होम कविता कामिनी गुप्ता की कविता कविता कामिनी गुप्ता की कविता द्वारा कामिनी गुप्ता - July 4, 2021 127 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet कभी बेमतलब सी बातों पे भी मुस्कुराते थे वो, कोई गीत भी फिर सहज ही गुनगुनाते थे वो। दिल में हलचल है उनके न जानता था कोई, हर ग़म छुपाकर जाने कैसे मुस्कुराते थे वो। तुम कुछ बातों की गहराई कहां समझते हो, गहरी बात को बातों- बातों में समझाते थे वो। भुलाकर कड़वी यादें आगे कदम बढ़ा लो तुम, मुश्किल हालात को भी आसान बनाते थे वो। मैं चमन में पुष्पों को ही देखता रहा यहां फिर, कांटों से भी यूं दिल से दोस्ती निभाते थे वो। उनके जैसा कोई और भी तो होगा जहां में भी, जाने खुद को सबसे अलग ही बताते थे वो। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं वंदना यादव की कविता – आज मुझे दर्शक दीर्घा से कुछ लोग दिखे रेखा भाटिया की कविता – लैंप पोस्ट के पास सरोजिनी पाण्डेय की कविता – जीवन का पाथेय Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.