कनाडा में अलगाववादियों का समर्थन केवल जस्टिन ट्रूडो की सत्तारूढ़ पार्टी ही नहीं करती। सच तो यह है कि कनाडा के तीनों राजनीतिक दल वर्तमान सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी, इसकी मुख्य विपक्षी कंज़र्वेटिव पार्टी, साथ ही केंद्र-बाएं न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) खालिस्तान समर्थकों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं।
इन दिनों अमरीका और कनाडा से भारत के लिये कुछ चिंताजनक ख़बरें आ रही हैं। अमरीका में भारत के राहुल गांधी ने वाशिंगटन डीसी के नेशनल प्रेस क्लब में केरल की इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) को पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) घोषित कर दिया। इसी साल मार्च महीने में लंदन के एक कार्यक्रम में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना मिस्त्र के मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे आतंकवादी संगठन से कर दी थी।
दूसरी तरफ़ कनाडा के राहुल गांधी यानि कि वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वोट-बैंक के चक्कर में वहां के खालिस्तान समर्थकों को खुली छूट दे रखी है। इन खालिस्तान समर्थकों ने टोरोंटो के ब्रैम्पटन क्षेत्र में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या की एक झांकी अपने पांच किलोमीटर जुलूस में दिखाई। झांकी में इंदिरा गांधी जैसी दिखने वाली महिला सफ़ेद साड़ी पहने दोनों हाथ ऊपर उठाए खड़ी है और उसे दो बंदूकधारी सिख सैनिक गोलियों से भून रहे हैं।
इस जश्न से दो दिन पहले ही ऑपरेशन ब्लू-स्टार की 39वीं बरसी थी। इस ऑपरेशन के दौरान ही जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उनके बहुत से समर्थकों की मृत्यु हुई थी। इस झांकी में इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाते लोग दिखाए गये।
भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरन मैके ने गुरुवार को कहा कि वह कनाडा में दिवंगत भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाने वाले कार्यक्रम की खबरों से स्तब्ध हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, कनाडा में नफ़रत या हिंसा के महिमामंडन के लिए कोई जगह नहीं है। मैं इन गतिविधियों की कड़ी निंदा करता हूं।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा में हुई ये घटना एक बड़ी समस्या से जुड़ी हुई है।
उन्होंने कहा, “कनाडा लगातार अलगाववादियों, चरमपंथियों और हिंसा का समर्थन करने वालों को फलने-फूलने मौका दे रहा है। हमें इसकी वजह समझ नहीं आती…सिवाए इसके कि ये वोट बैंक की ज़रूरत है। मुझे लगता है कि ये आपसी रिश्तों और कनाडा के लिए ठीक नहीं है।”
याद रहे कि कनाडा में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। इससे पहल भी मार्च महीने में खालिस्तान समर्थकों ने भारतीय दूतावास पर हल्ला बोल दिया था। उस समय भी विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैके से स्पष्टीकरण मांगा था कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद ‘‘अलगाववादी एवं अतिवादी तत्वों’’ को भारत के राजनयिक मिशन और वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा का उल्लंघन कैसे करने दिया गया।
