गर फिरदौस बर रुये ज़मी अस्त
हमी अस्तो, हमीं अस्तो, हमी अस्त
“धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यही है।”
यह पंक्तियां कवि अमीर खुसरो ने लिखी थी जो कश्मीर की खूबसूरती को एक अलग अंदाज से बयां करती है।जनवरी 1990 में कश्मीर घाटी में हिंदू कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था मस्जिदों से घोषणा की गई कि कश्मीरी पंडित काफिर है उनको कश्मीर छोड़ना होगा अगर नहीं छोड़ा तो इस्लाम कबूल करना होगा वरना उन्हें मार दिया जाएगा। उस दृश्य को आज भी याद करते हुए रूह कांप जाती है, परंतु हमारा परिवार एक ऐसा परिवार था जिन्होंने पलायन नहीं किया
मेरे ससुर जी राजनेता थे उन्होंने बोला जिसको जाना है, वो खुशी से जा सकता हैपरन्तु  मैं अपनी जड़ों से दूर नहीं जा सकता। खौफ नाम की कोई चीज उनके अंदर थी ही नहीं!
एक बार की बात है – मेरे  ससुर जी स्कूल में पढ़ा रहे थे अचानक आतंकवादी स्कूल में आ गए.. उन्होंने ससुर जी को एक कोने में लिया और कहा कि आपकी शिकायत की गई है आज हम आपको मार देंगे तो उन्होंने उनके ऊपर बंदूक तान दी.. पता नहीं ससुर जी के अंदर एक अद्भुत  शक्ति उत्पन्न हुई। उन्होंने उस आतंकवादी का हाथ पकड़ लिया और दुर्गा चालीसा का जाप शुरू कर दियाऔर आतंकवादी के हाथ से बंदूक नीचे गिर गई उसने ससुर जी के पैर पड़कर माफी मांगी उसने कहा यह पहली बार हुआ है कि किसी पर बंदूक तानि हो और वह बच जाऐ।
आतंकवादी वहां से चले गए जब वे घर आए तो उन्होंने सारी बात बताई तो हम लोग इतना डर गए कि हम लोगों ने तहर (पीलेचावल )सब को बांटे भगवान का शुक्रिया अदा किया। कश्मीर में आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। किसी को गोली का शिकार बनना पड़ता है और किसी को तो आतंकवादी उठाकर ही ले जाते हैं।

लेकिन अब, कश्मीर में  परिवर्तन आ रहा है.. कश्मीर की कायापलट हो गई है।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद वहां उन लोगों के लिए जमीन खरीदने का रास्ता भी खुल गया है, जिनके पास स्थाई नागरिक का दर्जा नहीं है।
राज्य में अब तक केवल स्थाई नागरिकों को ही सरकारी नौकरियां मिलती थीं, लेकिन अब यह सब के लिऐ खुल गया है।

5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 हटा था, इससे पत्थरबाजी में फर्क पड़ा। जम्मू कश्मीर के हालातों में सुधार आया, देश के कोने कोने से पर्यटक आने लगे। घर-घर तिरंगा लहराने लगा। कश्मीर के लोगों ने चैन की सांस ली। यह बदलाव मौजूदा सरकार के कारण ही संभव हो पाया। कुछ  शरारती तत्व थे जिन्होंने कश्मीर की धरती को नापाक करने की सोची।परंतु वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए।

