व्यंग्य सत्यान्वेषण के लिए होता है इसलिए व्यंग्यकार में साहसिकता का होना परम आवश्यक है ।शोषितों के प्रति करुणा होती है व्यंग्य में अतः वह सताने वालों के खिलाफ और सताए जाने वालों के साथ हमेशा खड़ा होता है। अनुभूति की पंचम संवाद शृंखला में बी. एल. आच्छा ने यह वक्तव्य दिया।
उन्होंने ख़ुशी जताई कि वे चेन्नई में व्यंग्य और लघुकथा की जमीन तैयार करने में सफल हुए हैं। युवा लेखकों की कमी नहीं है आवश्यकता है उन्हें चमकाने की, सामने लाने की। प्रशंसा और पुरस्कार लेखकों के के लिए आगे बढने के लिए होना चाहिए ना कि खत्म होने के लिए।
इस अवसर पर ‘बसंत बहार’ विषय पर आयोजित अनुभूति की मासिक काव्य गोष्ठी में गीत-गजल, मुक्तक व हाईकू प्रस्तुत कर फिजा में वासंती रस घोला सदस्य कवियों ने। मंजू रुस्तगी, शोभा चौरडिया, आकांक्षा बरनवाल ,नीलम दीक्षित , सुमन अग्रवाल, सुरेश तांतेड, तेजराज गहलोत ,अशोक द्विवेदी, सुनीता जाजोदिया,रमेश गुप्त नीरद आदि कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
नीलम दीक्षित ने प्रार्थना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात अनुभुति के आरंभिक वर्षों से जुड़े दिवंगत डा. चुन्नीलाल शर्मा को सभा ने मौन श्रद्धांजलि दी। महासचिव शोभा चोरड़िया ने आच्छा जी का परिचय प्रस्तुत किया एवं डॉ मंजू रुस्तगी ने सूत्रधार के रूप में लेखन यात्रा और सृजन प्रक्रिया से जुड़े सवाल कर उनके जीवन व विचारों से अवगत कराया। । श्रीमती आकांक्षा बरनवाल ने काव्य गोष्ठी का सफल संचालन किया । सचिव डॉ.सुनीता जाजोदिया के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ।