दिन और रात के चौबीस घंटो में से अपने लिए समय का एक बेहतरीन टुकड़ा बचा कर अलग से रख लेना, कितनी सुंदर कल्पना है। आप चाहें तो यह कल्पना सच हो सकती है। काम के रूटीन में बंधे दिन में से अपने लिए अलग समय होना, जिसे आप अपनी पसंद के काम में इस्तेमाल कर सकते हैं, क्या यह संभव है? मेरा जवाब होगा – ‘हाँ यह संभव है।‘
अल सुबह उठकर अपनी पसंद का काम करना यानी नियमित दिनचर्या में से अपने लिए दिन का अतिरिक्त समय निकालना। इसके लिए थोड़ी सूझबूझ की ज़रूरत होगी। करना यह है कि जो दिन सबको लिए छः बजे शुरू होता है, कोशिश करें कि आपके लिए वही समय सुबह साढ़े चार या पांच बजे शुरू हो जाए। इस से होगा यह कि आपके आसपास के लोगों को अपने प्रतिदिन के जीवन और सपनों को पूरा करने के लिए जितना समय मिलता है, आपने उसी समय में से अपने लिए एक-डेढ़ घंटा अधिक समय सृजित कर लिया है। 
चौबीस घंटों के दिन-रात में से हर दिन अपने लिए एक निर्धारित समय निकाल लेना, अपने लक्ष्य प्राप्ती के लिए आपकी लगन बताता है। जिस काम के लिए दिन की जिम्मेदारियों के बीच समय नहीं मिलता है, अपनी रूचि के ऐसे हर काम के लिए आपको इस समय का उपयोग करना है। 
यही वह समय है जो घर-परिवार की जिम्मेदारियों, नौकरी की भागदौड, और सामाजिक जीवन से अलग, सिर्फ आपका है। इस समय को आप अपने सपनों को पूरा करने की तैयारी के लिए उपयोग करें। रात को समय पर सो जाएं और सुबह पूरी उर्जा के साथ थोड़ा जल्दी उठें। इस वक्त घर में और घर से बाहर आपके आसपास रहने वाले सब लोग गहरी नींद में सोए हैं। यानी इस समय ना ट्रैफिक की आवाज़ें हैं, ना मोबाइल या म्यूजिक सिस्टम पर बजते गीत-गानों का शोर है। सब तरफ शांति है, सुकून है। यह समय आपका सबसे बड़ा बोनस है। यही हर दिन के ऐसे कुछ घंटे हैं, जो आपको खुद अपने लिए रखने हैं। और यह आपका, अपने लिए बनाया हुआ अतिरिक्त समय है। इसे आपने चौबीस घंटों के बंधे-बंधाए रूटीन से अलग, अपने सपनों को पूरा करने की तैयारी के लिए सृजित किया है। 
इस अपने, नितांत व्यक्तिगत समय का जितना उपयोग आप करेंगे, अपनी मंज़िल के और अधिक करीब पहुंच जाएंगे। बहुत जल्दी आप पाएंगे कि हर दिन सुबह उठने के लिए आपके पास सोलिड प्लान है। अगले दिन की शुरूआत को लेकर आप रोमांच से भरे हुए हैं। हर दिन आपकी तैयारी एक कदम और आगे बढ़ रही है। आपको अपने सपनों को पूरा करने की ओर बढ़ते कदम मुबारक।  

3 टिप्पणी

  1. मेरे गुरूजी आदरणीय प्रोफेसर भरत सिंह जी कहते हैं चौबीस घंटे में स्वयं के लिए एक घंटा अवश्य निकालो…. आज वो यूनिवर्सिटी की यादें आपने ताज़ा करा दी मैम…. आज दो विद्वानों ने एक ही बात कही है जिससे ज़ाहिर होता है…. अनमोल जीवन को भी स्वयं के लिए समय चाहिए……

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