Saturday, July 27, 2024
होमलेखओंकार सिंह लखावत का लेख : मत चूके चौहान

ओंकार सिंह लखावत का लेख : मत चूके चौहान

यह आलेख ओंकार सिंह लखावत ने पृथ्वीराज चौहान की जयंती के अवसर पर लिखकर भेजा था, परन्तु पुरवाई चूंकि साप्ताहिक पत्रिका है और प्रत्येक रविवार को अद्यतित होती है, इसलिए हम इसे आज प्रकाशित कर रहे हैं। निवेदन है कि पाठक इसे पृथ्वीराज चौहान की जयंती के संदर्भ में ही ग्रहण करें – मॉडरेटर
“मत चूके चौहान ” केवल शब्द नहीं हैं। वीरव्रती हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान को विदेशी आक्रांता मुहम्मद गौरी को शब्दभेदी बाण से ढेर कर देने के पूर्व महाकवि एवं सम्राट पृथ्वीराज के सखा चंद्रवरदाई द्वारा बोले गये दोहे के ये शब्द जो दुनिया के वीर महाकाव्यों के छंदों से अधिक जन जन की जुबान पर है।
आइए सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि दें। मात्र ग्यारह वर्ष की आयु में वेे अपने नाना के उत्तराधिकारी अजमेर के राजा बने।शस्त्र और शास्त्रों का अध्ययन किया । विदेशी आक्रांता मुहम्मद गौरी को सत्रह बार युद्ध की भूमि में पराजित किया और अंतिम युद्ध वे भले ही वे जीत नहीं सके परन्तु अपने शब्दभेदी बाण से उसका प्राणांत कर दिया।
देश और दुनिया में हजारों इतिहासकारों ने उन पर ग्रंथ व पुस्तकें लिखी । सैंकड़ों ने शोधकर्ताओं ने अपनी बुद्धि और लेखनी चलाई। परन्तु वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान तो विदेशी आक्रांता मुहम्मद गौरी के प्राणों को लिए बिना स्वर्गलोक में कैसे जाते।
कथा आगे बढ़ती है । पृथ्वीराज चौहान को न केवल बंदी बनाया बल्कि लोहै की गर्म सलाखों से उनकी दोनों आंखें निकला दी गई । भयभीत मुहम्मद गौरी ने वीर योद्धा को बैडीयो में जकड़ दिया ।
इस पर भी कविमित्र महाकवि चंद वरदाई ने युक्ति से काम लिया और अपनी वाणी से पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी बाण से लक्ष्य को भेदने की प्रशंसा गौरी से की ।कवि की वाणी और पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी बाण की महारथ को झूठा साबित करने के लिए प्रदर्शन हेतु सहमत हो गया।
मुहम्मद गौरी फिर भी आशंकित था इसलिए ऊंचे मंच पर बैठा । खुद के आगे लौहे के सात मजबूत तवे लगवा दिये । पृथ्वीराज चौहान को बैडियों से जकड़ दिया गया ,केवल हाथ खुले रखे तीर चलाने हेतु। पृथ्वीराज चौहान ने तीर संभाला, महाकवि चंद्रवरदाई ने मुहम्मद गौरी की दूरी को इंगित करने वाला यह अमर दौहा बोला :
“चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण।
तां ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान।।”
वीर धनुर्धर पृथ्वीराज चौहान ने अपना अचूक शब्दभेदी बाण चलाया लक्ष्य था गौरी, बाण ने सातों लोहे के तवो को भेद कर लक्ष्य मुहम्मद गौरी के सीने को चीरते हुए आरपार निकला ओर गौरी का खेल तमाम कर दिया । मात्र 26 वर्ष की आयु में ऐसा शौर्य व पराक्रम धारण करने वाले पृथ्वी राज चौहान आज भी हर भारतीय के ह्रदय के महानायक हैं ।
ऐसे वीरव्रती सम्राट पृथ्वीराज चौहान का नगर सुधार न्यास, अजमेर के अध्यक्षीय कार्यकाल में सभी न्यासीगण व अधिकारी कर्मचारीगण के सहयोग से तारागढ़ पर्वत श्रृंखला पर एक भव्य स्मारक बनाने का सौभाग्य मिला ।
ओंकार सिंह लखावत
ओंकार सिंह लखावत
ओंकार सिंह लखावत पूर्व सांसद हैं.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest