Saturday, July 27, 2024
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वन्दना यादव का स्तंभ ‘मन के दस्तावेज़’ – वायदे का आधा वर्ष

अब्राहम लिंकन ने कहा था, ‘भविष्य के बारे में सबसे अच्छी चीज ये है कि वो एक एक दिन कर के आता है।’ और देखिए कि एक-एक दिन पार करते हुए हमने वर्ष 2023 का एक बड़ा हिस्सा बिता दिया है।
छ: महीने पहले, नव वर्ष पर आपने अपने आपसे कुछ वायदे किए थे। कुछ लोगों ने अपनी आदतों में बदलाव करने का मन बनाया था। हर दिन अपनी नियमित दिनचर्या के साथ कुछ नया सीखने का ठान लिया था। इससे अलग कुछ लोगों ने हर दिन कोई किताब पढ़ने का निर्णय लिया था। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बहुत-से लोगों ने अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। युवाओं के समान, सबने अपने-अपने लक्ष्य निर्धारित कर लिए थे। जिसने, जो प्रण किया, यक़ीनन अपने लिए बेहतरीन का चुनाव किया था।
बात दरअसल यह है कि आज छ: महीने बीतने पर अपको अपने आप से सवाल पूछना है कि आपकी तैयारी कहाँ तक पहुँची? बारह महीनों वाले वर्ष, आधा बीत चुका है। सबसे महत्वपूर्ण समय यानी पहले छ: महीने बीत चुके हैं। यही वह समय है जब आपको अपनी तैयारियों पर फिर से ध्यान देना है। अपना इम्तिहान लेना है। इस समय खुद से पूछना है कि आप अपनी तैयारी के दम पर अपने लक्ष्य के कितने करीब पहुँचे? या इस समय मंजिल आपसे कितनी दूर है?
सभी सवाल आपको, खुदसे करने हैं। और हाँ, कोई बहाना नहीं चलेगा। सभी सवालों के इमानदार जवाब देने हैं क्योंकि यहाँ आपके उस रिपोर्ट कार्ड पर काम हो रहा है, जो वर्ष के अंत में अपने परिणाम से सबको चौंकाने वाला है।
मैं मान कर चल रही हूँ कि आपने अब तक अपनी मंजिल के बारे में, और उस तक पहुँचने के रास्ते के बारे में किसी को नहीं बताया होगा। ख़ामोशी से तैयारी में जुटे हुए होंगे। यानी जब परिणाम आएगा, सब चौंक जाएंगे। अपनों के चेहरों पर आने वाली खुशी ही तो देखना चाहते हैं आप। यदि यह सब सही है तब आप अपनी तैयारी से लेकर अब तक के सफर को दोबारा जाँच लें। जहाँ तक पहुंच गए हैं, इस मेहनत पर अपनी पीठ ज़रूर थपथपाएं और आगे बढना जारी रखें।
आइए अब बात करते हैं उनकी, जिन्होंने रास्ते की कठिनाइयों से परेशान होकर अपने हथियार डाल दिए। आगे बढ़ने का विचार त्याग कर भटकावों के बहाव में बह गए। आगे जो कहा जा रहा है, वह सिर्फ और सिर्फ ऐसे लोगों के लिए है जिन्होंने खुदसे किए वायदों को खुद ही तोड़ दिया। आप अपने आप पर यकीन रखें, अपने हौसले की उड़ान पर भरोसा करें और पूरे जोश से जुट जाएं अपने लक्ष्य को पाने के लिए। अभी सिर्फ आधा समय बीता है। आधा समय अब भी आपके पास बचा हुआ है। इस समय भी यदि आप पूरे जोश के साथ अपने लक्ष्य को पाने में जुट जाएंगे, तब भी उसे प्राप्त कर ही लेंगे।
पहली जनवरी को, नव वर्ष की शुरुआत पर आपने जो संकल्प लिए थे, वह आपके अपने थे। इसीलिए उनको पूरा करने की मेहनत भी आपकी ही होगी। याद रखें की जो समय बीत गया, लौटकर नहीं आएगा। आपने इसका सदुपयोग किया या बर्बाद कर दिया, इस बात का मंथन करें और आगे आने वाले छ: महीनों में आपके सपनों की ताबीर कैसी होगी, उसे आज और अभी निश्चित करें। क्योंकि, ‘दया करें इन्सान बस, समय न करता माफ़…’
वन्दना यादव
वन्दना यादव
चर्चित लेखिका. संपर्क - [email protected]
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