ज़रूरी या मज़बूरी ‘अरावली’

राजस्थान! एक ऐसा प्रदेश जहां सूखा भी है तो रेतीले धोरे भी। अरावली पर्वतमाला भी है तो बर्फ गिरने लायक क्षेत्र भी। एक ऐसा प्रदेश जो राजनीति से लेकर सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। जो जाना जाता है 'पधारो म्हारे...

ताली : भारतीय समाज को एक ज़रूरी संदेश देती वैबसीरीज़

आंकड़े बताते हैं कि बहुत से ऐसे किन्नर बच्चे है जिन्हे परिवार का प्रेम एवं साथ नहीं मिलता , हमेशा परिवार के प्यार के लिए तरसते रहते है। किन्नर समुदाय में शिक्षा का नितांत अभाव है। कारण स्पष्ट है, वे अपने ही लोगों द्वारा...

छोरी होने का हर्जाना भरती ‘अजमेर 92’

'आप उतना जानते हैं, जितना पढ़ा या सुना है, लेकिन 1992 में आखिर क्या हुआ था? हकीकत हम बताते हैं...' ये डायलॉग है 'अजमेर 92' फिल्म का। पिछले महीने चुपके से आकर चली गई इस फिल्म ने कश्मीर फाइल' (साल 2023 के नेशनल अवॉर्ड...

‘बवाल’ नहीं, ‘बदलाव’ लेकर आए हैं नितेश तिवारी

फ़िल्में सिर्फ़ फ़िल्में नहीं होती हैं। वे समाज का आईना होती हैं। मगर वे समाज में होने वाली या हो सकने वाली घटनाओं को सिर्फ़ एक दर्पण की भाँति नहीं दिखाती हैं, बल्कि एक लेखक के मन में जो कहानी जन्म लेती है, उसे...

सूर्यकांत शर्मा की कलम से ‘रानी और रॉकी की प्रेम कहानी’ की समीक्षा

आज का ग्लोकल से ग्लोबल होते-किशोर,युवा और आम जन,अब लीक से हटकर कुछ ऐसा देखना चाहते हैं।जिसे वह सच्चाई से जोड़ सके।कोरोना जैसी महामारी के पंजे से मुक्त पर कुप्रभाव ग्रसित,जनमानस अब कॉमेडी के पुट से जीवन को और बेहतर तरीके से जीना चाहता...

अनावश्यक मसालों की छौंक से बेस्वाद हुई कटहल

‘कटहल’ फिल्म की कुल अवधि दो घंटे से भी कम है। इतने कम समय में जातिवाद-मर्दवाद जैसी तमाम बातों पर समाज-सुधार का संदेश देने के फेर में यह फिल्म अपने उस मूल मर्म से कट जाती है, जो कटहल चोरी के साथ जुड़ा होता...