वर्तमान समय में ईमानदार व्यक्ति की तलाश असंभव तो नहीं, लेकिन कठिन ज़रूर हो गई है। यही कारण है कि “इमानदार” शब्द किसी अजूबे की तरह लगने लगा है। और अजूबे, हमेशा से अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
आधुनिक दौर में हर छोटी-बड़ी बात के लिए अथवा दिखावा करने के लिए अधिकतर लोग झूठ का सहारा लेते हैं। रिश्तों में अपेक्षाएं रखने से या झूठी उम्मीदें पालने से आहत होना, फिर नाराजगी होना और बातों का सच-झूठ तक पहुँचना भी ऐसी ही प्रक्रिया है।
जो लोग ईमानदार होने का दिखावा करते हैं, मगर है नहीं, वे दोहरा चरित्र जी रहे होते हैं। दरअसल ऐसे लोग खुदको धोखा देते हैं। अपने साथ छलावा करना, खुदको सजा देना है। ऐसा करते हुए आप अलग सी टेंशन में रहते हैं। अपना मन-मस्तिष्क और सेहत खराब कर लेते हैं। इस सबसे आसानी से बचा जा सकता है।
सच बात यह है कि ईमानदार बनने के लिए बहुत ज्यादा तामझाम की जरूरत नहीं है। ना ही यह खर्चीला है बल्कि कहा जाये कि यह आसान प्रक्रिया है, तब सही होगा। जिस इंसान का व्यवहार ईमानदार है, जो बोलते, बात करते हुए अपने शब्दों और व्यवहार के प्रति ईमानदार रहता है, दरअसल वही इंसान ईमानदार है।
आपकी भावनाएं जैसी भी हों, व्यवहार जिससे भी करें, अपने-आप के साथ एक वादा करलें कि आज से आप “अपने साथ” हरदम इमानदार रहेंगे।
किसी से प्यार हो गया है, बहुत अच्छी बात है। अपने हिस्से के प्यार को पूरी इमानदारी से निभाइये। किसी से नाराजगी है? ठीक है। होनी भी चाहिए पर नाराजगी सामने वाले को बता कर या जता कर क्या हासिल करेंगे? कोई जगह अच्छी लगती है, वहाँ घूमने ज़रूर जाओ। कोई व्यक्ति प्रिय लगता है, यदि संभव है और वह व्यक्ति परमीशन दे, तब उसकी संगत में समय ज़रूर बिताओ। अपने काम और आचरण के प्रति सौ प्रतिशत ईमानदारी बरतो। अब आप देखें कि क्या यह व्यवहार कठिन है?
यक़ीन मानिये कि वर्तमान दौर में इमानदारी बेशक कठिनाई से मिलती है, मगर अच्छी बात यह है कि यह अब भी मिल जाती है। यह अभी तक गुम नहीं हुई है। इसे आप और बढ़ा सकते हैं। खुद को ईमानदार बना कर इसका दायरा और फैला सकते हैं। इस तरह आप खुदको और अधिक स्वस्थ और खुशहाल रख सकते हैं।