वैश्विक परिदृश्य में मुक्त व दूरवर्ती शिक्षा द्वारा हिंदी भाषा और संस्कृति का प्रसार

प्रो. सरोज शर्मा अध्यक्ष राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान नोएडा, उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान विश्व का सबसे बड़ा मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान है और वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान में निरंतर वृद्धि हो रही है। स्कूली शिक्षा को नई दिशा देने के लिए अनेक...

रवि रंजन कुमार ठाकुर का लेख – उर्वशी: आधुनिक स्त्रीत्व का दृष्टिबोध

उर्वशी की कथा ऋग्वेद से महाभारत तक में विस्तार पाता है। इस विस्तार में उर्वशी के स्त्रीत्व का उद्घोष गुंजायमान है। शतपथ ब्राह्मण में वह अप्सरा से श्रेष्ठ मानवी स्वरूप में दिखाई देती है। मानवीय संवेदनाओं का स्पर्श ही उसे अनोखा स्त्री व्यक्तित्व प्रदान...

डॉ. नितिन सेठी का लेख – हिन्दी ग़ज़लकोश : सृजनपरक ऐतिहासिक विकासयात्रा

हिन्दी ग़ज़ल कोश - संपादक हरेराम समीप, (2024), प्रकाशक - Anybook, Mob: 9971698930, Email: contactanybook@gmail.com पृष्ठ संख्या - 590, मूल्य - रु.680/- मात्र... इस संकलन में  तीन सौ से अधिक ग़ज़लकारों की ग़ज़लें संकलित की गई हैं।  हिन्दी ग़ज़ल एक ऐसी सांस्कृतिक परम्परा का निर्माण और...

जिद के पक्के, चित्रकार भाऊ समर्थ

भाऊ के बारे में सहजतः कुछ औपचारिक बातें की जाती रही हैं जो कलाकारों के द्वारा कम साहित्यकारों के द्वारा अधिक कही गई हैं। स्पष्टतः इसका कारण भाऊ का साहित्यकों के प्रति अनुराग और साहित्यिक संवेदनशीलता ही प्रमुख कारण है। उस समय नागपुर में...

विनय सिंह “मुन्ना” का संस्मरण – होली

मेरे बड़े बाबा स्वर्गीय अभिलाख बहादुर सिंह (बप्पा बाबा) बेहद जिंदादिल इंसान थे। और जहां तक मुझे पता है 'बप्पा बाबा' वामपंथी नहीं थे, मुसलमान तो बिल्कुल भी नहीं थे। फिर भी पता नहीं क्यों उन्हें होली के रंगों से बड़ी चिढ़ थी।  फागुन का...

लता तेजेश्वर ‘रेणुका’ का लेख – हिन्दीतर भाषी हिंदी लेखकों की मुश्किलें

हिन्दीतर भाषी हिंदी लेखक, लेखिकाएँ भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से हिंदी से जुड़े हुये हैं और हिंदी को आगे बढ़ाने में इन सब का योगदान विशेष है, जिनके साहित्य कई क्षेत्र में हिंदी को समृद्ध किया है। हिन्दीतर भाषी होने से  हिंदी समझने और हिंदी...