होम कविता तोषी अमृता की ग़ज़लनुमा कविता कविता तोषी अमृता की ग़ज़लनुमा कविता द्वारा तोषी अमृता - November 28, 2021 182 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet सर्द रातों में कंचन सा बदन जलता है मन के भीतर दूर कहीं दर्द चलता है मिटती नहीं प्यार की पहली इबारत दिल से दर्द-ए-दिल आज भी तेरी यादों से बहलता है माज़ी की तरफ़ नज़र न उठे नामुमकिन है यह साया तो छांव में भी साथ चलता है बेवफ़ाई तेरी आदत ही नहीं अदा भी है मन को मालूम है मगर दीवाना कहां समझता है आज की सुरमई शाम बड़ी बोझिल उदास है तुझे गले से लगाने को मन मचलता है संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.