नीरजा हेमेन्द्र की कहानी – पीले दरख़्त
बचपन में गुरुजनों से सुना था कि जीवन के सबसे अच्छे दिन बचपन के होते हैं। उस समय उनकी कही गयी इस बात को उतनी...
वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – फूल कठिन परिश्रम का परिणाम होते...
कुछ दिन पहले की बात है जब पेड़-पौधे अलसाए-से खड़े थे। अपनी सारी हिम्मत लगा कर शीतकाल से अपने जीवन की रक्षा में जी-जान...
संपादकीय – यहां भी वही… वहां भी यही…!
गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने जब हाल ही में एक बयान में कहा, “बस बहुत हो गया। ब्रिटिश लोग इस मुद्दे का हल चाहते...
नीरजा हेमेन्द्र की कहानी – पीले दरख़्त
बचपन में गुरुजनों से सुना था कि जीवन के सबसे अच्छे दिन बचपन के होते हैं। उस समय उनकी कही गयी इस बात को उतनी...
कमला नरवरिया की लघुकथा – थप्पड़
लड़की ने हमेशा की तरह लड़के को फोन किया। और लड़के ने हर बार की...
डॉ पद्मावती की लघुकथा – अपनापा
बाप की तेरहवीं अभी बीती ही थी कि दोनों बेटों ने घर बेच दिया ।...
बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’ की दो लघुकथाएँ
बच्चे, बम, बर्बाद
पता नहीं कहाँ से आकर कौओं ने काँव-काँव कर कहा, “उठ...
सपना चंद्रा की लघुकथा – अभिमान
मुग्धा ने बच्चे के जन्मदिन पर सत्यनारायण की पूजा रखवाई थी। जान-पहचान और पड़ोसियों को...
राजेश पाठक की लघुकथा – घड़ी
दीपू सातवीं कक्षा में था। पढ़ाई में औसत।आलसी भी। वह सुबह - सुबह तैयार हो...
सौम्या पाण्डेय ‘पूर्ति’ की कलम से ‘फुंगियो पर धूप’ की समीक्षा
पुस्तक - "फुंगियों पर धूप"; लेखक : डॉ सन्तोष खन्ना; समीक्षक : सौम्या पाण्डेय "पूर्ति"
प्रकाशन वर्ष : 2021; मूल्य : ₹450 सजिल्द, पृष्ठ :...
सार्थक सिनेमा के शैदाईयों के लिए ‘बातों बातों में’ बासु चटर्जी...
पुस्तक – बातों बातों में; विधा – जीवनी बासु चटर्जी (बासु दा); लेखिका – अनिता पाध्ये
प्रकाशक – अमन प्रकाशन; समीक्षक – तेजस पूनियां; मूल्य...
वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – फूल कठिन परिश्रम...
कुछ दिन पहले की बात है जब पेड़-पौधे अलसाए-से खड़े थे। अपनी सारी हिम्मत लगा कर शीतकाल से अपने जीवन की रक्षा में जी-जान...