कनाडा में अलगाववादियों का समर्थन केवल जस्टिन ट्रूडो की सत्तारूढ़ पार्टी ही नहीं करती। सच तो यह है कि कनाडा के तीनों राजनीतिक दल वर्तमान सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी, इसकी मुख्य विपक्षी कंज़र्वेटिव पार्टी, साथ ही केंद्र-बाएं न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) खालिस्तान समर्थकों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान से लगता है कि भारत और कनाडा के बीच व्यापार एवं विनिमय को इन घटनाओं से झटका लग सकता है। जब हम भारत और कनाडा के व्यापार संबंधों पर नज़र डालते हैं तो भारत कनाडा को फ़ार्मा, गारमेंट्स, डायमंड, केमिकल्स, जेम्स व ज्वैलरी, समुद्री उत्पाद, इंजीनियरिंग गुड्स जैसे सेक्टर के निर्यात करता है। जबकि भारत कनाडा से मुख्य रूप से अभी दाल, खाद, हवाई जहाज के उपकरण, हीरा, तांबा व कई अन्य धातुओं की खरीदारी करता है।
दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिये कई चरणों की बातचीत हो चुकी है। कनाडा का लगातार अलगाववादियों का साथ देना इस व्यापार समझौते में रोड़े अटका सकता है। फ़िलहाल वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल-फरवरी में भारत ने कनाडा को 3.8 अरब डॉलर का निर्यात किया था जबकि इस अवधि में भारत ने कनाडा से 3.7 अरब डॉलर का आयात किया था। दोनों देशों के बीच होने वाला यह व्यापार वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले 20 फीसद अधिक है। वर्ष 2022 में भारत ने यूएई और आस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौता किया। इस साल कनाडा के अलावा ब्रिटेन के साथ भी व्यापार समझौते को अंजाम दिया जा सकता है।
इस बीच कनाडा में भारतीय छात्रों को लेकर एक नया मसला खड़ा हो गया है। 2016-17 के बीच बहुत से छात्र कनाडा में शिक्षा के सिलसिले में गये थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने कनाडा में दाख़िल होने के लिये फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया है। इस कारण इन्हें कनाडा में स्थाई निवास नहीं मिल सकता। इनमें से अधिकांश विद्यार्थी भारतीय पंजाब से गये हैं।
इस विषय पर कनाडा की संसद में एनडीपी नेता जगमीत सिंह के पूछे एक सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि “हमारा उद्देश्य अपराधियों की पहचान करना है, न कि पीड़ितों को दंडित करना.”
सरकार में सहयोगी दल एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री आव्रजन धोखाधड़ी के शिकार भारतीय छात्रों को स्थायी नागरिकता देने पर विचार करेंगे?
इस सवाल के जवाब में जस्टिन ट्रूडो ने कहा, “हर मामले का मूल्यांकन किया जाएगा और पीड़ितों को अपना पक्ष रखने का मौक़ा दिया जाएगा.”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “उनका मकसद धोखाधड़ी के शिकार लोगों को सज़ा देना नहीं बल्कि दोषियों की पहचान करना है।”
जस्टिन ट्रूडो के इस बयान से छात्रों को कुछ राहत महसूस हो रही है। मगर कनाडा में डिपोर्ट होने से बचने के लिए भारतीय छात्र विरोध कर रहे हैं। ऐसे ही मामलों में शामिल एक वकील के मुताबिक़ फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के मामले में शामिल छात्रों की संख्या 150 से 200 हो सकती है।
पंजाब का एक ऐसा छात्र लवप्रीत सिंह है जिसे 13 जून को डिपोर्ट किया जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी ने कनाडा के ब्रैम्पटन में एक परेड के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी दिखाए जाने के जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से निर्णायक कार्रवाई करने की अपील की है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने इसे घिनौना कृत्य भी करार दिया।