अब हम बात करेंगे G -20 की जिसने कश्मीर के लोगों के अंदर एक नया उत्साह भर दिया। G-20 की मीटिंग इतनी सफल रही। G-20 मीटिंग का नारा ही है – “वसुधैव कुटुंबकम् ” प्रत्येक मेहमान के मुख से एक ही शब्द निकल रहा था कि कश्मीर जैसी खूबसूरत जगह कोई नहीं है। यहां का पहनावा यहां की संस्कृति यहां की मेहमान नवाजी का कोई जवाब नहीं। 122 देशों के प्रतिनिधि,हमारे मेहमान बनकर आए थे, वह बहुत ही खुश हुए,उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था।
अपने आप को खुशनसीब  समझ रहे थे कि वह कश्मीर आए हैं।परंतु कश्मीर के लोग अपने आप को खुश किस्मत समझ रहे हैं कि उनके मेहमानों को उनकी मेहमान नवाजी पसंद आई ,उनके आने से पर्यटन में बढ़ावा मिलेगा, सिनेमा से जुड़े हमारे मेहमानों ने अश्वासन दिया कि अब फिल्मे कश्मीर में बनाएगा। इस मौकेपर भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि फिल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर बेहतरीन जगह कोई नहीं है उन्होंने कश्मीर में फिल्माई गई कश्मीर की कली, जब जब फूल खिले और बाबी का भी जिक्र किया…
उन्होंने कहा कि कश्मीर घूमने -फिरने की जगह नहीं है बल्कि एक अनूठा अनुभव है, फिल्म अभिनेता  रामचरण तेजा ने टूरिज्म से जुड़ी इस बैठक में हिस्सा लिया उन्होंने कहा कि कश्मीर में कुछ जादू है… मैं 1986  में यहां कई बार आ चुका हूं… मेरे पिता फिल्मों की शूटिंग के लिए गुलमर्ग और सोनमर्ग आया करते थे मैं खुद शूटिंग के लिए 2016 में यहां आया था..
रंगमंच के लोगों ने बहुत सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिससे कश्मीर की कला और संस्कृति झलक रही थी, पारंपारिक वेशभूषा में कश्मीरी युवतियों ने पगड़ी तिलक और फूलों से मेहमानों का स्वागत किया।
G-20 का आयोजन श्रीनगर के शेर -ए -कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एस केआई सीसी) में किया गया।श्रीनगर शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया।हमारे मेहमानों ने कहवा (कश्मीरी चाय) और कश्मीरी वजवान का लुत्फ उठाया।कश्मीरी वजवान का मजा ही अलग है।और सबसे बड़ी बात कश्मीर के मौसम की है,मौसम बहुत ही सुहाना था फूल पत्तियां अपने पूरे यौवन पर थी।शिकारा में  बैठकर डल लेक देखने का नजारा ही अलग होता है।
कश्मीर बहुत ही सुंदर जगह है वहां पर सभी को आना चाहिए।नाटू-नाटू पर झूमे विदेशी मेहमान 17देशों से 60 विदेशी प्रतिनिधि पहुंचे।कश्मीर की वादियों में यह सबसे बड़ा आयोजन था। हालांकि चीन तुर्की ,सऊदी अरब ,मिसृऔर इंडोनेशिया ने मीटिंग का बायकाट किया था।37साल बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक हुई  भारत इस साल जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है देश के तमाम राज्यों में यह बैठक हो रही है इन शहरों में श्रीनगर को भी चुना गया पाकिस्तान ने कश्मीर में ऐसे सम्मेलन के आयोजन पर आपत्ति जाहिर की, परन्तु अपने नापाक इरादो में कामयाब नहीं हो पाया।

जी-20 के भारतीय समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि इस मीटिंग में शामिल होने वाले प्रतिनिधि देख रहे होंगे और उनको पता भी चला होगा कि धरती पर स्वर्ग कैसा होता है। हमने अब तक 118 से ज्यादा बैठके की हैं। कश्मीर से भारत पूरी दुनिया को अपनी तरक्की के सबूत दिखा रहा है। बैठक की सफलता से यह सिद्ध हो गया कि –

“मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है
वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है।”

2 टिप्पणी

  1. मैडम ये पढ़ा आपका कश्मीर पर। अभी। आरंभ रोचक है लेकिन अंत उम्दा नहीं जितना होना चाहिए था। बेहतर होता इसे कहानी की ही शक्ल दी जाती।

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