कहानी गद्य की ऐसी अत्याधुनिक, लोकप्रिय एवं लघु विधा है जिसकी तुलना एक छोटे से गमले और उसमें अपना माधुर्य, सौंदर्य तथा सुगंध फैला रहे पौधे से की गई हैं। वैदिक काल की आख्यायिका के बीज आधुनिक साहित्य मेंप्रौढ़ स्वरूपमें परिवर्तित होकर कहानी के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। आधुनिक हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर डॉ. मधु संधु के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में 36 वर्ष के अध्यापन काल के दौरान रचनात्मक रचनाकार के रूप मेंदो कहानी संग्रह, दो गद्य संकलन, एक काव्य संग्रह, 7 आलोचनात्मक पुस्तकों के साथ-साथ चार कहानी कोश रूपी बहुमूल्य रत्न हिंदी साहित्य को प्राप्त हुए हैं।
उनकी सन् 2015 में प्रकाशित‘दीपावली@अस्पताल. कॉम‘कहानी संग्रह दो खंडों में विभाजित है। प्रथम खंड में 20 कहानियां और खंड दो में 26 लघु कथाएं हैं। इस कथा साहित्य का परिक्षेत्र मनःस्थितियों से शुरू होकर पारिवारिक,शैक्षिक,राजनैतिक तथास्वास्थ्य जगत से संबंधित ज्ञान व यथार्थकेविभिन्न पक्षों को उजागर कर नारीविमर्श को सहेजता हुआ लेखिका के वैविध्यपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है।
वृद्ध संचेतना से जुड़ी ‘अभिसारिका’लघुकथा वृद्ध दंपत्ति के अपने दोनों बेटों के पास अलग– अलग रहकर जीने की विवशता तथा संतान के स्वार्थवसंवेदनहीनताकी निर्मम यथार्थता के साथपारिवारिक संबंधों के बदलतेरूपकोरेखांकित करतीहै। ‘चैनल’ कहानी सास–बहू के परस्पर झगड़े की वजह से बहूद्वारापति व बच्चों के साथ विदेश में अपना अलगघर बसाने के परिणामस्वरूप परिवार के बिखरावकी व्यथा केकारणों–आपसी समझदारी और संप्रेषण के अभाव को बखूबी चिन्हित करती है।
लघुकथाएँ – ‘हिंदी दिवस‘,’फटकार‘, ‘पहियाजाम’, ‘अवार्ड’, ‘विमोचन’,‘असिस्टेंट’ और कहानियां– ‘संगोष्ठी‘, ‘ग्रांट‘–उच्च शिक्षा जगत में व्याप्तलालच, बनावटीपन, स्वार्थ, भ्रष्टाचार तथा नौकरशाही के अहम इत्यादि को रेखांकित कर यथार्थ के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालतीहैं।
कहानियां-‘जीवनघाती‘, ‘संरक्षक‘,’डायरी‘, ‘दीतुमबहुतयादआतीहो‘ औरलघुकथाएं-‘वसीयत’, ‘सती’, ‘शुभचिंतक’, ‘बिगड़ैल औरत’, ‘थैंक्यू’– आधुनिक आत्मनिर्भर,साक्षर व निरक्षर नारी के दोयम दर्जे तथा धूर्त एवं स्वार्थी पुरुष वर्ग केविभिन्न रूपों- पिता, पुत्र, पति तथा भाई द्वारा शोषित व छलने की क्रूर सच्चाई उदघाटित करती हैं। प्रस्तुत पुस्तककी कहानियों के अगले चरण में लेखिका की ‘कुमारिकागृह’और ‘लिव-इन’ की वैश्वीकरण के दौर की स्त्री नारीसशक्तिकरणकेदृढ़स्वरके साथ अधिकारमांगना छोड़ स्वयं को आत्मबल वआत्म चिंतन से अधिकार संपन्न बना लेती है।
पुस्तक कीकहानियांऔर लघुकथाएंदूरगामी व्यंग्य के कलेवर में दैनिक जीवन के साकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं से पाठक का साक्षात्कार करवाने के साथ ही ज्ञान की वृद्धिमेंभी पूर्णतया सक्षमहै। लेखिका तत्सम शब्दों- संरक्षक, शुभचिंतक के साथ-साथ अंग्रेजी के अति प्रचलित शब्दों– असिस्टेंट, अवार्ड और लिव-इन का भी बेझिझक प्रयोग करती है।वैश्वीकरण के दौर में जीवन और जगत से जुड़ी यह पुस्तक पाठकों, सुधिजनों व शोधार्थियोंको आकर्षित करने कीक्षमता रखती है।लेखिकाडॉ.मधु संधुकेसन् 2001 में प्रकाशित ‘नियति और अन्य कहानियां‘ प्रथमकहानी संग्रहसेउनका दूसरा कहानीसंग्रह ‘दीपावली @अस्पताल. कॉम‘ समयकेअनुसारजीवनकीबदलतीधाराओंकोउजागरकरताहैं।‘नियतिऔरअन्यकहानियां’पुस्तकके पात्र नियतिमेंविश्वासरखनेवालेदृष्टिगोचरहोतेहैं,वहीं‘दीपावली@अस्पताल .काॅम’ में नियतिसशक्तिकरणमेंपरिवर्तितहोजातीहै। लेखिका का दूसरा कहानीसंग्रह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में घुस आये बाजारवाद, स्वार्थ,भ्रष्टाचार व शोषण के चित्रण सेदिन-प्रतिदिन प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते हुएपाठकों की तकलीफ, चिंता व बोध को स्वर देता है।