इस झांकी से जुड़ा वीडियो साझा करते हुए कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा ने ट्वीट किया, ‘ एक भारतीय के रूप में यह देख कर मुझे पीड़ा हुई कि कनाडा के ब्रैम्पटन में पांच किलोमीटर लंबी परेड निकाली गई जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाया गया। यह किसी का पक्ष लेने की बात नहीं है, बल्कि राष्ट्र के इतिहास और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या से हुई पीड़ा और संवेदना की बात है।’
विचारणीय प्रश्न है कि आतंकवाद की पनाह न केवल कनाडा बल्कि हर देश हो रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति के चलते भारत मे गुंडाशाही पनपी। बड़े बड़े बाहुबली बने। कट्टर राष्ट्रवाद के नाम पर गोडसे द्वारा गांधी की हत्या का सीन भी रिक्रिएट किया जाता है। किसानों को दलितों को बहका कर उग्र प्रदर्शन कराए जाते हैं।
यह वोटबैंक की राजनीति पिछले दो दशकों में हावी हो गयी पहले मोरल नाम की भी कोई चीज थी अब तो स्वार्थ ही सब कुछ रह गया। शायद अति हर क्षेत्र में प्रधान है। विश्व किस तरफ जा रहा है यह स्पष्ट संकेत है।
इस धीर गंभीर सार्थक टिप्पणी के लिये धन्यवाद सुरेश भाई।
अत्यंत शर्मनाक घटना जिसे यह राष्ट्र अपने फायदे के लिए समर्थन कर रहे हैं। खालिस्तान समर्थक ऑस्ट्रेलिया में भी सक्रिय हैं । समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया तो परिणाम भयंकर होंगे। ऐसी गतिविधियों का सहयोग,समर्थन देते समय राष्ट्राध्यक्ष भूल जाते हैं कि यह उनके साथ भी हो सकता है।
सटीक टिप्पणी उषा जी। हार्दिक आभार।
चनाडा की धरती पर अलग खालिस्तान की मांग वाले जलूस की अनुमति हीं अपने आप में भारत विरोधी गतिविधि है। चनाडियन प्र मं तथा ब्रिटिश राजा को इसके लिए भारत के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। इंदिरा गाँधी की हत्या की झाँकी प्रदर्शित करना अलगाववादियों के मूर्खता की पहचान है। इस झाँकी का मतलब हत्या का जश्न निकालना या समझना सिर्फ और सिर्फ भारत-विरोधी अलगाववादियों की नजर/नजरिये में संभव है।
भारत प्रेमियों के लिए इस झाँकी का अर्थ इंदिरा गाँधी की बहादुरी एवं उनका बलिदान होना चाहिए, और है। इस झाँकी का संदेश साफ साफ स्पष्ट है कि किस तरह एक अकेली इंदिरा ने अपनी जान अपना खून देकर अलगाववादियों के मंसूबे तोड़ दिये थे। इस झाँकी में लहू से लथपथ नारी मूर्ति को देखकर अलगाववादी चाहे जो भी सोंचे। देशभक्तों के हौसले निश्चय हीं बढ़ेंगे।
भाई राजनन्दन जी आपने भारत प्रेमियों को सही संदेश दिया है। हार्दिक आभार।
Your Editorial of the day is about the shocking state of affairs in Canada vis a vis India where Khalistanis are not being taken to task even when they insult our one time Prime Minister Indira Gandhi n gloat over her murder.
Also a timely discussion to draw our attention to the sad n unfortunate state of those students who got into Canada on the basis of false admissions to its educational institutions n who will now be deported.
An objective n relevant narrative indeed.
Warm regards
Deepak Sharma
Thanks for this comprehensive comment Deepak ji.
Being extremist is not an option for global wellbeing. Citizen of all countries religions cast and creed need to understand this and act accordingly.
You are so right Ajanta. Thanks for your valued comment.
