होमकवितारश्मि 'लहर' के दोहे कविता रश्मि ‘लहर’ के दोहे By रश्मि लहर April 6, 2024 1 78 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp 1. पद की गरिमा के बनें, झूठे दावेदार. प्रिय है मिथ्या चाटुता, मिथ्या ही सत्कार. 2. औरों की श्री कीर्ति का, कब रखते वे ध्यान? कृपाकांक्षी हैं स्वयं, बनते कृपानिधान. 3. थाली के बैंगन सदृश, कभी दूर या पास. आखिर उनकी बात पर, कैसे हो विश्वास? 4. उनकी बातें चुभ रहीं, चुभता हर संदेश. पद- मद में जो चूर हैं, वही बढ़ाते क्लेश. 5. करते वे अपमान हैं, खुद बन कर भगवान. याद न क्यों रहता उन्हें? समय बड़ा बलवान. रश्मि ‘लहर’ इक्षुपुरी काॅलोनी लखनऊ, उत्तर प्रदेश Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखडॉ पद्मावती की कलम से – जमाना बदलेगा : जीवन का अक्स दिखाती कहानियाँअगला लेखअनिला सिंह चरक की ग़ज़लें रश्मि लहरसंपर्क - leher1812@gmail.com RELATED ARTICLES कविता डॉ. अनिता कपूर की तीन कविताएँ May 18, 2024 कविता लता तेजेश्वर ‘रेणुका’ की कविताएँ May 11, 2024 कविता ‘माँ’ पर शन्नो अग्रवाल की दो कविताएँ May 11, 2024 1 टिप्पणी अच्छे दोहे हैं लक्ष्मी जी आपके लेकिन फिर भी पहले दोहे में चाटुता शब्द खटक रहा है। दूसरे दोहे के तीसरे पद में दो मात्राएँ कम हैं अत: इसमें मात्रा दोष आ रहा है ।अगर आप ‘वे’ शब्द जोड़ दें-” वे स्वयं” तो यह दोष खत्म हो जाएगा। जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 मेरे हिसाब से साहित्य, समय लेकर रचे जाने की प्रक्रिया है – वन्दना यादव June 21, 2020 प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो : संजना November 13, 2022 और अधिक लोड करें Latest डॉ. अनिता कपूर की तीन कविताएँ May 18, 2024 दिलीप कुमार का व्यंग्य – हाउ डेयर यू May 18, 2024 डॉ. रूचिरा ढींगरा का लेख – पितृसत्तात्मक रूपों की शिनाख्त करती होमवती देवी की कहानियाँ May 18, 2024 रेखा श्रीवास्तव की दो लघुकथाएँ May 18, 2024 और अधिक लोड करें Latest लड़कियाँ बदली-बदली-सी – मालिनी गौतम March 29, 2018 सफेद परिंदे जैसी कोई शै March 29, 2018 प्राचीन भारत में सौन्दर्य-बोध March 31, 2018 अपनी बात…… April 6, 2018 और अधिक लोड करें
अच्छे दोहे हैं लक्ष्मी जी आपके लेकिन फिर भी पहले दोहे में चाटुता शब्द खटक रहा है। दूसरे दोहे के तीसरे पद में दो मात्राएँ कम हैं अत: इसमें मात्रा दोष आ रहा है ।अगर आप ‘वे’ शब्द जोड़ दें-” वे स्वयं” तो यह दोष खत्म हो जाएगा। जवाब दें
अच्छे दोहे हैं लक्ष्मी जी आपके लेकिन फिर भी पहले दोहे में चाटुता शब्द खटक रहा है।
दूसरे दोहे के तीसरे पद में दो मात्राएँ कम हैं अत: इसमें मात्रा दोष आ रहा है ।अगर आप ‘वे’ शब्द जोड़ दें-” वे स्वयं” तो यह दोष खत्म हो जाएगा।