सहायक प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय. अध्ययन, अध्यापन, लेखन में रुचि। अर्थशास्त्र में एम.ए., एम.फ़िल और पी .एच .डी । पिछले कई सालों से दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रही हैं, ।कहानियों के माध्यम से अपनी साहित्य में रुचि को सभीके सामने रखने प्रयास करतो हैं। संपर्क - richaguptaeco1@gmail.com
समाज मे बदलाव जरूरी है,पर पहल खुद से की जाए ,औरत अकेले जीवन निकाल लेती है,पर आदमी के बस की बात नही है,बिन औरत के रहना
शानदार शब्दो मे पिरोए है ये बदलाव के मोती
बहुत सुंदर लिखा है इस समाज में बदलाव लाना ही होगा
Thankyou ji
ऋचा, बहुत सुन्दर लिखा है आपने….