प्रख्यात लेखक एस आर हरनोट के रचनाकर्म पर दो पत्रिकाओं के विशेषांक लोकार्पित.
हिंदी साहित्य में यह सोच और परंपरा रही है कि लेखक जब इस दुनिया में न रहे फिर उस पर साहित्य पत्रिकाएं या तो विशेषांक निकालने लगती है या उनमें एक दो आलेख बतौर श्रद्धांजलि या स्मरण संस्मरणों के दे देती है। बड़े पुरस्कारों की उठापटक में तो ऐसे लेखक भी शामिल किए जाते हैं जब न तो वो चल सकते, न देख और बोल सकते। कितना सुखद लगता है जब कभी कभार कोई पत्रिका रचनारत लेखक के रहते हुए उसके साहित्यिक अवदान पर बात विशेषांक निकाले।
हिमाचल की बात करें तो शिमला के एक पिछड़े गांव के निवासी एस आर हरनोट अपने चौथे कहानी संग्रह दरोश तथा अन्य कहानियां पुस्तक के प्रकाशन के बाद उस समय चर्चा में आए जब इस संग्रह पर हिंदी के शीर्ष सिद्धहस्त आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने दिल्ली दूरदर्शन पर प्रख्यात कवि मदन कश्यप के साथ चर्चा की और उसके बाद इस संग्रह को अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान और हिमाचल अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। शायद ही उसके बाद देश की कोई ऐसी पत्रिका रही होगी जिसने इस संग्रह का नोटिस न लिया हो। उसके बाद उनकी कभी न रचनात्मक यात्रा रुकी और न ही उन पर की जा रही चर्चा रुकी। वे आज भी पूर्व की तरह सक्रिय, ऊर्जावान और रचनात्मक है. अपने लेखन के साथ साथ उन्होंने अपनी संस्था हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के माध्यम से शिमला में एक ऐसा साहित्यिक माहौल तैयार किया है जिसकी धमक न केवल प्रदेश में बल्कि देश भर में सुनाई दे रही है.
यह अत्यंत सुखद सूचना है कि एस आर हरनोट के अबतक के साहित्यिक व सांस्कृतिक योगदान पर दो साहित्यिक पत्रिकाओं के विशेषांक प्रकाशित हुए हैं और शिमला में उनके लोकार्पण और परिचर्चाएं भी दो भव्य आयोजनों में सम्पन्न हुई है।
पहला विशेषांक देहरादून से डॉ. रंजिता सिंह तथा जय प्रकाश त्रिपाठी के संपादन में प्रकाशित होने वाली पत्रिका कविकुंभ ने हरनोट पर केंद्रित किया और प्रशंसनीय तथा महत्वपूर्ण कार्य यह हुआ कि इसका लोकार्पण शिमला में 28 दिसंबर, 2021 को रंजिता सिंह और त्रिपाठी जी ने वहां हिमाचल अकादमी और देश भर में पुस्तक मेलों के आयोजक ओकार्ड इंडिया द्वारा आयोजित साहित्य उत्सव व पुस्तक मेले में किया गया। इस आयोजन की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश भाषा विभाग के निदेशक डॉ.पंकज ललित ने की और रंजिता सिंह ने विस्तार से हरनोट पर केंद्रित विशेषांक के बारे में चर्चा की।
जानी मानी लेखिका और अनुवादक प्रो.मीनाक्षी एफ पॉल, सेतु पत्रिका के संपादक डॉ. देवेंद्र गुप्ता, डॉ. विद्या निधि छाबड़ा और ख्यात कवि आलोचक आत्मा रंजन द्वारा हरनोट के रचनाकर्म और साहित्य तथा मीडिया की भूमिका पर अपने अपने वक्तव्य दिए। इस विशेषांक में हरनोट पर केंद्रित शब्द शिखर खंड के अंतर्गत चालीस पृष्ठों की महत्वपूर्ण सामग्री में प्रो.सूरज पालीवाल, डॉ.विनोद शाही, डॉ.उमा शंकर सिंह परमार, डॉ.चेताली सिन्हा के महत्वपूर्ण आलेख और हरनोट के साक्षात्कार सहित उनके कई सामायिक विषयों पर आलेखों के साथ साथ उनकी पहली बार कुछ कविताएं भी प्रकाशित की हैं।
