उम्मीद खो देना बहुत आसान है मगर उम्मीद बनाए रखना, संघर्षशील होने की यानी जीवित होने के निशानी है। अपने आसपास चींटियों को देखिए, अपने वजन से बीस गुना अधिक बोझ उठा कर भी वह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दौड़ी चली जाती हैं। ना उन्हें कोई बाधा रोक सकती है और ना ही किसी तरह के हालात। भटकाव को दरकिनार कर चींटियों का पूरा कुनबा अपने काम पर जुटा रहता है।
अब पक्षियों की ओर नज़र दौड़ाते हैं। उनका व्यवहार ध्यान से देखिए। परिन्दे जानती हैं कि पंख निकलते ही उनके बच्चे उड़ जाएंगे। इसके बावजूद वह अपने बच्चों के लिए नर्म और सुरक्षित घोंसला बनाते हैं। पक्षी यह भी जानते हैं कि इस बार बनाया हुआ घोंसला, एक बार ही काम आएगा। अगली बार, अगले वर्ष फिर से नया घोंसला बनाना होगा। इसके बावजूद वह हार नहीं मानते। पक्षी जीवन भर यही प्रक्रिया बार-बार दोहराते हैं। यही उनकी पहचान है।
अब हम अपनी बात करते हैं, यानी इंसानों की बात करते है। इंसान प्रकृति की बेहतरीन कारीगरी है। प्रकृति ने मनुष्य को सबसे अधिक बुद्धिमान, समझदार और कर्मठ बनाया है। इन गुणों के साथ इंसान में अपना अच्छा-बुरा पहचानने की समझ भी होती है। जितने गुण प्रकृति ने इंसानों को दिये हैं उतने, किसी अन्य जीवित प्राणी में नहीं होते। लगातार के अभ्यास से अपने भीतर इन गुणों को और अधिक विकसित किया जा सकता है।
हर व्यक्ति में इतनी सारी खूबियाँ हैं, इसका मतलब है कि अन्य जीव-जंतुओं के अनुपात में प्रकृति ने इंसान को अलग तरह से बनाया है। यानी मनुष्य धरती का सुंदरतम निर्माण हैं। कुदरत की नायाब कारीगरी है। फिर इतनी सारी खूबियों वाला व्यक्ति, हार कैसे मान सकता है? इतनी खूबियों वाले इंसान को हालात से पैदा होने वाली परेशानियों के सामने घुटने नहीं टेकने होते। अपनी समझ, धैर्य और विवेक के आधार पर परेशानियों से बाहर निकलने की राह बनानी होती है। यक़ीन मानिए कि कोई भी रास्ता आसान नहीं है। इसे अपनी मेहनत और पीछे ना हटने के एटीट्यूड से आसान बनाना होता है। इस सच्चाई को जानते हुए भी निरंतर चलते रहना होता है। यही जीवन है, यही जीवन का फलसफा है।
सार्थक लेख
धन्यवाद वन्दना जी।