काले तिल वाली लड़की
कल तुम जिससे मिलीं
फोन आया था वहाँ से
तुम तिल भूल आयी हो
सुनो लडकियों ये तिल बहुत आवारा होते हैं
चन्द्र ग्रहण की तरह
काला तिल अनाज नही होता
ये पूरी दुनिया होता है
जिससे मिलो सँभल कर मिलो
ये मिलना भी ज्वार भाटा है जिसमें तुम डूब जाती हो
और भूल आती हो तिल
ये तिल अभिशाप नहीं
देखो!
मेरे हाथ में भी एक तिल है
अम्मा ने कहा खूब पैसा होगा
मुट्ठी तो बाँधों जरा
पर मुट्ठी कहाँ बँधी रही है
जो अब रहेगी
खुल ही जाती है
और दिख जाता है तिल
ये छुप नहीं सकता
और दुनिया ढूँढ लेती है
ऐसे ही
धूप नहीं पड़ती
देखो पर्दा लगा है
पर्दे के भीतर भी
लड़की बदचलन हो जाती है
और तिल आवारा
और तुम हो कि नदी में
छलांग लगाती हो ।

शिक्षा – बी. टेक, एम.ए.हिन्दी।
सम्प्रति – स्वतन्त्र लेखन
प्रकाशन – विभिन्न पत्र पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित
जन्म स्थान – आगरा