आदरणीय संपादक महोदय
हिंदी में एक कहावत है,’ डायन भी सात घर छोड़कर अपना रूप दिखाती है’ परंतु आतंकवाद ऐसा राक्षस है कि वह सात घर नहीं छोड़ता ।वह अपने घर को भी उतना ही पीड़ित करता है जितना दूसरों को करने की कोशिश करता है ,जो भी देश आतंकवाद को प्रश्रय देगा, कभी न कभी उसको भी बर्बर आतंकवाद का सामना करना पड़ेगा।
सत्ता के लोभ के कारण आतंकवाद जन्म लेता है और सत्ता पाने का लालच ही उसे प्रश्न भी देता है,और बलि चढ़ती है, निर्दोष जनता। परिस्थिति बड़ी विषम है। कब ,कहां और कैसे इस आतंकवाद से मुक्ति मिलेगी यह शायद किसी को नहीं मालूम है। इस विषय पर मन में केवल यही भाव आता है ईश्वर सबको सद्बुधि दें और सबकी रक्षा करें।
इस सारगर्भित टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार सरोजिनी जी।
कनाडा का ये चित्र बेहद खतरनाक है, ऐसे ही राहुल गांधी जी की बयानबाजी भी खतरनाक है। कनाडा पाकिस्तान की राह बढ़ रहा है तो उसे पाकिस्तान का हाल भी देख लेना चाहिए
सही कहा आपने आलोक भाई।
राजनैतिक स्वार्थ के चलते सत्तालोलुप दल चरमपंथियों का सहारा लेने से भी ग़ुरेज़ नहीं करते । उन्हें बढ़ावा देकर अपनी चांदी चमकाने में विश्वभर की तमाम पार्टियां लिप्त हैं .. क्या कनाडा, क्या पाकिस्तान और क्या ही हमारा अपना भारत देश । हमारे देश में भी इतिहास गवाह है कि स्वार्थवश आतंकवादियों के हौसले बढ़ाये गये और नियंत्रण न रह पाने पर ख़ुद भी उसके शिकार हो गये । ऐसी ही पार्टियों के नेता शायद जानते नहीं कि ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयानबाज़ी कितनी ख़तरनाक हो सकती है , शर्मनाक होना तो उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है ।
वैचारिकी अपरिपक्वता और छिछले व्यवहार की बड़े स्तर पर आलोचना की जानी चाहिए। हर देश के इन “राहुल गॉंधियों” को अपनी सोच और आदर्श का स्तर बढ़ाने की शिक्षा दी जानी चाहिए अन्यथा स्थिति कहीं और न बिगड़ जाये।
सटीक और तथ्यपरक संपादकीय के लिए धन्यवाद!
रचना आपने स्थिति को सही समझा है। हार्दिक आभार।
विचारणीय अक्ष से अवगत कराने के लिए आभार आदरणीय. ….
स्वागत है सरिता।
आपके विचारों से पूर्णतः सहमत
Dr Prabha mishra
धन्यवाद प्रभा जी।
अब इन मुद्दों पर भारत में भी खुलकर बात होनी चाहिए। हमारे भारतीय बंधु कितना कुछ झेल रहे हैं वहाँ।
सही कहा आपने ज्योति।
आंखें खोल देने वाला संपादकीय…निश्चय ही स्थिति भयावह है और राहुल गांधी जैसे नेता तो ऐसे में आग में घी का काम करते हैं
जया इस प्यारी सी टिप्पणी के लिये विशेष धन्यवाद।
वोट के लिए देश भस्मासुर बन रहे हैं। गद्दी के लिए जैसे राहुल समेत कांग्रेसी भारत में आतंकवाद लाने के लिए कटिबद्ध हैं, वैसे ही यूरोपीय देश भी कर रहे हैं। यूँ तो भिंडरावाले को हीरो बनाने का काम इन्दिरा ने ही शुरू किया था, परिणामस्वरूप मारी गयीं। लेकिन खालिस्तान का रोग भारत में कोढ़ की तरह फैला कर चली गईं। आज जब अपने नेता का सरेआम जुलूस निकल रहा है तो दोगले कांग्रेसियों को देश के गौरव की याद आयी, जबकि विदेशों में घूम कर राहुल देश के गौरव को कलंकित करने में लगे हुए हैं।
कनाडा के उच्चायुक्त को नहीं स्वयं प्रधानमंत्री को इसकी निन्दा करनी चाहिए अन्यथा भारत को कनाडा के खिलाफ़ कड़े कदम उठाने चाहिये। विश्व के गिरते चरित्र को उजागर करते सम्पादकीय के लिए हार्दिक धन्यावाद.
