The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 6

डॉ ममता मेहता का व्यंग्य – गिरगिट

"चल न क्या किताबों में मुंह गड़ाए बैठी रहती है." नीरू ने चारु के कंधे हिलाते हुए कहा. "अरे अरे रुक तो.. बहुत ही बढ़िया...
The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 7

वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – अपने आप पर भरोसा करें

‘जो करना है, बस इसी समय करना है।‘ यह कथन हम सबने ना जाने कितनी बार ‘सुना’ है। बहुत से लोगों ने इसको अपनी...

अपनी बात

साक्षात्कार

The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 8

संपादकीय – किराये पर परिवार…!

अब जापान में किराये के रिश्तेदार मिलने लगे हैं। डेली वेज वाले कलाकार भी हैं। जो दिन में परिवार के सदस्य की एक्टिंग करते...

कविता

व्यंग्य

कहानी

The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 19

नीरजा हेमेन्द्र की कहानी – नीले फूलों वाले दिन

अपनी क्लास लेकर अचला बाहर आ गयीं। क्लास से निकलते ही बाहर का मौसम खिला-खिला मौसम अच्छा लगा। बाहर गुलाबी धूप खिली थी।       अचला क्लास...

लघुकथा

The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 24

जय शेखर की दो लघुकथाएँ

प्रेम  वह आज पूरे 5 दिन कर घर लौटा था । उसे देखते ही परिवार के...
The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 25

कमला नरवरिया की लघुकथा – रक्षाबंधन

सावन का महीना चल रहा था।  आसमां नीला और धरती पहले से अधिक हरी हो...
The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 26

दिव्या शर्मा की दो लघुकथाएँ

1- सर्व धर्म समन्वय फेसबुक पर एक न्यूज एजेंसी के पेज पर नजर पड़ते ही मैं...
The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 27

कमला नरवरिया की दो लघुकथाएँ

1 - पंचायत गांव में चौपाल पर मर्दों की पंचायत बैठी हुई थी। पंचायत में झुनिया...
The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 28

सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा की दो लघुकथाएँ

1 - दूसरे जैसा "बड़ी गुमसुम सी लग रही हो ।" "नहीं तो !" "झूठ मत बोलो ।" "तुमने...

पुस्तक समीक्षा

ग़ज़ल एवं गीत

सूर्यकांत नागर की कलम से – लाेक और दलित जीवन का...

पुस्तक - वसंत के हरकारे: कवि शैलेन्द्र चौहान संपादक: सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा प्रकाशक - मोनिका प्रकाशन, जयपुर मूल्य: 300 रूपये समीक्षक - सूर्यकांत नागर वसंत के हरकारे:...

मोहन सपरा की कलम से – पांव ज़मीन परः लोक जीवन...

कथा रिपोर्ताज : पांव जमीन पर / शैलेन्द्र चौहान मूल्य : 300 रुपये प्रकाशन : बोधि प्रकाशन, एफ-77, करतारपुर औद्योगिक क्षेत्र, बाईस गोदाम, जयपुर...

डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – प्यास बैठी है पास पानी के

The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 33
रंग सारे उदास पानी के, बस रहें आस-पास पानी के। ओक भी है उदास औ' लब भी, प्यास बैठी है...

गज़ाला तबस्सुम की ग़ज़ल – बच्चों पे कुछ तो रहम किया कर ऐ मुफ़लिसी

The Purvai - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता 34
पुख़्ता हो हर सड़क भी, कुशादा भी चाहिए सर पे हमें दरख़्तों का साया भी चाहिए क्या क्या तुझे...

लेख

फ़िल्म समीक्षा

बाल साहित्य

इधर उधर से