शादीकेचारवर्षबाददीदीमाँबननेवालीथी।माँउन्हेंकुछमहीनेपहलेहीडिलीवरीकेलिएघरलेआईथीं।जीजीकेघरमेंकोईबड़ाबुज़ुर्गनहींथादूसरामाँकाकहनाथाकिपहलाबच्चामायकेमेंहीहोगा, ऐसीपरम्पराहै।दीदीकेआनेसेमाहौलख़ुशनुमाहोगयाथा।घरमेंचहल –पहलहोनेलगीथी।माँकाअधिकांशसमयउनकेसाथबीतता।डॉक्टरकोदिखाना, खाने –पीनेकाध्यानरखना।बच्चेकेलिएसामानएकत्रितकरना।उसकेआनेकीख़ुशीमेंफ़ंक्शनमेंक्याक्याकरनाहै।यहीसबसोचतेकरतेडिलीवरीकासमयआगयाथा।
सुदर्शन रत्नाकर जी की कहानी बढ़िया