मिताली विभागाध्यक्ष के ऑफिस में शाम चार बजे दाखिल हुई। यही समय दिया था उन्होंने मिलने का …..उन्होंने कहा था कि व्यस्तताएं बहुत रहती हैं । कहना सही भी था क्योंकि विश्वविद्यालय में किसी विभाग का अध्यक्ष होना कोई छोटी – मोटी जिम्मेदारी नहीं होती । कक्ष में प्रवेश करते ही सर ने उसे ऊपर से नीचे तक अजीब तरीके से घूरा और फिर बैठने को कहा । मिताली को कुछ अजीब लगा था । बहुत नाम था सर का …. अच्छा पढ़ाते थे, उनके अधीन पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए अच्छी नौकरी के अवसर खुल जाते थे । सिनोप्सिस पर एक सरसरी सी निगाह डालकर सर ने कहा ” इसमें बहुत कमियां हैं । कल शाम को घर पर आकर मिलो । “
मिताली ने कहा – ” सर ! जैसे आपने कहा था वैसे ही तैयार किया है इसे । प्लीज़ एक बार पढ़ तो लीजिए । ” सर ने कहा – ” देख लिया मैंने , पढ़ने लायक नहीं है । तुम कल घर पर मिलो, विस्तार से समझाऊंगा । ” सर बहुत ही अजीब ढंग से मुस्कुरा रहे थे । मिताली सकपका गई । वो तुरन्त उठकर बाहर आ गई । उसने अपनी सहेली निशा की फोन किया जो सर के अंडर में पीएचडी कर रही थी । निशा का कहना था ” मिताली ! सर की एक्सपेक्टेशंस बहुत ज्यादा हैं । तुम्हें एक बार मुझसे पूछ लेना चाहिए था । मेरी पीएचडी कभी पूरी नहीं हो पाएगी । तुम इनसे दूर ही रहो । ” मिताली ने कहा “मैं मेहनत कर लूंगी ।”
निशा ने कहा – ” सर बहुत विद्वान हैं पर वो तुमसे विषय पर काम नहीं करवाएंगे । लो सीधे शब्दों में सुनो – उनका चरित्र अच्छा नहीं है । इसीलिए मैं अब उनके आस – पास भी नहीं फटकती । ” मिताली अवाक थी । उसने सर के अंडर में पीएचडी करने का इरादा छोड़ दिया था । मिताली घर लौटते हुए सोच रही थी कि सिर्फ प्रतिभाशाली और विद्वान होना सच्चरित्र होने की गारंटी नहीं है । इस तरह के शिक्षकों ने ही इस पेशे की गरिमा भंग की है । जाने कितनी ही छात्राओं ने उनके पद और प्रतिष्ठा से प्रभावित होकर धोखा खाया होगा । घर पहुंची तो मम्मी ने पूछा – ” गाइड से बात हुई क्या ? उसने कहा – नहीं । उन्होंने घर पर बुलाया है । ” इतने में मिताली का भाई बोल पड़ा – ” क्यों ? विभाग में क्यों नहीं ? ” पापा भी आ गए थे । उन्होंने भी कहा – ” ये तो ठीक नहीं है बेटा ! आजकल हो रही घटनाओं को देखते हुए किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता । ” मिताली ने कहा – ” पापा ! क्या हम उन्हें सबक नहीं सिखा सकते ? “
मम्मी बोल पड़ी – ” क्यों झंझट में पड़ते हो ? ” पापा ने कहा -” सभी ऐसा सोचने लगे तो बेटियां कैसे सुरक्षित रहेगी । ” मिताली पापा की ओर आश्चर्य से देख रही थी । पापा ने कहा – ” मेरा एक दोस्त इसी तरह के केसेस देखता है । मैं उससे बात करता हूं ।”
मिताली अगले दिन शाम को सर के घर पहुंची । आलीशान मकान था । सर ने सिनॉप्सिस देखते हुए कहा – ” बढ़िया लिखा है । ” मिताली ने कहा – ” पर .. कल तो आपने कहा था कि पढ़ने लायक ही नहीं है ….” सर ने कहा – ” वो तो मैं तुम्हें घर पर बुलाना चाहता था । ” सर बड़ी बेशर्मी से बोले जा रहे थे । मिताली ने पूछा – ” क्यों ? ” सर ने कहा – ” अरे ! ये भी बताना पड़ेगा । लेन – देन की बात करनी है । मेरे अंडर में पीएचडी करने वाले स्टूडेंट्स की नौकरी 100 प्रतिशत पक्की होती है । मैं बस इसी की फीस लेता हूं । ” मिताली बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए बोली – ” क्या चाहिए आपको ? ” सर का जवाब था – ” तुम्हें नहीं पता ।
आजकल सफलता का शॉर्ट कट यही है । तुम अपनी चंद रातें मुझे दे दो । मैं तुम्हारी ज़िन्दगी बना दूंगा । आजकल की लड़कियां ये काम खुशी से करती हैं । तुम मेरी प्यास बुझाओ , मैं तुम्हारी ज़िन्दगी बना दूंगा । ” मिताली ने कहा – ” ठीक है सर ! मैं आपको कल जवाब दूंगी । ” अपनी योजना को सफल होते देख सर फूले नहीं समा रहे थे । ” मिताली दरवाजे की ओर बढ़ी तो सर ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा – एडवांस तो से जाओ । बस एक रसीला चुम्बन …. ” । मिताली ने देखा कि सर की आंखों में वासना का समंदर उमड़ रहा था । वो अपना हाथ छुड़ाकर जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली – ” कल तक इंतजार कीजिए । ” मिताली जल्दी से दरवाजा खोलकर बाहर आ गई ।
अगले दिन अख़बारों में सुर्खियां थी -” विश्वविद्यालय के नामी प्रोफेसर को छात्राओं को पीएचडी कराने की एवज में उनकी अस्मत से खिलवाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया । उनके खिलाफ इतने पुख्ता सबूत हैं कि रिहाई की कोई संभावना नहीं ।”
मिताली और उसके परिवार वालों ने अपनी समझदारी से कई बेटियों का भविष्य बर्बाद होने से बचा लिया था ।
अकादमिक जगत की कड़वी सच्चाई है ये कहानी