1. साक्षरता और उन्नति
वह सबसे साक्षर राज्य है,
पर भोजन वहां बारूद बन जाता है,
वह सबसे उन्नत देश है,
पर सांस वहां सांस नहीं ले पाती है,
मुझे याद नहीं आए,
नानक, बुद्ध, जीज़स या कोई और सुधारक,
मुझे नहीं नजर आए,
अंगुलिमाल, सज्जन ठग, राजा अशोक या कोई और पश्चातापी,
पर मुझे दिखे मोड़ पर
सूअरों पर पत्थर बरसाते कुछ हाथ,
वायरल होते वीडियो में,
जिंदा कुत्ते को विसर्जित करते लड़के,
समाचार पत्रों में प्रकाशित
ट्रेन की पटरी पर कुचले गए मजदूर,
और दिख जाती है यहां वहां,
तमाम तरह की मध्य युगीन बर्बरता,
इस पर भी कभी भी
जरा भी विचलित नहीं होता है,
उन्नति और साक्षरता के परचम लहराता
यह मेरा बर्बर मन……
2. इश्क और रोटी
उन्हें सूझता है इश्क,
सांझ ढले
और दिखता है, वोदका की बोतल के पूरे या टूटे हुए कार्क में,
कभी आधा चांद कभी पूरा,
इधर सुबह की काली चाय में
सूखे टोस्ट के साथ तैरती है,
तमाम चाहतें
आधी या फिर पूरी गोल रोटियों की,
उनकी कलम से उतरती है ग़ज़ल
मक्तों और बहर से सजी हुई, हुस्न से गुफ्तगू करती
इधर बदहवास सी कविता डोलती,
कहीं आधी लाइन में
कहीं अधूरी सी
हकीकतो का कूड़ा करकट समेटती,
वह बिखेरते हैं रंग
और तमाम जगमगाहटे
दुनिया की तमाम रंगीनियों की,
इधर उकरते हैं कैनवस पर सिर्फ
स्याह और ग्रे के तीसरे रंग….

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