वृक्ष जीवनभर इंसान को कुछ ना कुछ देते रहते हैं। फल-फूल, दवाइयाँ, भोजन, छाया, खाद, लकड़ी और ऐसी ही अनगिनत चीजें जिनके बारे में हम याद रखना तक भूल जाते हैं जैसे ऑक्सीजन। वे जितना प्रकृित से लेते हैं, यानी गृहण करते हैं, उससे अधिक दे देते हैं। और तो और जीवन के बाद अपना शरीर भी परोपकार के लिए छोड़ जाते हैं। प्रकृति ने सभी वृक्षों को इसी तरह यानी दूसरों का भला करने के स्वभाव का बनाया है। कुछ लोग भी ऐसे ही होते हैं। जीवन भर परिवार-समाज और देश-दुनिया के लिए कुछ ना कुछ अच्छा करते रहते है। यानी वृक्ष हो जाते हैं। वह जितना गृहण करते है, उससे कई गुना अधिक देश और समाज को वापस लौटाते रहते है। मगर कुछ लोग इसका अपवाद भी होते हैं।
कभी जंगल में जाकर देखिए, चंदन का पेड़ कैसा होता है? जीवित वृक्ष हरा-भरा और छायादार होता है। चंदन के पेड़ भी अन्य वृक्षों के समान हमेशा कुछ ना कुछ देता ही रहता है। यदि चंदन का वृक्ष जीवित है (हरा-भरा है) तब छाया देता, और अगर सूख जाए तो खुशबू देता है। सोचिए कि ऐसा वृक्ष जो जीवन भर और जीवन के बाद भी अपना सर्वस्व प्राणीमात्र पर न्योछावर कर देता है, उसके लिए समाज में कितना मान-सम्मान होगा। चंदन का पेड़ मान-अपमान की परवाह किये बिना अपने स्वभाव को बनाए रखता है।
अब आप सोचिए कि क्या आप किसी के लिए चंदन बनना चाहेंगे? कौन है ऐसा आपके जीवन में जिसकी खुशियाँ इतनी कीमती हैं कि आप उसके लिए निर्जीव हो जाना भी स्वीकार लेंगे। और ऐसा कौन है जो आपके लिए खुशबूदार चंदन बनने को चुनेगा? कौन है वह ऐसा? दोनों स्थितियों के बारे में सोचिए। आपसे मेरा वादा है कि आज, और अभी से बहुत कुछ बदल जाएगा। आपका जीवन जीने का, रिश्तों को निभाने का और स्वयं अपने लिए या कुछ अपनों के प्रति कभी-कभी निर्दयी हो जाने का भाव समाप्त हो जाएगा।
बस विचार इतना ही करना है कि आज आपके लिए छायादार चंदन कौन है और कल आपके जीवन को सुवासित करने के लिए कौन आगे आएगा। मगर अब आगे विचार कीजिए कि आप किसी के लिए ऐसा क्या कर रहे हैं कि कल कोई अन्य व्यक्ति आप पर स्वयं को निछावर करते हुए भी विचलित ना हो। ऐसे ही क्या आप किसी को इतना महत्व दे सकेंगे कि जीवन भर किसी को सुखदायक ठंडी छाया देते रहें और अंत में दूसरों की भलाई के लिए ख़ुशबू में ढ़ल जाएं। यानी दोनों स्थितियों में निश्छल प्रेम, अच्छाई और अपनापन होना पहली शर्त है। यदि ऐसा होता है, तब चंदन हो जाना संभव है।