• पुरवाई टीम
ब्रिटेन के इतिहास में (शायद विश्व के इतिहास में) ऐसा पहली बार हुआ है कि एक 92 वर्ष के व्यक्ति ने गणित में जी.सी.एस.ई. (मैट्रिक) की परीक्षा पास की है। 
पुरवाई के पाठकों के लिये यह जान लेना आवश्यक होगा कि ब्रिटेन में यदि कोई विद्यार्थी चाहे तो किसी भी विषय में जी.सी.एस.ई. की परीक्षा पास कर सकता है। कम से कम या अधिक से अधिक विषयों की कोई सीमा नहीं है। 
इसे ज़ूम का कमाल ही कहा जा सकता है क्योंकि डेरेक ने अपनी सारी पढ़ाई ज़ूम के माध्यम से ही पूरी की। 

डेरेक ने इस वर्ष मई महीने में यह परीक्षा ली और उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण भी हुए। डेरेक के तीन पोते पोतियां हैं। वह अपनी परीक्षा का परिणाम जान कर बहुत प्रसन्न दिखाई दे रहे थे। 
डेरेक का कहना है कि जब उन्होंने पिछले सितम्बर में इस विषय की पढ़ाई शुरू की तो किसी को इसके बारे में जानकारी नहीं दी। उन्हें डर था कि यदि वे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए तो ख़ासी शर्मिन्दगी उठानी पड़ेगी। इसलिये मैं चोरी चोरी चुपके चुपके पढ़ाई करता रहा। 
मुझे रत्ती भर फ़र्क नहीं पड़ता था कि मुझे कितने अंक मिलेंगे। मैं केवल आनंद की अनुभूति कर रहा था। मेरा पूरा परिवार भी इसमें केवल ख़ुशी ढूंढ रहा था। किसी को कोई ख़ास अपेक्षाएं नहीं थी। मेरे परिवार को मेरी इस उपलब्धि से खुशी मिली, मेरे लिये यह काफ़ी है। 
जब मुझे परिणाम का लिफ़ाफ़ा मिला तो मैंने पाया कि मुझे वो उच्चतम अंक प्राप्त हुए जो कि मुझे मिल सकते थे। मैंने इस आयु में गणित में जी.सी.एस.ई. पूरी कर ली यह बहुत आनंददायक स्थिति है। 
पुरवाई परिवार डेरेक स्किपर को इस अनूठी सफलता पर बधाई देता है और विश्व के तमाम वरिष्ठ नागरिकों को एक बार फिर से यह बात बताना चाहता है कि कुछ भी नया सीखने या करने के लिये – “ना उम्र की सीमा है… न शर्म का है बंधन… ”

8 टिप्पणी

  1. आशावादी सम्पादकीय
    “न उम्र की सीमा हो न जन्म /शर्म का हो बंधन
    सार की बात
    Dr Prabha mishra

    • प्रभा जी यह इस सप्ताह का संपादकीय तो नहीं है… मगर पुरवाई टीम को डेरेक स्किपर की उपलब्धि प्रेरणादायक लगी। इसीलिए साझा की।

  2. जब दिमाग़ के न्यूरॉन्स मृत होने लगते हैं, लोग डिमेन्शिया, अल्जाईमर और पार्किन्सन आदि रोगों से जुझ रहे होते हैं, ऐसे में गणित जैसा विषय ऑनलाइन पढ़ कर उत्तीर्ण होना बड़ी बात है। बन्दे के जज़्बे को सलाम। आपको ऐसे प्रेरक सूचना देने के लिए धन्यवाद।

  3. आदरणीय तेजेंद्र जी, सर्वप्रथम, मैं इस प्रेरणादायी समाचार के लिए पुरवाई की संपादकीय टीम को बधाई देती हूँ ।
    बहुत अच्छे संपादकीयों और सामग्री के लिए भी पुरवाई बधाई की पात्र है । लेकिन इसमें कई बार भाषा की व्याकरण और विराम चिह्न संबंधी अनेक त्रुटियाँ होती हैं जो मन को खटकती हैं । नीचे कुछ उदाहरण उद्धृत हैं ।
    आशा है कि भविष्य में सामग्री इस तरह की त्रुटियों से मुक्त होगी ।
    सादर सद्भावना सहित,
    डॉ. वंदना मुकेश

    1. डेरेक ने इस वर्ष मई महीने में यह परीक्षा ली- यह वाक्य अंग्रेज़ी का अनुवाद है ।

    हिंदी भाषा में परीक्षा जाती है । इस वाक्य का अर्थ है कि डैरेक ने किसी और की परीक्षा ली।

    2. डेरेक का कहना है कि जब उन्होंने पिछले सितम्बर ……. इसलिये मैं चोरी चोरी चुपके चुपके पढ़ाई करता रहा। 
    अन्य पुरुष से बात आरंभ होती है और असंगत रूप से प्रथम पुरुष में समाप्त

    1. मुझे रत्ती भर फ़र्क नहीं पड़ता था कि मुझे ……. यह बहुत आनंददायक स्थिति है। 
    दोनों अनुच्छेदों में उद्धरण चिह्न नदारद हैं ।

  4. विद्वत्ता और ज्ञानप्राप्ति की कोई उम्र-सीमा नहीं होती है। डेरेक की लगन अन्य जनों के लिए भी प्रेरणादायी है। डेरेक के लिए शुभकामना कि वह इससे आगे की परीक्षा भी इसी उत्साह से उत्तीर्ण कर सकें।

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