Monday, May 20, 2024
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दीपमाला गर्ग का लेख – स्त्री और पुरुष का रिश्ता: सम्मान या दंभ

आज सुबह भी जब कमला आई तो बड़े गुस्से में थी। क्रोध और दर्द से उसका चेहरा तमतमा रहा था। पता नहीं क्या-क्या बड़बड़ा रही थी? बोलते -बोलते काम में लग गई पर इसकी झल्लाहट खत्म नहीं हुई।
मैंने पूछा कि क्या आज भी तेरा तेरे पति से झगड़ा या मार पिटाई हुई है पर वह मौन रही और कोई उत्तर नहीं दिया।
कमला मेरी कामवाली बाई जो सालों से मेरे यहां काम कर रही थी। उसका पति आए दिन शराब पीकर उस पर हाथ उठाता और गाली गलौच करता और वह बेचारी मन मसोसकर और बड़बड़ा कर रह जाती। मैंने कई बार समझाया कि अगर ना माने तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराओ उसकी पर हमारे भारतीय समाज में स्त्री आज भी पति के विरुद्ध जाने का साहस नहीं जुटा पाती। और वह बेचारी तो अनपढ़ और गरीब औरत थी।
उसे परेशान देखकर अनायास ही विचार में डूब गई मैं। मेरी चचेरी बहन जो बहुत ही शिक्षित और कॉलेज में प्रोफेसर है,उसको उसके पति ने शादी के 10 साल बाद छोड़ दिया और दूसरी शादी रचा ली और वह शिक्षित होकर भी कुछ ना कर सकी। आखिर करती तो क्या जब पति के मन में ही उसके लिए प्यार और  समर्पण नहीं रहा तो उस रिश्ते को बचाकर वह क्या प्राप्त कर लेती? इसलिए उसने अलग हो जाना ही ठीक समझा।
आज कमला और अपनी चचेरी बहन की स्थिति को तुलनात्मक रूप से देखती हूं तो दोनों में ज्यादा अंतर  नहीं नजर आता। शिक्षित हो या अशिक्षित,  पुरुष की मानसिकता पर निर्भर है कि स्त्री उसके साथ खुश रह सकती है या नहीं।
वहीं  दूसरी ओर मैं अपने जीवन साथी  के साथ अपने रिश्ते को देखती हूं तो गर्व करने को जी चाहता है। नाज होता है अपनी किस्मत पर कि क्या किसी का जीवन साथी इतना समझदार, समर्पित और प्यार करने वाला हो सकता है?वह भी एक पुरुष होकर।
पुरुष वाला दंभ छू भी नहीं गया उनको।शादी के 20 वर्ष में अनेकों‌ उतार-चढ़ाव देखे पर फिर भी एक दूसरे के प्रति आदर- सम्मान और एक दूसरे को समझने में कहीं कोई कमी नहीं आई।
पति के रूप में न केवल एक प्यार करने वाले इंसान मिला बल्कि एक बहुत ही अच्छा दोस्त,एक हमदम,एक मार्गदर्शक और एक बहुत ही अच्छा इंसान जीवन साथी के रूप में पाया। एक ऐसा व्यक्ति जिसका सोचने का नजरिया , स्त्री को देखने का नजरिया, उसकी भावनाओं को समझने और महसूस करने का तरीका अन्य पुरुषों से बिल्कुल अलग है। जो स्त्री का पूरा सम्मान करता है उसको समझता है। उसके आराम, उसके सुख – दुख का पूरा  ध्यान रखता है । हर क्षण,हर पल उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास करता है।
कभी भूल से भी मेरी भावनाओं को आहत नहीं किया जिसने।
मुझे पति के रूप में बहुत ही अच्छा दोस्त मिला है जिनके साथ मैं जीवन के सारे उतार-चढ़ाव , सुख -दुख का सामना हंसते-हंसते कर सकती हूं।
इनको देखती हूं तो ऐसा लगता है कि हमारे पुरुष प्रधान समाज में ऐसे ही पुरुषों से नारी का गौरव उसकी अस्मिता सुरक्षित  और कायम है।
ऐसा पति पाकर स्त्री खुद को गौरवान्वित महसूस करती है कि वह भी महत्वपूर्ण है…. उसकी भी एक महत्वपूर्ण जगह है उसके परिवार में,उसके पति के जीवन में
तो क्यूं नहीं सोचते इस नजरिए से वह पुरुष जो मात्र स्त्री को इक वस्तु समझते हैं और उसके अस्तित्व को नकारते हैं।
और खोखला दंभ भरते हैं अपने पुरुष होने का।
काश हर पुरुष स्त्री के मन को समझ पाए,
उसे एहसास दिला पाए कि उसकी क्या अहमियत है पुरुष के जीवन में।  वह जीवनसंगिनी है , अर्धांगिनी है और पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज में चल सकती है।
उसके बिना पुरुष अधूरा है और वह उसकी शक्ति है।
और इसी के साथ ही “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता” वाली कहावत वास्तव में वास्तव में चरितार्थ हो जाए।
दीपमाला गर्ग
एमफिल (अर्थशास्त्र),एम. एड., एम. ए. (अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, हिंदी)
नेट (एजुकेशन)
फरीदाबाद, हरियाणा।
संप्रति: सहायक प्राचार्या
सेंट ल्यूक शिक्षा महाविद्यालय
गांव चांदपुर, बल्लभगढ़।
प्रकाशित कृतियां:
* ‘साहित्य कुंज पत्रिका’ में अनेक कविताएं और लघु कहानी प्रकाशित।
* ‘अमर उजाला काव्य’ में प्रकाशित काव्य।
* ‘नव‌उदय पत्रिका’ और ‘दैनिक दर्पण साहित्य पत्र’ में अनेक कविताएं प्रकाशित।
* ‘पुरवाई’ पत्रिका में प्रकाशित कविता।* सर्वश्रेष्ठ रचनाओं के लिए अनेक प्रशस्ति पत्र।* ‘काव्यांजलि’ और ‘मुक्ति काव्य संग्रह’ में   कविता प्रकाशित।* “श्रवण धारा” सांझा काव्य संग्रह में योगदान।* ‘पहल’ सांझा कहानी संग्रह में योगदान* “आंचलिक साहित्य संस्थान” द्वारा “साहित्य सेवी” सम्मान से सम्मानित।सम्मान : 1.साहित्य सेवी सम्मान2.नवोदित साहित्यकार सम्मान50 कविताओं का व्यक्तिगत काव्य संग्रह प्रकाशित : “मेरी अनुभूति मेरे एहसास”
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1 टिप्पणी

  1. आपने बहुत ही सुंदर लिखा है दीपमाला जी! वास्तव में पति-पत्नी का रिश्ता सम्मान का ही रिश्ता होना चाहिए! हम एक दूसरे की कद्र करें,सिर्फ फिक्र नहीं । कद्र करने में और फिक्र करने में बहुत अंतर होता है।एक दूसरे का सम्मान करें और एक दूसरे की भावनाओं को समझें,परस्पर विश्वास का रिश्ता है यह।
    शुक्रिया आपका।
    आभार पुरवाई।

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