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अनामिका की कविता – शीरो
शीरो
(लखनऊ के शीरो कैफे की मलंग, कर्मठ नायिकाओं को समर्पित कविता)
- अनामिका
थोड़ा मारा, रोए!
बहुत मारा, सोए!
सोकर तो ताजदम हो ही जाती है
यह औरत की...
सूर्यकांत शर्मा की सिने समीक्षा – मामला लीगल है : एक कोर्टरूम कॉमेडी
ओ टी टी ने अपनी शुरुआत से ही भारतीय दर्शकों की नब्ज को पहचान कर कितने ही अच्छे सीरियल दिए हैं, जिसमें नामी गिरामी...
संपादकीय – अंतिम संस्कार और अस्थियों में हेरा-फेरी
एक महिला ने तो रह्स्योद्घाटन करते हुए बताया कि उसके पति का अंतिम संस्कार 8 महीने पहले हो चुका था मगर उसका शव अभी...
डॉ कृष्णलता सिंह की कहानी – हर्ज क्या है
पार्टी शानदार चल रही थी।ऑफिसर व्हिस्की, बीयर,जिन और लेडीज़,वाइन,लाइम सोडा,कोक,जूस हाथ में थामें -'चीयर्स टू न्यूली वेड कपल'-कहकर अपनी अपनी ड्रिंक इंज्वॉय कर रहे...
डॉ पुष्पलता की कलम से डॉ सुधाकर अदीब के उपन्यास...
समीक्षक
डॉ पुष्पलता मुजफ्फरनगर
डॉ सुधाकर अदीब जी का वृहद उपन्यास 'महापथ' मिला। असाधारण बालक आदि शंकराचार्य के व्यक्तित्व और कृतित्व की विस्तार से शोध पूर्वक ...
विनय सिंह “मुन्ना” का संस्मरण – होली
मेरे बड़े बाबा स्वर्गीय अभिलाख बहादुर सिंह (बप्पा बाबा) बेहद जिंदादिल इंसान थे। और जहां तक मुझे पता है 'बप्पा बाबा' वामपंथी नहीं थे,...