‘हिंदी ना उर्दू, हिंदुस्तानी भाषा का शायर हूं मैं’ अनुभूति की आठवीं ‘संवाद शृंखला’ में बोले डॉ.बी.एस. सुमन अग्रवाल
कमरा खोला तो आँख भर आईं,
वो सच्चा असल में है दोस्त तेरा
फरिश्ता उसको कहना है मुनासिब
कभी इस ज़िन्दगी में ये करिश्मा क्यूँ नहीं होता
आगे निकल गए सभी चूहों की दौड़ में
फसादों में मरे हैं कितने बच्चे
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