शैली जी आप की बेबाक टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार।
यह अत्यंत गंभीर मुद्दा है साथ ही अति निंदनीय
सत्ता, गद्दी के लिए सब चलता है
पर सोचने वाली बात है
निकट भविष्य में यही हरकते
पूरे विश्व के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं
शुरूवात होनी चाहिए भारत से
मजबूत क़दम उठाना होगा
डॉ. सपना सार्थक टिप्पणी के लिये धन्यवाद।
रोचक विषयो की संपूर्ण जानकारी बड़ी स्वादिष्ट और सारगर्भित होती है।धन्यवाद सहित बधाई।
धन्यवाद डॉ. अंसारी।
ट्रूडो एक अल्पमत सरकार का नेतृत्व करते हैं, जिसे न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) का समर्थन प्राप्त है, जिसका नेतृत्व कट्टर-खालिस्तानी अलगाववादी जगमीत सिंह कर रहे हैं। NDP के पास संसद में 24 सीटें हैं, जिनका समर्थन ट्रूडो सरकार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।
तेजेन्द्र सर! हमेशा बेखौफ संपादकीय लिखते है |
संगीता प्रयास रहता है कि सच लिखूं… आप सबका स्नेह हिम्मत देता है।
आतंकवाद और भ्रष्टाचार आज सभी देशों की समस्या है। इसकी शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी किंतु आज भी जयचंदों की कमी नहीं। शायद इसलिए चाणक्य कथन आज भी प्रासंगिक है किसी भी विदेशी महिला की संतान को देश का राजा नहीं होना चाहिए।
अंजु आपने बहुत बेबाक टिप्पणी की है।
बहुत गंभीर व विचारणीय मुद्दा है। आपके विचारों से सहमत हूं।
धन्यवाद अपूर्वा।
आतंकवाद को लेकर आपका संपादतीय बहुत ही सराहनिय है। दुनिया का कोई भी देश लेलो, किसी न किसी रूप में आतंकवाद और भ्रष्टाचार के घेरे में फँसा हुआ है। और इधर देश के नेता वोट बैंक और “बस मेरी कुर्सी बनी रहे” के चक्कर में सब कुछ सहने तथा बर्दाशत करने को तैयार हैं। सब जगह यही हो रहा है। कहीं कम कहीं ज़्यादा। “ इलैक्षन में मेरी हारी हुई कुर्सी मुझे किसी भी तरह से मिल जाये” को लेकर राहुल गांधी जो बाहर आकर अपने ही देश को बदनाम कर रहे हैं वो कहाँ तक ठीक है?
इस सार्थक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार विजय भाई।
बहुत ही गम्भीर और विचारणीय सम्पादकीय। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया आज खालिस्तानी गढ़ बन गया है लेकिन आश्चर्य की बात है कि वहाँ की सरकार क्यों इस बात को समझना नहीं चाहती कि आने वाले समय में वहाँ के मूलनिवासी बेघर हो जाएंगे। जो खालिस्तान समर्थक अपने देश के नहीं हुए, वो क्या ही किसी और मुल्क के हो पाएंगे। अगर कभी खलिस्तान भारत से अलग हुआ भी तो उसका भी वही हाल होगा जो आज पाकिस्तान का है। रही बात राहुल गांधी की, तो कुछ ना ही कहा जाए बेहतर होगा। वैसे भी भारत में गद्दारों की एक बड़ी फौज खड़ी हो रही है।
रिंकु जी, अपके प्रश्न महत्वपूर्ण हैं। हार्दिक आभार।
आज का आपका संपादकीय न केवल समसामयिक है वरन खालिस्तान की नासूर बनती समस्या को भी रेखांकित करते हुए चिंता भी दर्शा रहा है। जैसे राहुल गाँधी का अमेरिका में जाकर अपने ही देश के लोकतान्त्रिक ढांचे का मखोल उड़ाना उनकी कुत्सित मानसिकता का द्योतक हैं ठीक उसी तरह खालिस्तान समर्थकों का स्वर्गीय दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या को उचित ठहराना ठीक नहीं है।
सचमुच कनाडा आतंकवादियों की पनाहगाह बनता जा रहा है। इन खालिस्तान समर्थकों ने किसान आंदोलन के बहाने 26 जनवरी को देश को कलंकित करने का काम किया था। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की जो भी मज़बूरी रही हो लेकिन भारत सरकार के द्वारा इनकी सिर्फ निंदा करना ही काफ़ी नहीं है, कुछ कड़े निर्णय भी आवश्यक हैं वरना यह समस्या भी पाकिस्तान की तरह हमारे देश के विकास में बाधक सिद्ध होगी ही, वहीं एक दिन कनाडा भी विनाश के कगार पर खड़ा नजर आएगा।
इस सारगर्भित टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार सुधा जी।
नमस्कार तेजेन्द्र जी
प्रत्येक समसामयिक विषयों पर आपका संपादकीय जैसे जन मानस में खलबली पैदा करता है।
अक्सर मन यह सोचने के लिए विवश हो जाता है कि आख़िर कितना और असुरक्षित होगा पूरा विश्व ?
