होम कविता डॉ.सुमन शर्मा की कविताएँ कविता डॉ.सुमन शर्मा की कविताएँ द्वारा सुमन शर्मा - December 9, 2023 77 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 1 गुज़रे हुए वक़्त के ज़माने नहीं आते, लौट के वो दिन पुराने नहीं आते। क्यों हैं शिकायतें सूर ओ साज से, गीत ज़िन्दगी के गाने नहीं आते। हाथों में लिए हाथ,गायें थे गीत साथ, ओठों पर दिल के वो तराने नहीं आते। बेचैन निगाहें,रस्ते तकें दिन रात, क्यों छोड़ के जाने के बहाने नहीं आते। जाने के तेरे बाद यादों में जिये साथ, गम दे गया जो वो भुलाने नहीं आते। चलती हैं ज़िन्दगी आँखों में ले बरसात, मौसम सुहाने मन को लुभाने नहीं आते। दिल को लगा के भी जाता न कोई साथ, दिवानों को कोई,ये समझाने नहीं आते। 2 जाने वाले इस जहां में, लौट कहाँ फिर पाते हैं, अपनों की यादों में आकर दिल में घर कर जाते हैं। माटी का पुतला है मानव क्षणभंगुर उसका जीवन, रैन बसेरे सी यह दुनिया हमको यह सिखलाते हैं। पल भर का यह जीवन मेला, जाता है हर कोई अकेला, संचित साथ न जाता कुछ भी, करमों के फल हम पाते हैं। इस जगत का यह भव-बंधन, आना जाना मत कर क्रंदन, नित्य जगत है,अनित्य जीवन, आभास यह हमें दिलाते हैं। जाने वाले इस जहां से लौट कहाँ फिर आते हैं। 3 ज़िन्दगी तुझे मेरे कुछ काम करने हैं, सुकून के कुछ लम्हे मेरे नाम करने हैं। हाथों से अपने छू लूँ मैं चाँद सूरज को, फ़लक मेरी हस्ती के लिए आम करने हैं। मेरे बाद भी ज़िंदा रहें अश़आर दिलों मे, पाक अल्फ़ाज़ों को मेरे,कलाम करने हैं। तहज़ीब ने यादों को ज़ुबां पर आने न दिया, उन बातों के सारे पैग़ाम उनके नाम करने हैं । ज़िन्दगी की उलझनों में रहबर बनकर आया, झुका के सर,उसको सौ सौ सलाम करने हैं । संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं बिमल सहगल की कविता- जागी आँखों के सपने योगेंद्र पाण्डेय की कविता – गुलमोहर के फूल आशीष मिश्रा की कविता – शून्य है कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.