Saturday, July 27, 2024
होमकविताडॉ. सुमन शर्मा की कविता - वसंत बहार

डॉ. सुमन शर्मा की कविता – वसंत बहार

वसंती रंगों से रंग कर,
रंग बिरंगी परिधान पहनकर,
मनभावन शृंगार में सजकर,
ऋतुराज वसंत है आया,
अनोखा ही रंग है लाया।
पीली,धानी चूनर ओढ़े,
सजी अवनी,मनमोहक काया।
आमों पर बौर है आया,
कोयल ने मधुर गीत सुनाया,
खिल उठे फूल,मधुबन हरषाया,
मंद बयारों ने मन महकाया,
शबनमी बूँदों में प्यार बरसा कर,
अनोखा ही रंग है लाया,
अबके बरस ये वसंत जो आया।
विहगों ने राग मधुर है गाया,
तितली,भौंरे ने गुंजार सुनाया,
प्रकृति ने सरगम गुनगुनाया,
मन में है अनुराग जगाया,
सहस्त्र दिशाओं से खुशियाँ लेकर,
अबके बरस वसंत है आया,
अनोखा ही रंग है लाया।
माँ शारदे के चरणों में,
श्रद्धा से है शीश नवाया।
हे वरदायिनी वीणावादिनी
तेरी वीणा के नाद से ही तो
सृष्टि में है नवरंग यह छाया,
अबके बरस वसंत है आया,
अनोखा ही रंग है लाया।
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest