Tuesday, October 8, 2024
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डॉ अनुपमा श्रीवास्तव का लेख – प्रेम के रंग, रेडियो के संग

इन्सान जज़्बातों और विचारों के सहारे अपना जीवन बनाता है| सामान्य और सहज बात यही है कि अपने प्रत्येक कर्म से पूर्व वह किसी न किसी भाव और फिर विचार से ही प्रेरित और क्रियान्वित होता है| साहित्यशास्त्र में रसादि सिद्धांत भी मनुष्य के इन्ही भावों की व्याख्या और विश्लेषण करते हुए प्रस्तुत हुए हैं| यहाँ तक कि प्रत्येक भाव में स्थित आनंद की संभावना को रस के स्वरुप के माध्यम से समझा जा सकता है| यह आनन्द भले ही सहृदय के सत्वोद्रेक की अवस्था में होता है लेकिन इस प्रक्रिया में निहित सभी अवयवों और प्रयासों पर नज़र डाली जाए तो वे विभिन्न भावों द्वारा ही संचालित और नियंत्रित होते हैं| इनके लिए अलग-अलग परिप्रेक्ष्य में विविध माध्यम और वातावरण भी सहायक भूमिका निभाते हैं| प्राचीन काल की बात करे तो उस समय की सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था, सत्ता की नीतियाँ और प्रकृति आदि वातावरण की सृष्टि करते थे तो आधुनिक काल तकनीकी विकास के साथ भावों और विचारों की अभिव्यक्ति और आदान-प्रदान होता है| आज 2021 में हम तकनीकी विकास की ऊँचाइयों को छू रहे हैं| हमारी वृत्तियाँ और रुझान नित नए-नए रंग से सराबोर होती रहती है जो दरअसल तेज़ी से बदलते हुए ज़माने और रफ़्तार के बीच आकार ग्रहण कर रही है| कहना न होगा कि संचार-साधनों की भूमिका इस दौर में आवाश्यक रूप से महत्त्वपूर्ण होती जा रही है| पहले संचार-साधनों का प्रयोग सन्देश प्रसारित करने के उद्देश्य से होता था लेकिन आज इनके माध्यम से नए ज्ञान-विज्ञान की जानकारी के साथ-साथ नयी सोच,दृष्टि और विचारधारा के निर्माण में इनकी अहम भूमिका बन गयी है| जीवन के महत्त्वपूर्ण निर्णय भी अब इनके सहारे लिए जा रहे हैं| आधुनिकता से भी आगे उत्तर आधुनिकता और अब नए तरह की रूमानियत के परिवेश में संचार के विभिन्न साधनों का योगदान निस्संदेह बहुत अधिक बढ़ गया है| ऐसी भाग-दौड़ में इंसान, इंसान बना रहे और उसकी जीवन्तता बनी रहे इसमें रेडियो अपनी कमाल की भूमिका निभा रहा है| पेंडमिक के इस दौर में रेडियो की भूमिका और भी बढ़ी है| ध्वनि का संसार श्रोताओं को जहां अपनी मनचाही भावभूमि पर विचरण करने की स्वतंत्रता देता है वहीँ इसको सुनना अपने दिनचर्या के अन्य कार्यों के प्रति भी स्फूर्ति जगाता है| इसलिए इस पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का बाकी माध्यम से प्रसारित और मुद्रित सामग्रियों के समक्ष अपना ही महत्त्व है|
वर्तमान में आकाशवाणी के अलावा कई रेडियो चैनल कार्य कर रहे हैं और अपने श्रोताओं के पसंदीदा कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं| इनमें एक रेडियो चैनल है, रेड fm 91.1 जिस पर लगभग 18 वर्षों से एक बहुत ही रोचक और अच्छा कार्यक्रम प्रसारित होता है, ‘लव गुरु’| इस लेख को लिखने से पहले जब रेडियो के कार्यक्रमों की पड़ताल चल रही थी तब अचानक इस कार्यक्रम के बारे में कुछ लिंक्स मिले जो अपने आप में काफी प्रभावशाली और विशेष थे| कार्यक्रम के शीर्षक से यह एक अत्यंत सामान्य और साधारण कार्यक्रम मालूम होता है परन्तु जैसे जैसे इसके एपिसोड सुनते गए भावनाओं और विचारों का प्रवाह एक ख़ास बिंदु पर आकर टिक गए जिसके आधार पर जीवन के महत्त्वपूर्ण पक्ष टिके हुए हैं| कन्नड़ की एंटरटेनमेंट उद्योग से जुड़े हुए ‘विवास्वन राजेश’ जो कि RJ राजेश के नाम से प्रसिद्ध हैं,इस कार्यक्रम का सञ्चालन करते हैं| “इंडिया का प्रमुख रेडियो नेटवर्क रेडियो सिटी ने अपने सबसे पसंदीदा शो, ‘लव गुरुके 18 साल पूरे होने पर प्यार में डूबे पूरे देश के साथ जश्न मनाया| आपको बता दें कि रेडियो सिटी का लव गुरुशो लगभग दो दशकों से रिलेशनशिप काउंसलिंग, कंपेनियनशिप और कंफर्ट पर एक पसंदीदा शो बना हुआ है| इस शो में लव गुरु की आवाज और जिस तरह से वह शो को लेकर आते हैं वह बहुत ही निराला है| दिल से जुड़े समस्याओं और रिलेशनशिप पर दी गई इनकी सलाह को श्रोता काफी पसंद करते हैं|” रेडियो सिटी के एग्जीक्यूटिव वाईस प्रेसिडेंट और प्रोग्रामिंग एवं विपणन के प्रमुख  ‘कार्तिक काला’ के अनुसार इस शो की प्रसिद्धि का सबसे बड़ा कारण वर्तमान समय में अपनी ऎसी भावनाओं और समस्याओं को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ सांझा करना, जिस पर उसे विश्वास तो हो ही और साथ ही यह भरोसा भी, कि उसे उसकी समस्या का कोई न कोई समाधान मिल ही जाएगा| इस शो में हर उम्र के कपल्स या सिंगल व्यक्ति अपनी बात बेझिझक सांझा कर सकते हैं और उन्हें अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति में किसी प्रकार से गलत-सही साबित होने का भय भी नहीं लगता| उन्हें कसी प्रकार के नैतिकता-अनैतिकता की कसौटी पर नहीं कसा जाएगा| ध्वनि का माध्यम होने के कारण वे और भी अधिक स्पष्ट और निश्चिन्त होते हैं जब अपनी बात ‘लव गुरु’ के साथ सांझा करते हैं| आज के समाज की संरचना को समझते हुए यह और भी ज़रूरी हो जाता है कि जीवन की इस बेहद गंभीर पर अक्सर गलत समझी जाने वाली भावना को जानना और स्वीकार करना उतना ही ज़रूरी है| “Love Guru was aimed at providing the audience with a confidant, a person they could trust and seek counsel from over relationship issues. Over the years, we have observed a change in the audience with a younger demographic actively seeking direction from Love Guru. This audience, that is, the millennials are also more open to the idea of coming out and talking about the difficulties without the fear of being judged. Additionally, in the age of social media, they are more vocal about their emotions. This is an interesting observation and reflects the cultural and social change that we have been witnessing.” एक लम्बे समय से विभिन्न उम्र के लोगों की आवश्यकताओं बदल गयी हैं लेकिन फिर भी वे किसी न किसी ऐसी स्थिति का शिकार हो जाते हैं जहाँ से उनके लिए निकलन अक्सर बहुत मुश्किल हो जाता है| इस बात को ध्यान में रखते हुए ‘लव गुरु’ का नया संस्करण भी लांच किया गया| लगभग 25 लाख से भी ज्यादा कपल्स की प्रेम सम्बंधित समस्याओं का निदान इस शो के एडवाइजर के द्वारा दिया गया है| इसी के मद्देनज़र वर्तमान समय की परिस्थितियों और जीवन की विषमताओं को समझते हुए दिल्ली स्टेशन पर इसके दो नए विभाग बनाए गए ‘लव गुरु डायरीज’ और ‘लव नोट्स’| एक में श्रोता लव गुरु द्वारा दी गयी सलाह से किस प्रकार लाभान्वित हुए या कैसे वे अपनी समस्या से बाहर निकल पाए, इसका ज़िक्र होता है तो दूसरे में अपने प्रिय जन को प्रेम-सन्देश लव गुरु के माध्यम से देते हैं| रेडियो सिटी की सोशल मीडिया में खासी पैठ होने के कारण पूरी दुनिया में यह ज़्यादा से ज्यादा लोगों के द्वारा सुना जाता है|न अब इस कार्यक्रम का एप भी बन गया है जिस पर प्रत्येक शुक्रवार को काउंसलिंग की जाती है जिसका सीधा प्रसारण किया जाता है| आज यह शो 39 शहरों में सुना जा रहा है और लोगों के यादगार अनुभवों को सांझा कर रहा है| इसका समय रात के 9 बजे से 12 बजे तक होता है| अपनी 18 वीं वर्षगाँठ पर इनके द्वारा मनाये गए वैलेंटाइन वीक के दौरान रेडियो सिटी दिल्ली ने राष्ट्रीय राजधानी में सभी श्रोताओं को एक विशेष सम्मान दिया गया| इस समय दुनिया भर में प्यार का संदेश प्रसारित करते  हुए रेडियो सिटी ने ‘लव गुरु’ द्वारा प्रमाणित वास्तविक जीवन की युगल कहानियों को फ़ीचर किया और यह बताने की कोशिश कीकि नकारात्मक कठिन समय और रिश्तों के उतार-चढ़ाव के बीच किस तरह से सच्चा प्यार खड़ा रहता है| गलतफहमियों के कारण अक्सर रिश्ते बिखर जाते हैं| परन्तु इस कार्यक्रम द्वारा यह सन्देश बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ जो यह बताता है कि गलतफहमी ख़तम होनी चाहिए न कि रिश्ते| इस खुशी और उत्साह के अवसर पर ‘लव गुरु’ ने सुननेवालों को जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू से रूबरू कराया|
रेडियो सिटी का लव गुरु दक्षिण भारत में भी लंबे समय से श्रोताओं का पसंदीदा शो बना हुआ है| निरंतर मिल रहे समर्थन और प्रशंसा को देखते हुए, ‘लव गुरु’ ने ‘लव गुरु रिटर्न्स18’  नाम से एक पहल की और बेंगलुरु में कॉलेज के छात्रों से प्यार पर अपने अनुभव साझा करने के लिए आग्रह किया, जहां 14 से 28 फरवरी के दौरान उनके अनुभवों के आधार पर चुनी हुई कहानियों को ऑन-एयर प्रसारित किया गया|
जिंदगी की पेचीदिगियों में प्रेम के बनते और बिगड़ते स्वरुप को समझना आज के समय की ख़ास ज़रूरत है| इससे कई ज़िन्दगियों को सार्थक दिशा मिल सकती है| समाज के ताने-बाने में उलझ कर जहाँ प्रेम का सार बहुत कम लोगो द्वारा समझा जाता है वहीं इसकी बड़ी सी सामान्य सी परिभाषाएं भी सुनिश्चित कर ली जाती हैं| कभी इसके रूहानी अंदाज़ को परिभाषित किया जाता है तो कभी भक्ति का सादन भी मान लिया जाता है| परन्तु आम लोगो के लिए व्यावहारिकता के स्तर पर जिस आकर्षण या स्नेह या प्रेम की बात होती है, वहाँ बहुत-सी टेढी-मेढी लकीरे खीच जाती हैं जिसे समझना और सुलझाना अक्सर असंभव हो जाता है| इस स्थिति को मिर्ज़ा ग़ालिब के इस शेर से समझा जा सकता है “भरम खुल जाए ज़ालिम तेरी कामत की दराजी का, अगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेचोख़म का पेच-ओ-ख़म निकले”…तब लगता है कि सभी रास्ते बंद हो जाते हैं और ऐसे में अपना साथी या कोई ऐसा व्यक्ति या ऐसा माध्यम की आवश्यकता होती है जो भूलभुलैय्या से बाहर निकाल सके| रेडियो सिटी का ‘लव गुरु’ कार्यक्रम ऐसे हर हारे हुए, थके हुए और बिखरे हुए अस्तित्व को मानों संभालने और संजोने लगता है| वह श्रोता का श्रोता बन जाता है और एक अच्छे सुननेवाले की तरह बिना जज किये टूटे हुए मन को दोबारा खड़ा करके सही दिशा भी प्रदान करता है| कहा भी जाता है कि अच्छा और ठीक सुनना भी एक कला है| इस कार्यक्रम के RJ अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि वे अपनी तकलीफ बताने वाले को ध्यान से सुने, पूरा सुने और उन्हें हर संभव सुझाव दे सके| कुछ उदाहरणों से इस बात को समझा सकता है|
जैसा कि पहले भी कहा गया है कि प्यार कि असंख्य परिभाषाएं हो सकती हैं और सबसे कोमल और स्वाभाविक प्रेम छोटी उम्र में हो जाता है| इस शो में स्कूल जाने वाले कुछ विद्यार्थियों ने अपनी बात ‘लव गुरु’ से करते हुए उन्हें स्पष्टता से बताया कि किस प्रकार उनका ध्यान सिर्फ अपने दोस्त में ही रहता है और जिसकी वजह से वे पढाई में बिलकुल ध्यान दे पाते| अपने समाज और पारिवारिक संरचना और नियमों के कारण शायद यह विद्यार्थी अपने घर में इस बात को कभी भी नहीं बता सकती थी, लेकिन “इस शो के माध्यम से उसने यह सब न केवल बड़ी ही आसानी से सांझा किया बल्कि उसे इसका पुख्ता समाधान भी मिला और बाद में उसने ‘लव गुरु की डायरीज’ शो में यह भी  बताया कि किस प्रकार उसे ‘लव गुरु’ द्वारा समझाई गई  बातों को मानने से फायदा हुआ|”
आज की विषमताओं से भरी परिस्थितियाँ अक्सर लड़कियों के लिए अधिक कठिनाइयां लेकर आती हैं| तेज़ी से बढ़ते हुए सोशल मीडिया के प्रभाव से प्रेम सम्बन्ध भी अछूते नही रहे| आजकल प्यार भी आभासी दुनिया में अपनी जबरदस्त पैठ बनाये हुए है| परन्तु यह वास्तविकता से कोसो दूर होता है| अधिकतर ऐसे सम्बन्ध जो फेसबुक या ट्विटर आदि पर बनते हैं उनमें धोखाधड़ी बड़ी आसानी से हो जाती है जिसका शिकार लड़के-लडकियाँ और कयी बार तो उम्र दराज़ भी हो जाते हैं| ऐसे ही एपिसोड को सुन कर लगा कि इस कार्यक्रम की उपयोगिता कितनी महत्त्वपूर्ण है जिसमें RJ  ने ऐसी ही एक लड़की, जो अपने तथाकथित प्रेमी के कारण भावनात्मक रूप से बुरी तरह से प्रभावित थी और वह मरना चाहती थी| उसकी काउंसलिंग बहुत ही समझदारी से की गई और उसे उसके गिल्ट से बाहर निकलने की कोशिश की गई| “कभी किसी पर बहुत जल्दी भरोसा न करने की सीख लेकर वह युवती जब तीन वर्ष के बाद ‘लव गुरु’ शो के एपिसोड में अपनी खुशनुमा ज़िंदगी के बारे में बताती है तो यह यकीन हो जाता है कि जीवन में एक सही गाइड की सही समय पर कितनी ज़रूरत होती है|”
इस कार्यक्रम के माध्यम से सोशल जीवन और वास्तविक जीवन के अंतर को भी बखूबी समझाते हुए सुना जा सकता है| एक वयस्क को इस बात का पता होता है कि सोशल मीडिया पर बने सम्बन्ध की भूमि कितनी मजबूत होती है| उसे इस सच्चाई को हमेशा ज़ेहन में रखते हुए ही किसी भावना को पनपने देना चाहिए| “इस विवेक के साथ वह बहुत सारे भावनात्मक दबाव और परेशानियों से बच सकता है|” 
अपने ख़ास अंदाज़ में इस कार्यक्रम में श्रोताओं को अपनी बात कहने के लिए आमंत्रित करना इस के प्रस्तुतकर्ता की विशेषता है| बहुत ही व्यवहारिक सुझाव और समाधान देने का तरीका भी अत्यंत प्रभावशाली है| इश्क-मोहब्बत की बातों के बारे में बताना जितना मुश्किल होता है उतना ही किसी और बात को बताना नहीं| ऐसे में रेडियो सिटी का यह कार्यक्रम एक ऐसी भावभूमि तैयार कर देता है जिस पर अपने मन की परेशानियां, संदेह, जिज्ञासाएं सहज रूप से सांझा की जा रही हैं| रिश्तों के बदलते हुए स्वरुप के कारण भी कयी बार मानसिक उलझन बहुत बढ़ जाती है| आजकल ओपन रिलेशनशिप या बिना ज़िम्मेदारी के चलने वाले रिश्ते भी खूब बन रहे हैं| इस स्थिति में दोनों ही पक्षों का एक ही तरह से रिश्ता लेना ज़रूरी है| नहीं तो, इनमें से केवल मानसिक तनाव ही उत्पन्न होता है| रिश्तों को केवल अपने मतलब के लिए ही चलाना भी गलत है जिसमें अपने साथी को हर तरह से नज़रअंदाज़ किया जाता है और उसके लिए जीवन कठिन बन जाता है| “अपनी ऐसी समस्याओं के साथ भी बात करने वालों को लव गुरु अत्यंत स्पष्ट शब्दों में रिश्तों के सार से परिचित कराते हैं और उन्हें सही फैसला लेने के लिए प्रेरित करतें हैं|” 
कई बार रिश्तों को बचाए रखने के लिए लोग एक ऐसे रिश्ते में उलझ जाते हैं जो उन्हें जीवन भर दर्द प्रदान करता है| पारिवारिक और सामाजिक दबावों के कारण भी अक्सर ऐसा होता है| परन्तु यह उचित नहीं है क्योंकि यदि किसी ने एक बार गलत भाषा का प्रयोग अपने साथी के साथ कर दिया तो वह तमाम उम्र वैसा ही चलने वाला है और बाक़ी क्रियाकलापों में भी उसका बर्ताव बुरा रहेगा| “ऐसे रिश्तों को साइकोलॉजी में टॉक्सिक रिलेशनशिप कहा गया है, जिसमें किसी को भी ज्यादा देर तक नहीं रहने चाहिए|” 
इसी तरह संबंधों में आने वाले तमाम सवाल और उनके बेहतरीन जवाब और सुझाव ‘लव गुरु’ शो की पहचान है| बात चाहे अंतरजातीय विवाह की हो या प्यार में जल्दबाजी न करने की, अपनी पसंद समझने की हो या लड़के-लड़कियों के स्वभाव की सामान्य विशेषताओं को जानने की, अपने आत्म-सम्मान की हो या समझौता करने की, अपने रिश्ते को बचाएं के लिए कुछ रोमांटिक होने की हो या गलत बात पर समझौता न करने की, ‘लव गुरु’ के पास लगता है, हर प्रश्न का उत्तर मौजूद है| श्रोताओं के मनोविज्ञान को समझना और उनकी मन:स्थिति के अनुकूल ही बात-चीत करना| फिर बातें करते करते ही जैसे किसी दिशा की और ले जाना, यह सभी श्रोताओं को इस कार्यक्रम में शुरू से लेकर अंत तक बांधे रखतें हैं|
कहते हैं, सब की ज़िंदगी में कोई न कोई कहानी छिपी होती है| बस उसे समझ कर गढ़ने वाला चाहिए| इस कार्यक्रम की प्रसिद्धि का यह एक पुख्ता कारण है कि इसमें कहानी जैसा प्रवाह और प्रभाव है तभी तो इसे सुनने वाले अनायास ही इससे अपना रिश्ता जोड़ लेते हैं| इसके माध्यम से अभिभावक, माता-पिता और संगी साथी सभी को कुछ सीखने की प्रेरणा मिलती है| प्रेम जैसे नाज़ुक भावना के कारण उनके मन में चल रहे अंतर्द्वंद्वो, परेशानियों और जिज्ञासाओं को यदि उन्होंने सुन लिया तो उनकी तकलीफें वहीँ समाप्त हो सकती हैं और वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ| इस शो में जो बाते बतायीं जाती हैं, वे अक्सर हम कही न कही पहले से जानते हैं पर जिस अंदाज़ में वे यहाँ बतायी जाती हैं तो उसका असर गहरा पड़ता है| यहाँ इसी भी उम्र और क्षेत्र का व्यक्ति अपनी बात रख सकता हैं| प्रेम के विषय में कई महान विचार आध्यात्मिक प्रेम या ईश्वरीय प्रेम के रूप करना सृजनशील समाज को प्रिय लगता है और मान्य भी है| परन्तु आम जीवन के रिश्तों की उलझन को भी निपटाना ज़रुरी होता है| खास तौर पर तब जब प्रेम जीवन की तमाम गतिविधियों का केंद्र बिंदु बन जाता है और जो स्थिति यहाँ होती है, उसका असर बाकी चीज़ों पर भी पड़ता है| तब उनका समाधान काव्यात्मक और शास्त्रीय ढंग से नहीं बल्कि उनके मनोजगत की भावभूमि पर उतर उनके प्रश्नों के सही समाधान टटोलने होते हैं| यह कार्य इतना सरल नहीं होता| इसके लिए लगातार आम जीवन से जुड़ कर उसके पेच-ओ-ख़म को समझना पड़ता है| इस प्रोग्राम ने 2011, 2013 और 2018 में इंडिया रेडियो फोरम में प्रशंसा और कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं| शो की लोकप्रियता और दर्शकों पर इसके प्रभाव को देखते हुए, रेडियो सिटी ने 2016 में दुनिया भर के श्रोताओं के लिए लव गुरु ऐप लॉन्च किया, जो उनके दिल को और भी करीब से जोड़ता है और अपने मन का हाल बेबाकी से बयाँ करने का हौसला प्रदान करता है| 
डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं. संपर्क - [email protected]
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