अनूठा सत्याग्रह

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ये औरतें भी जाने क्या होती हैं ?

दो चार किलो आटा गूंथ कर

आठ दस लोगों की रोटियां बना लेती हैं ,

जब कभी होती हैं अकेली

तो मन बना लेती है

अपने लिए नही बनाने का।

ढूंढती है कुछ बचा खुचा

या काम चला लेती है

हल्दीराम के नमकीन या

चना चबेने से ।

 

शायद यही औरत का

पहला कदम था

एक सत्ता के विरुद्ध

यह अनूठा सत्याग्रह था

खुद का खुद के लिए ।

 

बस मालकिन

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ब्याह में मिले आशीर्वादों में

शामिल थे

घर की मालकिन, रसोई की मालकिन

पर सच यह था की

कहां कभी रह पाई मन की भी मालकिन।

संस्कारों में ब्याही गई

बड़े  -छोटों का ख़्याल रखती

सब को खिलाने पर बचा – खुचा खा लेती

खाने को लेकर नहीं  रही शिकायत।

 

कभी – कभी सभी की पसंद

जो मेरी भी पसंद में शामिल था बनाते भूख बढ़ जाती ।

ऐसे में एकबार रसोई की मालकिन ने

चख लिया बनाते बनाते अपनी पसंद का।

मां ने यही सिखाया की आवाज से निवाला अटक गया गले में।

अब सब को खिलाकर अंत में ही खाती ।

कभी बची हुई सब्जी या कड़ाही पोंछकर ही काम चलाती

रात वाली रोटी खुद के हिस्से में पाती ।

रसोई की मालकिन कभी – कभी

संस्कारों में चुपचाप सो जाती ।

 

.आदतों की आसानी

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रंगशालाओं के कुछ

आसान अभिनय सहज ही

आदतों में शुमार हो जाते हैं ।

 

सांस लेना ,पानी पीने जैसी

क्रियाओं की तरह

हाथ जोड़ने के साथ  

सरल थी मांगने की कला

खाली कटोरे हाथ में पकड़ा देने की

बचपन की आदत

शर्म हया को ताख़ पे रख

आसानी से फैल जाते ।

 

वोट के खेल में

रूकी नब्ज़ किसी  के

पकड़ में थी

मुफ़्त मिलने के खेल में

अब सिर्फ मांगों, मांगों का

निरंतर अभ्यास

बन गया कब संस्कार ।

 

उसी के समानांतर सीखा

“सच का अभिनय” बस

दो कौड़ी का रह गया

आदतें भी आसानी को सीख लेती हैं ।

 

गुणसूत्रों की समता

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सम का संतुलन, विषम के उद्वेलन में

गणित के कमजोर विद्यार्थी

की पसंदीदा होती हैं

सम संख्याएं

आसान होता जोड़ना या घटाना

सबसे सरल होता

सम से सम का भाग लगाना ।

 

ये सृष्टि भरी हुई है

कमजोर छात्रों से जो

आसानी से जोड़ते , घटाते

शून्य शेष लाते ।

 

गुणसूत्रों की समता से

कहां बच पाती तुम शेष

नहीं बचना तुम्हारी नियति नहीं

तुम्हारा गुणधर्म है ।

 

मारता आत्मविश्वास

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शादी योग्य लड़कियों का

बायोडाटा बनाना किसी

विशेषज्ञता से कम नहीं

रायशुमारी के बाद

क्वालीफाइंग राउंड पार करने की

पहली शर्त होती उसकी लंबाई

फिर रंग ।

 

रंग कम से कम गेहुंआ

ऊंचाई कम से कम पांच फुट

के बाद अगले राउंड में प्रवेश कर सकती  है ।

फिर शिक्षा दीक्षा

घर बाहर संभालने की

काबलियत

कुकिंग और हाउस कीपिंग

सब कुछ पसंद आने के बाद

डेमोंस्ट्रेशन के समय

एड़ी का सैंडल पहनी  लड़की

कहकर छांट दी जाती

पांच फ़ीट से कम की ये लड़कियां

फिर कहां कभी एड़ी ऊंचा कर पाती   ।

 

विनीता परमार

केंद्रीय विद्यालय रामगढ़ कैंट

ई-मेल – parmar_vineeta@yahoo.co.in

Mobile- 7633817152

 

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