आप ‘मन के दस्तावेज़’ के रेगुलर पाठक हैं तब यक़ीनन कह सकती हूँ कि आपने अपने जीवन के लिए लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। उस लक्ष्य को पाने के लिए आप निरंतर मेहनत भी कर रहे हैं। यदि यह सही है तो अपनी बढ़त की गति को बनाए रखने के लिए या अपनी गति बढ़ाने का एक ही तरीक़ा है कि लगातार अपने लिए गोल निर्धारित करें। छोटे-छोटे टार्गेट, बड़ी उपलब्धियों की राह सुनिश्चित करते हैं। जिस क्षेत्र में आप अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, उसकी पूरी जानकारी हासिल करें। आगे बढ़ने की राह कैसी हो? रास्ते की अड़चनें, संभावित परेशानियाँ क्या हो सकती हैं और उन पर कैसे पार पाया जा सकता है, इन सबके बारे में विचार ज़रूर कर लें।
इन सभी काल्पनिक ख़तरों से निपटने की मन के भीतर किसी कोने में तैयारी भी रखें। जिस तरह कभी-कभी ढ़ेर सारी खुशियाँ और उपलब्धियाँ अचानक आ जाती हैं जिन्हें सम्हालने में समय लग जाता है उसी तरह ख़तरे और परेशानियाँ भी हमारा हौंसला जाँचने के लिए एक के बाद एक आते ही चले जाते हैं। इन परेशानियों पर पार पाने का तरीक़ा आना चाहिए। इससे आप अपनी सफल होने की यात्रा पर बढ़ना जारी रख सकेंगे।
एक बात हमेशा याद रखें कि तैयारी अपनी जीत की करें। इस तैयारी में यदि मिलावट हुई, तब आपकी जीत होना शक़ के दायरे में आ सकता है। यदि तैयारी अपनी जीत की है, तब जीतना संभव है मगर इसके उलट यदि आप किसी को हराने की तैयारी कर रहे हैं, तब सामने वाले की हार हो या ना हो, आपका जीत पाना मुश्किल में पड़ सकता है। इसका ताजा उदाहरण भारत की राजनीतिक पार्टियों के व्यवहार से समझा जा सकता है। अचम्भे की बात है कि आज समूचा विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी को हराने की तैयारी कर रहा है। उन्हें समझना होगा कि जब तक वे अपनी जीत की तैयारी नहीं करेंगे, अपने प्रतिद्वंदी को हरा नहीं सकेंगे। अपनी कमियों को दूर कर, अपने सकारात्मक पक्षों पर जब तक काम नहीं करेंगे, राजनीतिक दल ही नहीं, कोई भी व्यक्ति किसी को, ना हरा सकता है और ना ही अपनी जीत सुनिश्चित कर सकता है।
अपने सामने वाले को हराने की मानसिकता लेकर तैयारी करेंगे, तब आप हार जाएंगे। जब अपनी जीत की तैयारी में लगेंगे, तभी आपकी जीत संभव होगी। यहाँ सारा खेल आपकी सोच का है। हर व्यक्ति अपनी सोच के चलते जीत जाता है या हारता है। इस बात का यक़ीन रखिए कि आपकी तरक्की में सिर्फ और सिर्फ आपकी सोच, आपका जीतने का एटीट्यूड और अपने आप पर भरोसा करने की आदत ही सब कुछ निर्धारित करती है।
सामने वाले की “हार” चाहना, ग़लत सोच है। अपनी “जीत” की तैयारी करेंगे तब यक़ीनन आप जीत जाएंगे। प्रकृति के नियमानुसार विजेता कोई एक ही होता है। यानी एक की जीत है तो दूसरे की हार पक्की है। इसीलिए जब भी तैयारी करें, अपनी जीत के लिए तैयारी करें। आप के जीत जाने से सामने वाला खुद-ब-खुद हार जाएगा। प्राकृति का नियम है कि एक समय में शीर्ष पर एक ही व्यक्ति पहुंचता है इसीलिए आप शीर्ष पर पहुँचने और वहाँ बने रहने की तैयारी करें।
सारगर्भित टिप्पणी
धन्यवाद डॉ अकरम।
Great piece, once again! Loved the political comparison.
गोपाल देव नीरद जी आपकी इस सकारात्मक टिप्पणी के लिए आभार।
Thanks Shivani betu.
बेहद ला-जवाब पेशकश,और बेबाक नज़रिया काश इंसान लफ़्ज़ की रूह और उसके वाजिब मानी से रूशनास हो और लफ़्ज़ -ए-हब्बत से हमआहंग हो तो जीवन अपने असल सलीके से रवाना होने लगे, आपका यह एक जुमला ही अपने आप में ज़िन्दगी का मुकम्मल सफ़र नामा है “किसी को हराने की नहीं अपनी जीत की तैयारी करें तब लहू को असली इज़्ज़त मिलेगी
अजीब इत्तेफाक है गुरुवार को हम अपने एक मित्र से फ़ोन पर बात कर रहे थे और हमने उसे कहा हम तुम्हें हराने में नहीं जीतने में यक़ीन रखते हैं आज सूरत-ए- तहरीर वो बात हमारे सामने आ गयी.
माशाअल्लाह ला-जवाब पेशकश के लिये साधुवाद अभिवादन और शुभकामनाएं
गोपाल देव नीरद जी आपकी इस सकारात्मक टिप्पणी के लिए आभार।
एक सार्थक सोच की ओर ले जाने वाला आपका लेख बहुत उपयोगी हैं। पढ़ कर खुशी हुई , इसके लिए साधुवाद।
रेखा जी, आप जैसे सुधी पाठकों की प्रतिक्रियाएं निरंतर अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करती हैं।
आभार आपका।