Monday, May 20, 2024
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एस. भाग्यम शर्मा की कहानी – जाके पांव न फटी बिवाई

मीता  चाय लेकर आई और अपने पति अजय  जो पेपर पढ़ रहे थे उनको देकर उनके पास ही मीता बैठ गई।
” एक हफ्ते पहले पेपर में जो समाचार मैंने पढ़ा था उसके बाद से मेरा मन बहुत परेशान है।”
“कौन से समाचार के बारे में बोल रही हो?”
“पति पत्नी दोनों के नौकरी पर जाने के बाद अकेले रह रही उनकी बुजुर्ग माता जी का
 गला  दबाकर हत्या कर उनके  सारे गहने लेकर कोई लेकर चला गया। उसे सुनने के बाद से ही मेरा मन में एक डर बैठ गया।”
“बेचारी वह बुजुर्ग महिला कितनी तड़पी होगी!  परंतु पुलिस वालों ने तो दूसरे दिन ही उन लोगों को पकड़ लिया” मीता ने कहा।
“हां अपने यहां के पुलिस वाले बहुत योग्य हैं इसीलिए इतनी जल्दी उन्होंने उसे पकड़ लिया।
“अपने घर में भी हम दोनों के नौकरी पर जाने के बाद अम्मा अकेली ही रहती हैं, सोच कर मुझे डर लगता है” मीता ने कहा।
“बच्चों की स्कूल जाने के बाद, दरवाजे को अंदर से बंद कर लीजिएगा। कोई जानकार आए  तभी दरवाजा खोलना। ऐसा हमने अम्मा से कह रखा है ना?” अजय बोले।
“अभी जो हत्या हुई है उसे जानकारों  ने ही किया है। इस हत्या में उस घर की नौकरानी भी शामिल थी। उसी ने दरवाजा खोला था। इन सब बातों को देखकर  हम किस पर विश्वास करें समझ नहीं आता” वह बोली।
“फिर एक काम करें….. तुम अपनी नौकरी छोड़कर घर में ही रहकर अम्मा और बच्चों का ध्यान रखो। हम आर्थिक दृष्टि  से संपन्न तो हैं”  अजय ने कहा।
“यह बात नहीं । अभी एक नई बुजुर्गों के लिए एक संस्था खोला है। उसमें सभी सुविधाएं हैं। वहां हम अम्मा जी को रख दें तो वह सुरक्षित रहेगी ना?”
“बुजुर्गों की संस्था !… अपनी  अम्मा को ही मैं नहीं रख पाया तो चार लोग हमारे बारे में बातें करेंगे। मुझे भी अच्छा नहीं लगेगा”
“अम्मा अकेले रहेंगी इसीलिए यह जगह उनके लिए बहुत ही सुरक्षित रहेगा, ऐसा मेरी एक सहेली बोली।”
“मुझे तो वृद्धाश्रम के नाम सुनते ही एलर्जी  है। इसके बाद इस बारे में मुझसे बात मत करना। तुम्हारे मन में आए जैसे करो। परंतु मेरी मां को मुझसे अलग करना मुझे पसंद नहीं। इस आयु में उन्हें हमारे साथ ही रहना चाहिए ऐसा मैं चाहता हूं।” 
दो दिन तक इसके बारे में मीता ने कोई बात नहीं की।
उसको अपनी सास अकेली रहेगी इससे डर लग रहा था। इसके लिए वह अपनी नौकरी को भी छोड़ना नहीं चाहती थी।  ‘बार-बार ऐसी के घिसने से पत्थर पर भी निशान पर जाते हैं’ वैसे ही बार-बार कहने से किसी के ऊपर भी असर हो ही जाता है।
मीता के दो दिनों तक बराबर उनके सुरक्षा के बारे में कहते रहने से आधे अधूरे मन से वृद्धाश्रम में अपनी मां को ले जाने के लिए अजय ने हामी भर दी।
“तुम्हारी इच्छा अनुसार करो। परंतु मैं नहीं आऊंगा। मुझे मेरी मां से अलग होने का मन नहीं है” बड़े दुखी मन से क्या करें सोचता वह ऑफिस चला गया।
ऑफिस से छुट्टी लेकर मीता अपनी सास को लेकर अपनी सहेली के बताए हुए संस्था में गई। वहां उन्हें भर्ती करने के पहले वहां जगह सुविधाजनक ठीक-ठाक है क्या जानने के लिए चारों तरफ घूम कर निरीक्षण कर रही थी।
कई बुजुर्ग लोग वहां बातें कर रहे थे और कुछ टीवी देख रहे थे।
“अरे क्या बात है रे मीता, अपने अम्मा को देखने आई है क्या?” ऐसी आवाज को सुनकर मीता ने मुड़ कर देखा तो उसकी कॉलेज की एक सहेली रोमा वहां खड़ी थी।
“रोमा तुम यहां कैसे?”
