेख, देश विदेश के विभिन्न पत्रिकाओं एवं अखबारों में निरन्तर प्रकाशित। संपर्क - [email protected]
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1 टिप्पणी

  1. बहुतत्र अच्छीऔर दिल को छू लेने वाली कहानी। लेखिका को ढेरों शुभकामनायें।

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