कोई भी सरकार इस प्रकार की झांकियों की इज़ाज़त कैसे दे सकती है? इनके पीछे इनके मकसद का अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है।
इन सबसे किसका लाभ होगा, यह तो समय ही बता सकता है लेकिन इससे किसकी हानि नहीं होगी, यह चिंताजनक अवश्य है।
जब अपने देश पर दावा करने वाले लोगों को इतनी तहज़ीब नहीं है कि कहाँ क्या बोलना चाहिए तब उनसे किसी बेहतरी की आशा करना तो मूर्खता ही है।
यह सरेआम इस प्रकार की झाँकी दिखाने का परिणाम कितना भयंकर हो सकता है, सोचकर भी दहशत होती है। ये सब हरकतें किसी एक की नहीं, न जाने कब किसके लिए विनाशकारी सिद्ध हो जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता।
ईश्वरीय शक्ति ही मार्ग निर्देशन करे,विश्व का कल्याण करे उसकी ही प्रतीक्षा है
आपकी पार्टी नज़र ने मुद्दे को जड़ से पकड़ा है। हार्दिक आभार।
बढ़िया प्रस्तुति
धन्यवाद संगीता
आपकी सम्पादकीय हमेशा से ही सही दशा और दिशा दिखाती है, आतंकवादियों द्वारा दर्शाई गई झांकी खतरनाक स्थिति दर्शा रही है…. किसी भी पार्टी की नेता हों, इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री पद पर आसीन थी…. और य़ह झाँकी स्वार्थ की गंदी सोच स्पष्ट दिखाई दे रही है! वैश्विक परिदृश्य में दहशत का माहौल मानवता पर बहुत भारी पड़ेगा….नेताओं को अपनी जुबान और अपने स्वार्थों से भरे कार्यों पर लगाम लगाने का समय आ गया है l इसमें कनाडा कुछ अधिक आगे बढ़ रहा है l विरोध विरोध तक ही सीमित रहना चाहिए l गद्दारी की शक़्ल न ले तो बेहतर होगा l भारत सरकार को संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करनी चाहिए l बन्दूक से खेलने वाले उसकी गोलियों की ज़द से कभी भी बाहर नहीं होते..य़ह भी ध्यान रखना चाहिए l
स्वार्थपरता और व्यक्तिवादी विचारधारा का युग है, इसके चलते किसी का भी हित सुनिश्चित/सुरक्षित दिखाई नहीं देता । विपक्षी होने का मतलब स्वस्थ राजनीति होना चाहिए, न कि इसके उलट;
इंदिरा गांधी जी स्वतंत्र भारत की मुख्य धारा में अपनी अहम भूमिका निभा चुकी हैं । उनका अपमान राष्ट्र का अपमान है विरोध भी गरिमामय होना चाहिए, तो कुछ और बात हो