जीवन उतार-चढ़ाव का एक रोलरकोस्टर है। कोई भी स्थिति ज्यादा देर तक एक जैसी नहीं रहती। एक पल के लिए खुदको सबसे नीचे महसूसने वाला व्यक्ति भी अगली बार अपनी सोच के शीर्ष पर पहुंच जाता है। यहाँ जो व्यक्ति जितने प्रयास करेगा, सोच सकारात्मक रखेगा, वह सफलता का उतना हिस्सा प्राप्त कर लेगा।
आगे की ओर तेजी से दौड़ते जीवन कदम, कभी थमने से लगते हैं। कभी यही जोश में भर कर उठने वाले तरक्की चाहते कदम, धीमे हो जाते हैं या ठहर जाते हैं। ऐसा भी होता है कि सभी प्रयासों के बावजूद कदम  पीछे की ओर जाते-से महसूस होते हैं। इससे घबरा कर ठहरना, या हताश होना ठीक नहीं है। असल में यह प्रकृति का नियम है। कभी तेज, कभी मद्धम, कभी ठहरे-से तो कभी विपरीत दिशा में बढ़ते कदम जीवन को उसके असल स्वरूप में जीने का ही एक रूप है। 
दाएं-बाएं भटकते कदमों को सही राह पर लौटाना और अपना तथा आसपास के माहौल की सकारात्मकता हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। जो व्यक्ति समाज और देश निर्माण में जितनी तत्परता रखता है, जीवन के रोलरकोस्टर की राइड उसके लिए उसी अनुपात में कम डरावनी और कम भयभीत करने वाली या आनंददायक साबित होगी। इस चलने-थमने, उपर-नीचे की दौड़भाग को सहजता से लेने से जीवन के रोलरकोस्टर का सही आनंद संभव होगा।

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