होम कविता कामिनी गुप्ता की कविता कविता कामिनी गुप्ता की कविता द्वारा कामिनी गुप्ता - July 4, 2021 145 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet कभी बेमतलब सी बातों पे भी मुस्कुराते थे वो, कोई गीत भी फिर सहज ही गुनगुनाते थे वो। दिल में हलचल है उनके न जानता था कोई, हर ग़म छुपाकर जाने कैसे मुस्कुराते थे वो। तुम कुछ बातों की गहराई कहां समझते हो, गहरी बात को बातों- बातों में समझाते थे वो। भुलाकर कड़वी यादें आगे कदम बढ़ा लो तुम, मुश्किल हालात को भी आसान बनाते थे वो। मैं चमन में पुष्पों को ही देखता रहा यहां फिर, कांटों से भी यूं दिल से दोस्ती निभाते थे वो। उनके जैसा कोई और भी तो होगा जहां में भी, जाने खुद को सबसे अलग ही बताते थे वो। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.