दूसरा दो सौ पच्चास पृष्ठों का महत्वपूर्ण विशेषांक सेतु पत्रिका ने डॉ.देवेंद्र गुप्ता के संपादन में प्रकाशित किया है। गुप्ता जी प्रशासनिक सेवा में रहते हुए कई सालों से सेतु का प्रकाशन कर रहे हैं जिसका यह 22 वां अंक है। वे हिमाचल प्रदेश क्रिएटिव राइटर्स फोरम के अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने उपरोक्त साहित्योत्सव में हिमाचल अकादमी और ओकार्ड इंडिया के संयुक्त संयोजन में 1 जनवरी, 2022 के दिन शिमला के रोटरी क्लब सभागार में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सिकंदर कुमार  के कर कमलों से संपन्न करवाया। मंच पर उनके अतिरिक्त प्रो.मीनाक्षी एफ पॉल, डॉ. कर्म सिंह, सचिव हिमाचल अकादमी विराजमान थे। अध्यक्षता प्रख्यात आलोचक डॉ. हेमराज कौशिक ने की। अपने स्वागत वक्तव्य में डॉ. गुप्ता ने कहा कि यह विशेषांक हरनोट के रचनाकार विशेष और कृतित्व को समक्ष रखते हुए विवेचित और विश्लेषित किया गया है। हरनोट के लेखन की शुरुआत अस्सी के दशक में हुई थी और उनका पहला कहानी संग्रह वर्ष 1987 में आया और उसके बाद उनके लेखन की निरंतरता आज तक बनी हुई है। आज उनके खाते में बीस के करीब पुस्तकें हैं और उनका नया उपन्यास जल्दी ही प्रकाशित हो रहा है। वे लेखक के साथ साथ एक सामाजिक एक्टिविस्ट भी है। मुख्य अतिथि आचार्य  सिकंदर कुमार ने इस विशेषांक के लिए बधाई देते हुए उनके साहित्य योगदान और निरंतर लेखन के लिए भूरी भूरी प्रशंसा की।
मुख्य वक्ता के रूप में हिमाचल विश्वविद्यालय की डीन जानीमानी लेखिका और अनुवादक प्रो. मीनाक्षी एफ पॉल, युवा कवि आलोचक डॉ.सत्यनारायण स्नेही, युवा कवि आलोचक डॉ.प्रशांत रमन रवि ने हरनोट के साहित्य अवदान और सेतु पत्रिका के विशेषांक पर विस्तार से अपनी बात रखी। सभी का मानना था कि हिंदी कहानी और उपन्यास पर वर्तमान समय में चर्चा हरनोट के बिना अधूरी होगी। उनकी कहानियों के विषय अत्यंत गंभीर और दुर्लभ हैं और ये कहानियां स्थानीय होते हुए भी वैश्विक हो जाती हैं। हरनोट जीवन में, व्यवहार में जितने सच्चे हैं लेखन में उतने ही ईमानदार और निष्पक्ष भी। बहुत कम लेखक हैं जिनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं होता और हरनोट वैसे ही हैं। सभी वक्ताओं ने इस विशेषांक के लिए देवेंद्र गुप्ता को साधुवाद दिया।
अन्य वक्ताओं में कविकुंभ की संपादिका व गजलकार रंजिता सिंह फलक और शिक्षक लेखक जगदीश बाली ने भी संक्षिप्त रूप में अपनी बात रखी। हरनोट जी के गांव व पंचायत चनावग से पधारे दूरदर्शन व आकाशवाणी शिमला के एंकर तथा लोक कलाकार जगदीश गौतम ने हरनोट के ग्रामीण सरोकारों पर अपना वक्तव्य दिया। इस आयोजन में हरनोट पर पहली शोध छात्रा और वर्तमान में हिंदी की सहायक प्रोफेसर डॉ.सुनीता धीमान और हरनोट पर पीएचडी कर रही रीना कुमारी ने भी अपने अनुभव साझा किए और उनके साहित्य पर चर्चा की। दूरदराज गाँव से ही आये ८६ वर्षीय शिक्षक तथा साहित्य के गंभीर पाठक जगत प्रसाद शास्त्री ने इस विशेषांक के लिए जहाँ संपादक देवेन्द्र गुप्ता का आभार व्यक्त किया वहीँ उन्होंने प्रख्यात कवि आलोचक डॉ.कुमार कृषण द्वारा अपनी कविता पुस्तक ‘उम्मीद का पेड़’ में संकलित हरनोट पर लिखी एक सुंदर कविता ‘चुनरी में पहाड़’ का उल्लेख किया जिसका पाठ डॉ. स्नेही पहले ही कर चुके थेअ. हिमाचल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की सह आचार्य कवि कथाकार प्रियंका वैद्य ने  हरनोट की बहुचर्चित कहानी ‘आभी’ का पाठ अपने सुंदर अंदाज में किया।
