पहली बरसात के बाद वाली मिट्टी की महक, अलग-सी खुशी देती है। मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू जीवन महका देती है। जिसने मौसम की पहली बरसात को खेत-खलिहान पर उतरते हुए महसूस किया है, वह लोग इस अनुभूति को ठीक से समझ सकेंगे। ऐसे लोगों के लिए यह महक, हर बार नॉस्टेल्जिया ले कर आती है।
कुछ अलग तरह के अनुभव जीवन के किसी भी दौर में मिलें, भुलाए नहीं भूलते। मिट्टी से जुड़े रंग भी ऐसे ही हैं जिनके रंग में रंगी चुनरी, जीवन भर यादों को सुगंधित करती है। इसमें बरसात के मौसम में पौधा लगाना भी शामिल है। वर्ष भर उस पौधे को सींचना, सम्हालना, पोसना और अगली बरसातों में उसकी पत्तियों पर बरखा की बूंदों को थिरकते हुए देखना भी इसी का हिस्सा है। समय विशेष तक यह दिनचर्या साधारण सी दिखती है मगर जीवन के मशीनी हो चुके दौर में बीते समय को याद करना, चेहरे पर सुकून के कुछ पल ज़रूर ले आता है।
दरअसल नॉस्टेल्जिया में अजब सा गुरुत्वाकर्षण होता है। बीते समय की स्मृतियाँ बार-बार अपनी ओर खींचती हैं। सकारात्मक सोच के लोगों को ऐसे ही पल याद रहते है जिन पलों में बहुत खुशी मिली थी या जो बेहद ऊर्जावान पल थे।
स्कूल के दिनों में जब किसी रेस को जीत लिया था, किसी खेल में हिस्सा लेना या जिस टीम में खेलने का मौक़ा मिला, उस टीम की एकजुटता, ऐसे ही पल हैं जिन्हें जीवन भर संजो कर रखा जाता है। वे दोस्त, दोस्तों के साथ बिताए लम्हे और वे शरारतें जिन पर माँ-पापा से डाँट पड़ने का सौ फीसदा मौका था, मगर बहन या भाई ने उस दिन बचा लिया था। यह सब किसी खजाने से कम नहीं है।
अब यह आपकी जिम्मेदारी है कि इस खजाने को आप सम्हाल कर रखें। जब-जब आपाधापी थकाने लगे, जीवन के संघर्षों से थक कर जब हांफने लगें, इस खजाने की ख़ुशबू के दो-चार घूंट भर लिया करें। भागम-भाग झेलते फेंफडे, अचानक ताज़ा दम हो जाएंगे। वह लोग जिनका व्यवहार झेलते-झेलते आपकी भावनाएं शुष्क होने लगी थीं, यक़ीन मानिए, अपने समृद्ध खजाने के साथ बिताए कुछ पलों के बाद वही लोग आपको अखरने बंद हो जाएंगे। आप महसूस करेंगे कि किसी और के एक्शन से अब आप परेशान नहीं हो रहे हैं। ऐसा इसीलिए। हुआ क्योंकि आपको परेशान कोई और नहीं कर रहा था, आप अपनी दिनचर्या से, एक तरह के रूटीन से थकने लगे थे। जैसे हाई-वे पर दौड़ती गाड़ी में फ्यूल ख़त्म हो जाए, यह वैसी स्थिति है। ऐसा जब-जब महसूस हो, अपने-आप को अपने नॉस्टेल्जिया के हवाले कर दें। खूबसूरत यादों के गुरुत्वाकर्षण के बंधन में बंध जाने दें और जब आप वापस लौटेंगे, जोश से भरे होंगे।
आदरणीया निश्चित ही आपका स्तंभ सकारात्मक ऊर्जा, जीवन शैली में सरसता एवं प्रेरणादायक है। साधुवाद!!!
आपकी लेखनी इसी प्रकार गतिशील रहे
शुभेच्छा सहित
डॉ. अतुला भास्कर
जी बिलकुल इसीलिए डायरी लेखन को प्रोतासहित किया जाता है कभी भी कन्ही भी जाओ वान्हा की यादें डायरी में दर्ज कर लो ।गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की यादें भी तो अविरस्मरणीय हैं ।फिर हम तो इंसान है जो कड़वी यादों से अपनी एनर्जी कम करते हैं उससे बेहतर है अंगूर के दाने जैसी यादें रखे कुछ खट्टी कुछ मीठी ।आख़िर एक दिन हमें भी तो इतिहास का हिस्सा बनना है ।डायरी की यादें ही हमारी वसीयत होगी जो अगली पीढ़ी के काम आएगी।
जैसे यादें फ़िल्म का गाना यादें मीठी मीठी यादें …..
आदरणीया निश्चित ही आपका स्तंभ सकारात्मक ऊर्जा, जीवन शैली में सरसता एवं प्रेरणादायक है। साधुवाद!!!
आपकी लेखनी इसी प्रकार गतिशील रहे
शुभेच्छा सहित
डॉ. अतुला भास्कर
डॉ अतुला भास्कर आपकी इस सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।
जी बिलकुल इसीलिए डायरी लेखन को प्रोतासहित किया जाता है कभी भी कन्ही भी जाओ वान्हा की यादें डायरी में दर्ज कर लो ।गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की यादें भी तो अविरस्मरणीय हैं ।फिर हम तो इंसान है जो कड़वी यादों से अपनी एनर्जी कम करते हैं उससे बेहतर है अंगूर के दाने जैसी यादें रखे कुछ खट्टी कुछ मीठी ।आख़िर एक दिन हमें भी तो इतिहास का हिस्सा बनना है ।डायरी की यादें ही हमारी वसीयत होगी जो अगली पीढ़ी के काम आएगी।
जैसे यादें फ़िल्म का गाना यादें मीठी मीठी यादें …..
रश्मि, डायरी के अनुभव समेटे हुए आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
Respected definitely your column is a positive energy, lifestyle and inspirational. !!! Your writing is like auspicious
Thanks Ramya for your kind words.
यादों के महकते पलों में वापस जाना वाकई खूबसूरत होता है। भागम भाग वाली ज़िन्दगी में ये सुंदर लेख भी बारिश की शीतल बूंदों जैसा ही है।
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद रंजना।