Sunday, October 27, 2024
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डॉ तारा सिंह अंशुल की कविता – शहीदे आज़म भगत सिंह हुए कुर्बान

बलिवेदी ए आजादी पे कर तन मन न्योछावर लुटाये जान
मातृभूमि के अमर सपूत शहीदे आज़म भगत हुए कुर्बान
स्वतंत्रता के प्रहरी थे बचपन में बोये बंदूक नयी उगाने को
गुलामी की मातृभूमि की जंजीर कटे जनता को जगाने को
नाको चने चबाते थे फिरंगी देख कर इनका उच्च स्वाभिमान
मातृभूमि के अमर सपूत शहीदे आज़म भगत सिंह हुए कुर्बान
सरफ़रोशी की तमन्ना दिल में था कूद गये स्वातंत्र्य समर में
इंक्लाब जिंदाबाद इनके नारे से जगे लोग जो सोये थे घर में
वीर योद्धा वतन के लाल पर सदा गर्वित रहेगा निज हिंदुस्तान
मातृभूमि के अमर सपूत शहीदे आजम भगत सिंह हुए कुर्बान
तेइस मार्च 31 को फ़ांसी पर चढ़े भगत सिंह हंसते-हंसते
होश उड़े फिरंगियों के बिखरी खुशबू इंकलाब की रस्ते रस्ते
सत्ता छोड़ें भागें फिरंगी गाते लोग भगत सिंह का गौरव गान
मातृभूमि के अमर सपूत शहीदे आज़म भगत सिंह हुए कुर्बान
शिखा गए पथ दिखा गए भरत वशिंयों देश पर जां लुटाना
राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है बन वतन के प्रहरी अरि को यूं हीं मिटाना
देखना गगन में ऊंचे फहरे तिरंगा है यह भारत का स्वाभिमान
मातृभूमि के अमर सपूत शहीदे आज़म भगत सिंह हुए कुर्बान
डॉ. तारा सिंह अंशुल
डॉ. तारा सिंह अंशुल
विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मानों से नवाजी़ गयी वरिष्ठ कवयित्री , लेखिका , कथाकार , समीक्षक , आर्टिकल लेखिका। आकाशवाणी व दूरदर्शन गोरखपुर , लखनऊ एवं दिल्ली में काव्य पाठ , परिचर्चा में सहभागिता। सामाजिक मुद्दे व महिला एवं बाल विकास के मुद्दों पर वार्ता, कविताएं व कहानियां एवं आलेख, देश विदेश के विभिन्न पत्रिकाओं एवं अखबारों में निरन्तर प्रकाशित। संपर्क - [email protected]
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