सेतु का यह विशेषांक डॉ. देवेंद्र गुप्ता ने विशेष तौर पर हरनोट की दिवंगत मां की स्मृतियों को समर्पित किया है। नौ खंडों में विभाजित इस विशेषांक में पांच चर्चित कहानियां फ्लाई किलर, आभी, जीनकाठी, बिल्लियां बतियाती हैं और बेजुबान दोस्त ली गईं हैं। इसके अतिरिक्त उन पर देश के कई बड़े आलोचकों  के पत्र पत्रिकाओं और आलोचना पुस्तकों में संग्रहित आलेख और टिप्पणियां, हिडिंब उपन्यास पर आलेख, हरनोट प्रियजनों की नजर में, पत्र और उनका संक्षिप्त परिचय शामिल है।
कहानियों और उपन्यास पर विशेष टिप्पणियां और आलेख नामवर सिंह, चित्रा मुद्दगल, बच्चन सिंह, कमलेश्वर, ज्ञानरंजन, सूरज पालीवाल, रोहिणी अग्रवाल, गौतम सान्याल, खगेंद्र ठाकुर, रमेश उपाध्याय, पुष्पपाल सिंह, स्मृति शुक्ल विद्यासागर नौटियाल और श्रीनिवास श्रीकांत की हैं जिनसे हरनोट के साहित्यकार और रचनाकर्म की रेंज को गहराई से समझा जा सकता है. “परिजनों की नजर में हरनोट” खंड में कैलाश अहलूवालिया, कुमार कृष्ण, मीनाक्षी एफ पॉल, सत्यनारायण स्नेही, गणेश गनी, गुप्तेश्वरनाथ उपाध्याय, मुरारी शर्मा, दिनेश शर्मा और सीताराम सिद्धार्थ ने बहुत ही विनम्र अंदाज में उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर अपनी बात कही है। हरनोट से सेतु के संपादक ने लंबी बातचीत भी की है। कुल मिलाकर यह अंक हमारे समय के जरूरी और चर्चित रचनाकार पर एक दस्तावेज हैं जिसका हिंदी जगत अवश्य स्वागत और चर्चा करेगा। अंक का विशेष आकर्षण हरनोट की पंचायत तथा उनके ग्रामीण क्षेत्र से आये उनके प्रशंसक थे जिन्होंने हिमाचली शाल और टोपी देकर हरनोट का सम्मान किया. दूसरा आकर्षण दस पौंड का सुंदर केक रहा जिसे हिमालय साहित्य मंच के सदस्यों डॉक्टर मधु शर्मा कात्यायनी, सीताराम शर्मा, गुल्पल वर्मा और दीप्ति सारस्वत ने बतौर बधाई लाया था जिसे हरनोट और उनकी धर्मपत्नी ने काटा.
खचाखच भरे रोटरी क्लब के सभागार में शिमला और आसपास के युवा और वरिष्ठ लेखक तथा विद्यार्थियों सहित उनके गांव के लोग व परिजन उपस्थित रहे। यह पहलीबार था जब बहुत से प्रशंसक साहित्य प्रेमी देर तक जगह न मिलने की वजह से खड़े भी रहे। हिमाचल के किसी लेखक पर किसी साहित्यिक पत्रिका का वहीँ की पत्रिका द्वारा प्रकाशित अब तक का यह एकमात्र समग्र विशेषांक है।
संपर्क: डॉ. देवेंद्र गुप्ता, संपादक सेतु, मो.+917018951598
डॉ.रंजिता सिंह, संपादक, कविकुंभ मो.+919548181083

2 टिप्पणी

  1. हरनोट जी की रचनाधर्मिता पर सेतु पत्रिका व कविकुंभ का सराहनीय कार्य। सच किसी भी साहित्यकार का मूल्यांकन उसके जीते जी होना ही चाहिए। साधुवाद!

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