1.अंत से शुरू
आज कुछ पुराने रिश्ते याद आने लगे
जो टूट भी गए और उनकी गर्माहट भी उनके साथ ही ख़त्म हो गयी
लेकिन फिर भी वो बहुत कुछ सिखा के गए मुझको
ज़रूरतें बना लेना हर वक़्त अच्छा नहीं होता
क्या हम अंत से शुरू नहीं कर सकते
जो जीवन में हमारा अंत तक साथ देगा बस वहीँ पास रहे
परेशान न करें न कोई दर्द दे के जाए
बस खुशियाँ देने वाले ही रह जातें है तो ऐसे लोग क्यों आते है
अच्छा है तुमने जो अब मेरे पास हो
हिम्मत नहीं है और मुझमे बाकी उन पलों को याद कर पाने की
तुम्हारा साथ एक दवा की तरह ही काम करता है
मलहम बन जाता है और ठंडक भी देता है
तुम्हारा हो जाने का अपना ही सुख है
तुम्हारे साथ वक़्त बहुत तेज़ी से दौड़ता रहता है
लेकिन साथ ही हमारे रिश्तों को मजबूती भी दे जाता है
जो एक दुसरे को समझते हुए आगे बढ़ रहा होता है
2.अनजान सी लड़की
मैं सोचता हूं अक्सर तुम्हारे बारे में
जब तुम मुझसे दूर होती हो अपनी किसी और दुनिया में
कॉफ़ी का कप हाथों में थाम के आज याद कर रहा था पुरानी बात
जब तुम मुझे और मैं तुमको जानता भी नहीं था
तुम एक अनजान सी लड़की थी मेरे लिए
बात कर लेता था तुमसे कभी कभी
जान लेता था तुम्हारे हाल चाल के बारे में
और तुम भी मुस्कुरा के जवाब दे दिया करती थी
अचानक एक दिन तुम मुझे ख़ास लगने लगी
न जाने कहाँ से ये एहसास आ गया तुम्हारे बारे में
तुमको अब मैं जानना चाहता था
थोड़ा और करीब से
तुमने मुझे एक मौका ज़रूर दिया
मेरे साथ कई जगह भी गयी
अपनी कई बात भी कह दी तुमने मुझसे
लेकिन मेरे लिए सब बातों से ज्यादा ज़रूरी ये बात थी की हम साथ में है
अच्छा लगता है तुम्हारे साथ में ये वक़्त
जो धीरे धीरे कितने पास ले आया है हम दोनों को
की अब वो अनजान सी लड़की बन चुकी है
एक ऐसा हिस्सा जो मैं रोज़ जीना चाहता हूँ
3.शहर का शोर
बहुत दिन हो गए चलो कहीं एकांत में बैठते है
जहाँ शहर का शोर न हो आज भीड़ से दूर जाना है
हम अपनी पसंदीदा जगह पहुँच गए
एकदम शांत जगह ढूँढ कर बैठ गयी तुम
आज तुम एक नदी की तरह ही शांत थी
और उसी नदी की तरह ही तुम्हारे चेहरे के भाव गहरे थे
मैंने तुम्हारा हाथ थाम लिया
पर आज न जाने आज तुम कहाँ खोयी हुई थी
तुम बहुत कुछ कहना चाह रही थी मुझको
कुछ कहने भी लगी और बहुत कुछ नहीं कह पायी
मैं अब इतना समझ गया हूँ तुमको
तुम डरती हो खुद को खोलने में लेकिन खुश हो जाती हो अगर मैं समझ जाता हूँ
तुम आज सोच रही होगी ये मुझसे क्या चाहता है आखिर
मैं चाहता हूँ तुम खुश रहो हमेशा खुश रहो
मैं चाहे उस ख़ुशी का कारण रहूँ या नहीं
ये ज़रूरी नहीं है
आज ठण्ड बढ़ गयी है चलो ना वहाँ आग जल रही है
वहाँ एक कप चाय भी ले ली हम दोनों ने
तुम आज न जाने किसी और दुनिया में थी
शायद ऐसी जगह थी जहाँ तुमको सुकून मिलता है
तुम चाहे न कहो मगर तुम चाहती हो हर वक़्त मेरे साथ को पाना