“जब यह संस्था शुरू हुई तो काम करने के लिए लोगों की जरूरत थी। उसी समय से मैं यहां काम कर रही हूं। पिछले हफ्ते तुम्हारी भाभी आई थी।
“उस समय जो बुजुर्ग की हत्या का समाचार को पढ़कर उन्हें भी डर लगा। नौकरी पर जाने के बाद तुम्हारी मां अकेली रहेगी इसलिए तुम्हारी मां को यहां पर भर्ती कर दिया। तुम उन्हें देखने आई हो क्या?” रोमा ने पूछा।
रोमा के कहते  ही मीता चकित रह गई। पर अपने को संभाल कर,  “हां रोमा… भाभी ने फोन करके बता दिया था तभी मैं अम्मा को देखने आई। अम्मा कैसी हैं?” पूछी।
“यहां आते ही पहले दो दिन उनका मन  नहीं लगा वे परेशान रहीं। अब ठीक है सबसे बात करती हैं। उन्हें  जब पता चला कि मैं तुम्हारी सहेली हूं तब से मुझे बहुत प्रेम से बात करती हैं” रोमा बोली।
 “रोमा, मैं  इस संस्था के हेड से बात करना चाहती हूं । तुम मुझे उनके पास ले चलोगी” मीता ने पूछा।
मैडम के पास रोमा लेकर गई।
“नमस्कार मैडम। पिछले हफ्ते यहां पर गोमती नाम की महिला आई थी ना! मैं उनकी लड़की हूं। उन्हें ले जाने के लिए मैं आई हूं” मीता बोली।
जरूरी कागजों पर हस्ताक्षर  करके फिर मीता अपने मां को और सास दोनों को अपने घर लेकर गई।
शाम के छः बज गए पर  अजय को अपने घर जाने की इच्छा नहीं हुई अतः वह गार्डन में ही बैठे हुए थे।
आज अम्मा को वृद्धाश्रम में भर्ती कराने मीता लेकर गई है। अपनी अम्मा को छोड़कर मैं एक दिन भी नहीं रहा। वह बहुत दुखी होता है बे मन  से बाइक स्टार्ट करके घर आता है। घर में बातों  की आवाज आती है और उसकी अम्मा और मीता की अम्मा दोनों बैठकर ताश खेल रही थी। पास में ही बेटा राहुल और रमिया दोनों हंसते हुए बात कर रहे थे। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।
अपने पति अजय के पास में आकर मीता बोली  “सुबह अम्मा को लेकर वृद्धाश्रम गई। वहां मेरी अम्मा को देखते ही मुझे बहुत तकलीफ हुई। उस समय ही आपकी भावनाओं को मैं समझ सकी। इसीलिए मैं दोनों को लेकर अपने घर आ गई। अब तो आप खुश हैं।”
“हां बहुत खुश हूं। तुमने तुम्हारे भैया भाभी को बता दिया?”
“कह दिया दोनों भी बहुत खुश हुए। फिर एक बात और मैंने अपनी नौकरी को छोड़कर घर में ही रहने का फैसला कर लिया। अब अपने बच्चों की देखभाल मैं स्वयं करूंगी।”
पूरे परिवार वालों को खुश देखकर अजय का मन भी बहुत खुश हो गया।
एस. भाग्यम शर्मा
बी 41 सेठी कॉलोनी
जयपुर-302004
मोबाइल – 9468712468
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