होमकवितारश्मि 'लहर' के दोहे कविता रश्मि ‘लहर’ के दोहे By Editor March 16, 2024 4 212 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp गलियाँ सब सूनी पड़ीं, चौराहे भी शान्त. बच्चे गए विदेश में, ममता विकल नितांत. जर्जर होते पट मुंदे, घर सूना दिन- रैन. है खंडहर होता भवन, ढहने को बेचैन. औरों की आलोचना, करते हैं भरपूर. आत्म-मुग्ध होते रहें, रख दर्पण को दूर. अवसादी फागुन मिला, चिंतित मिला अबीर. खूनी होली देखकर, व्याकुल हुए कबीर. संस्कृति निर्वसना मिली, उच्छृंखल परिवेश. बच्चों को भाता नहीं, अब पुरखों का भेस. रश्मि ‘लहर’ इक्षुपुरी कॉलोनी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखदीपमाला गर्ग की कविता – बेटी : हमारा गौरवअगला लेखसूर्यकांत शर्मा की सिने समीक्षा – मामला लीगल है : एक कोर्टरूम कॉमेडी Editor RELATED ARTICLES कविता आशमा कौल की कविताएँ October 19, 2024 कविता गरिमा भाटी ‘गौरी’ की कविता – यमदीपक और स्त्री October 19, 2024 कविता अनिमा दास के दो सॉनेट October 19, 2024 4 टिप्पणी वाह रश्मि।अत्यंत सारगर्भित दोहे साझा किए आपने। जवाब दें सादर धन्यवाद! जवाब दें बहुत सार्थक एवम सुंदर दोहे जवाब दें सादर धन्यवाद! जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 अपनी बात…… April 6, 2018 और अधिक लोड करें Latest ‘विविध भारतीय भाषा संस्कृति संगम’ द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन October 19, 2024 डॉ. मोनिका देवी की कहानी – तड़पती जिंदगी October 19, 2024 दिलीप कुमार की संस्मरण-कथा – भागे हुए लड़के October 19, 2024 आशमा कौल की कविताएँ October 19, 2024 और अधिक लोड करें
वाह रश्मि।अत्यंत सारगर्भित दोहे साझा किए आपने।
सादर धन्यवाद!
बहुत सार्थक एवम सुंदर दोहे
सादर धन्यवाद!