अपनी सभी बातें भी कह देना मगर सोचती रहती हो
कही ये मुझे बुरा तो नहीं लग जाएगा
हाँ बुरा ज़रूर लगेगा मगर सिर्फ तब जब तुम उदास रहोगी
अच्छा अब चलते है यहाँ से रात बहुत हो गयी
ठण्ड ने भी नदी के ऊपर एक सफ़ेद चादर बिछा दी थी
तुम उठने लगी तभी पीछे से एक गाना बजने लगा
“चले जाना ज़रा ठहरो किसी का दम निकलता है”
तुम मुस्कुराई और हम चल पड़े
4. छुट गया पटना
आज एक भारी दिन बीता
दौड़ कर चढ़ा ट्रेन पर
पटना आज छुट गया कुछ देर के लिए मुझसे
मगर जो तुम्हारी यादें है न ये मेरे साथ ही रहीं
जब मैं खिड़की के पास अपनी सीट पर बैठा
बगल की खाली सीट देख कर तुम याद आने लगी
हाँ शायद हमने अपने रिश्ते की शुरुआत वही से की थी
और शायद याद आ रहा था वो सफ़र जो मुझे सुकून पंहुचा रहा था
कुछ देर बीतने पर मैंने पेपर को उठाया तो उसमें भी तुम्हारा नाम और तस्वीर दिखी
मुझे कुछ देर के लिए लगा कही मुझे भ्रम तो नहीं हुआ
मगर ध्यान से देखने पर बस तुम ही नज़र आई
और मैं पढने लगा जो तुमने कहा था
तभी लगा जैसे तुम मुझे पुकार रही हो कहीं से
मैं उठ के देखने लगा तभी तुमने मुझे हाथ पकड़ के वही बैठा लिया
और कहा क्या हुआ कहाँ जाना है
मैं चौक पड़ा और मेरी आँख भी खुल गयी और मैं अपने इस टूटे हुए ख्वाब पे मुस्कुराने लगा
मैं जब ट्रेन से उतरा और घुमने लगा
हर पल बस तुम्हारे साथ का वक़्त याद आने लगा
तुम्हारे साथ मॉल में बैठना हो या होटल में बैठ के खाना
हर बार तुम्हारी याद मुस्कराहट साथ ला रही थी
नहीं मैं तुमको मिस नहीं कर रहा था
मगर तुम मुझे साथ में घुमा रही थी
ऐसा लग रहा है जैसे
मेरे लिए अब अकेले चलना या अकेले होना मुमकिन नहीं है
5.तुम्हारा वक़्त
अक्सर मांग लेता हूँ मैं तुम्हारा वक़्त
जो मेरे लिए एक बेशकीमती तोहफा होता है
तुम कई बार मिल जाती हो मुझसे
अकारण ही कहीं रास्तों पे कुछ ढूंढती हुई
कभी तुम किसी दुपट्टे की दूकान में ठहर जाती हो
तो कभी किसी मेक-उप की दुकान पर काजल ढूंढती हुई
तुम मुस्कुरा देती हो मुझको देख के अपने पास
और फिर प्यार से कह देती “थोड़ा और ठहर जाओ”
तुम हमेशा खुबसूरत लगती हो
जब भी निकल आती हो अपनी मुस्कराहट को ओढ़ के
और जब बैठ जाती हो मेरे पीछे कंधों को थाम के
ऐसा लगता है जैसे पूरा हो गया हूँ मैं
जब तुम कह देती हो मुझसे अपनी खिड़की से निचे देख के
आते है ठहरों कुछ देर
लगता है जैसे तुम चाहती हो कुछ देर मुझे और तुम्हारे इंतज़ार में देखना
क्यूंकि शायद इस बात का यकीन तुमको है मुझे तुम्हारा इंतज़ार करना अच्छा लगता है
मैं तुम्हारे साथ एक अलग दुनिया में खुद को देखता हूँ
जहाँ पर हम दोनों के पास वक़्त ही वक़्त हो एक दुसरे के लिए
उस जगह जहाँ तुम मेरे हाथ को थाम के घंटो तक बैठी रहो
और मैं बस तुमको देखता रहूँ बिना अपनी पलकों को झपकाए