21 अप्रैल, 2023 को पुरवाई ई-पत्रिका द्वारा पुरवाई कथा सम्मान 2021 एवं 2022 की सम्मानित कहानियों पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार-कथाकार अवधेश प्रीत, युवा लेखिका अंजू शर्मा सहित दोनों वर्ष की सम्मानित कहानीकार श्रद्धा थवाईत (2021) एवं डॉ हंसा दीप (2022) उपस्थित रहे। पुरवाई की ओर से कार्यक्रम में, पत्रिका के संपादक तेजेंद्र शर्मा, पुरवाई टीम की सदस्य नीलिमा शर्मा एवं पीयूष द्विवेदी की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत में नीलिमा शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। फिर पुरवाई के संपादक तेजेंद्र शर्मा द्वारा ‘पुरवाई कथा सम्मान’ की शुरुआत, कहानियों की चयन-प्रक्रिया, मानकों आदि के विषय में संक्षिप्त जानकारी दी गई। इसके पश्चात् वरिष्ठ साहित्यकार अवधेश प्रीत ने श्रद्धा थवाईत की सम्मानित कहानी ‘साझा संस्कृति की कश्ती’ पर अपने विचार रखे। अवधेश प्रीत ने कहानी के विषय और प्रस्तुति की खुलकर प्रशंसा की और इसे हिंदी की एक महत्त्वपूर्ण कहानी माना लेकिन साथ में यह भी जोड़ा कि कहानी के दूसरे हिस्से में जो ‘डिटेलिंग’ है, वो आरोपित लगती है। इस स्थिति से बचकर यह कहानी और बेहतर हो सकती थी। इसके पश्चात् श्रद्धा थवाईत द्वारा कहानी की रचना-प्रक्रिया पर अपनी बात रखी गई और अवधेश प्रीत तथा पुरवाई का आभार व्यक्त किया गया।
युवा लेखिका अंजू शर्मा ने डॉ. हंसा दीप की सम्मानित कहानी ‘शून्य के भीतर’ पर वक्तव्य दिया। कहानी की मुक्तकंठ प्रशंसा करते हुए अंजू शर्मा ने कहा कि मानव और पशु-पक्षी संबंधों को लेकर चलती यह कहानी सीख देती है कि हम परिवार के न होने पर अकेले भी एक संसार की रचना कर सकते हैं, बशर्ते कि अपने आप को बिखरने न दें। अंजू द्वारा कहानी के उद्देश्य और उसमें उपस्थित करुणा के भाव की विशेष रूप से सराहना की गई। अवधेश प्रीत ने भी इस कहानी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी रखी। तत्पश्चात डॉ. हंसा दीप द्वारा अंजू शर्मा, अवधेश प्रीत सहित पुरवाई की पूरी टीम का धन्यवाद व्यक्त किया गया। अंत में, पुरवाई के संपादक तेजेंद्र शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम का सञ्चालन पीयूष द्विवेदी ने किया।
तेजेंद्र शर्मा जी
आप को बहुत बधाई कार्यक्रम की सफलता के लिए, सभी सम्मानित कथा कारों को बधाई। पुरवाई के सदस्य भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम करते रहे इसकी कामना करते हैं।
जहां तक मुझे लगता है कि साहित्य की और भी विधाओं पर लेखकों को सम्मानित करना चाहिए। आलेख, कविताएं ,व्यंग यात्रा संस्मरण आदि।
बहुत धन्यवाद डॉ. मुक्ति जी।