सब्जीवाले –ठेलेवाले चायवाले, ढाबेवाले या कामगार स्त्रियोंकेपासहै तोउसकाकुछऔरअर्थहै
फटीहुईकॉपीकईबार धूल–मिट्टी, गंधमेंइसप्रकारलिपटीहोतीहै कियादआजातेहैंकस्बे, गाँव–गली, आँगन में खेलते–कूदते, उछलते मिट्टी में लिखते-पढ़ते बच्चे
फटीहुईकॉपी, कोईचीर–फाड़करफेंकदे यानष्टकरदे – यहअलगबातहै लेकिनफटीहुईकॉपीनेखुदकोकभी चीरा–फाड़ायानष्टकियाहो ऐसेउदाहरणन पृथ्वी पर देखने को मिले न कभी अन्य ग्रहों पर, हाँ, तबभीनहींजबवहबिलकुलनईथी
फटीहुईकॉपी, जानतीहैकिजबतकहैज़िंदगी किसीईमानदारव्यक्तिकीतरहउसे देतेरहनाहै– शब्द, अर्थ, वाक्य, समय औरएक–एकपैसेकाहिसाब- सही से औरसदैव।
नमस्कार। बहुत सुन्दर कविता। वास्तव में कविता के माध्यम से पन्ने व यथार्थ ज्ञान व जीवन का सटीक चित्रण हुआ है। शब्दों व पंक्तियों का संयोजन भी अनूठा है। बहुत सुन्दर हार्दिक बधाई।
डॉ प्रवेश चंद्र जोशी ‘सत्यप्रेमी’
नमस्कार। बहुत सुन्दर कविता। वास्तव में कविता के माध्यम से पन्ने व यथार्थ ज्ञान व जीवन का सटीक चित्रण हुआ है। शब्दों व पंक्तियों का संयोजन भी अनूठा है। बहुत सुन्दर हार्दिक बधाई।
डॉ प्रवेश चंद्र जोशी ‘सत्यप्रेमी’